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सरकार का वर्ष पूर्ण, आधी आबादी का सम्मान भूली

महिलाओं को एक भी मंत्री पद नहीं

* क्या भाजपा को अपनी नेत्रियों पर नहीं भरोसा?
अमरावती/दि.29– प्रदेश में उठाव हुए एक वर्ष बीत गया. शुक्रवार को एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री के रुप में अपना एक वर्ष पूर्ण कर रहे हैं. अर्थात शिंदे-फडणवीस सरकार की वर्षपूर्ति हुई है. अनेक कल्याणकारी योजनाएं और प्रकल्प सरकार द्वारा गतिमान किए जाने के दावे इन दोनों सत्तारुढ़ दल के है. किन्तु एक मोर्चे पर भाजपा और शिवसेना सरकार नाकाम रही है. जिसके कारण आधी आबादी कदाचित सरकार से गुस्सा भी हो. वह वजह है सरकार में एक भी महिला मंत्री का न होना. जिससे नाना प्रकार के प्रश्न उपस्थित हो रहे हैं. ऐसे में विधानमंडल में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत स्थान आरक्षित करने और उसी अनुपात में सरकार में भी जगह मिलने की मांग बुलंद हो रही है. अमरावती से लेकर मुंबई तक यह सवाल भी पूछा जा रहा कि क्या भाजपा में सक्षम महिला नेत्रियों का अभाव है अथवा पार्टी को अपनी मातृशक्ति पर विश्वास नहीं?
* अनेक नेत्रियां
भाजपा की तरफ से राज्य विधानमंडल पर अनेक महिला नेत्रियां चुनकर आयी है. जिसमें गोरेगांव से विद्या ठाकुर, नाशिक पश्चिम से सीमा हिरे, वरसोवा से भारती लवेकर, बेलापुर से मंदा म्हात्रे, पर्वती से माधुरी मिसाल, नाशिक मध्य से देवयानी फरांदे, शेवगांव से मोनिका राजाले, चिखली से श्वेता महाले, कैज से नमिता मूंदड़ा, जिंतूर से मेघना बोर्डीकर, दहीसर में मनीषा चौधरी जैसे अनेक नाम शामिल है. उच्च सदन में भी पार्टी का प्रतिनिधित्व महिलाएं कर रही हैं. किन्तु सरकार में मंत्री बनाए जाने का अवसर आने पर पार्टी में नारी शक्ति को अनदेखा किया गया है. उल्लेखनीय है कि बड़े ओबीसी चेहरे के रुप में पंकजा मुंडे भाजपा के पास हैं. वे फडणवीस सरकार में मंत्री रह चुकी हैं.
* स्थानीय नेता खामोश
आधी आबादी को अवसर न दिए जाने के बारे में अमरावती मंडल ने स्थानीय नेत्रियों से चर्चा करनी चाही तो अधिकांश ने मौैन धारण कर लिया. केवल इतना ही कहा कि भाजपा में नारी शक्ति को बराबर महत्व और अवसर दिए जाते रहे हैं. आगे जब भी विस्तार होगा, महिला को जरुर मौका मिलेगा. किन्तु यह विस्तार कब होगा, यह सवाल पर यह लीडरान चुप हो जाती हैं. उल्लेखनीय है कि अमरावती जिलाध्यक्ष पद महिला के पास है. यह भी लगे हाथ बता दें कि जिले में बीजेपी ने इस-उस कारण से महिलाओं को विधानसभा में अवसर भी कम दिए हैं.
* चाहिए निकाय समान आरक्षण
महिलाओं के मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के मुद्दे पर दलगत भावना से परे जाकर अनेक ने खुलकर अपना मत व्यक्त किया. जिसमें उन्होंने लगभग एक स्वर में कहा कि स्थानीय निकाय में 50 प्रतिशत आरक्षण होने से महिलाओं को सत्तासीन होने का अवसर मिला है. विधान मंडल में भी ऐसा ही आरक्षण रहने पर ही महिला नेतृत्व को प्रोत्साहन मिलेगा. अन्यथा विनिंग मेरीट के नाम पर विधानसभा और लोकसभा में महिलाओं को मौका मिलने की गुंजाइश कम है.

 

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