अमरावतीमहाराष्ट्र

फिर एक मां आगे आई बेटे को नया जीवन देने

सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल अमरावती

* 36 वीं किडनी ट्रान्सप्लांट शस्त्रक्रिया सफल
अमरावती/दि.23– स्थानीय विभागीय संदर्भ सेवा रुग्णालय (सुपर स्पेशलिटी) अस्पताल में आज 36 वीं किडनी प्रत्यारोपण शस्त्रक्रिया पूर्ण की गई. यह ट्रान्सप्लांट नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. प्रणित काकडे, यूरो सर्जन डॉ. राहुल पोटोडे और उनकी टीम ने सफल किया. फिर एक मां अपने पुत्र को नया जीवन देने अपना एक मूत्रपिंड देने आगे आई. मां उषा वडोदे के किडनी देने से पुत्र प्रमोद को नया जीवन मिलने की जानकारी आज दोपहर अस्पताल के अधिकृत सूत्रों ने दी. उन्होंने बताया कि, यह शल्यक्रिया नि:शुल्क की गई. मरीज को महात्मा फुले जनस्वास्थ योजना अंतर्गत लाभ दिया गया.

अस्पताल सूत्रों ने बताया कि, रुग्ण प्रमोद ज्ञानदेव वडोदे (36) वर्ष , मु.पो.मालेगांव ता . नांदुरा, जि. बुलढाणा का रहनेवाला है. गत 3 वर्षो से किडनी की बीमारी से त्रस्त था. जिसके कारण उसे लगातार डायलिसिस कराना पडता था. जिसमें मरीज को काफी तकलीफ होती है. ऐसे में सुपर के चिकित्सको ने प्रमोद का किडनी ट्रान्सप्लांट का निर्णय किया. मां उषा ज्ञानदेव वडोदे (58) वर्ष ने अपना एक गुरदा पुत्र को देकर उसे नया जीवनदान दिया.

अस्पताल के वैद्यकीय अधीक्षक डॉ. अमोल नरोटे व विशेष कार्य अधिकारी डॉ. मंगेश मेंढे के मार्गदर्शन में नेफरोलॉजिस्ट डॉ. प्रणित काकडे, डॉ. नयन काकडे, यूरो सर्जन डॉ. राहुल पोटोडे, डॉ. विक्रम देशमुख, डॉ. राहुल घुले डॉ.प्रतीक चिरडे ,बधिरिकरण तज्ञ- डॉ. रोहित हातगांवकर, डॉ. बालकृष्ण बागवाले, डॉ. दिपाली देशमुख, डॉ. जफर अली, डॉ. अंजू दामोदर, डॉ. सुनीता हिवसे आर एम ओ, किडनी ट्रान्सप्लांट कोऑर्डिनेटर डॉ. सोनाली चौधरी, समाजसेवा अधीक्षक (वैद्यकीय) शीतल बोंडे ने फाईल बनाने से लेकर अप्रुव्हल तक महत्त्वपूर्ण रोल निभाया. उसी प्रकार अधीसेविका चंदा खोडके, माला सुरपाम के निर्देशानुसार इंचार्ज सिस्टर अनीता तायडे, नीता कांडलकर, नीलिमा तायडे,लता मोहता, कविता बेरड, अभिषेक नीचत, विजय गवई, योगिश्री पडोले, रेखा विश्वकर्मा, वैभव भुरे, अनु वडे, नितीन मते, कशिश दामले, प्रतिमा रौरालेे औषध विभाग के हेमंत बनसोड, श्रीधर ढेंगे, अमोल वाडेकर, पंकज पिहुलकर, गजनान मातकर, अविनाश राठोड, शिवा भोंगाले, ज्ञानेश लांजेवार, सागर गणोरकर,वैभव तरेकर,सुनीता ठाकुर, पाटिल, मंगला, दिपटे, गजू, प्रशांत, नीलेश आत्राम, आदि का किडनी प्रत्यारोपण शस्त्रक्रिया में विशेष सहकार्य रहा.

* क्या कहते हैं विशेषज्ञ
नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. प्रणित काकडे ने बताया कि, किडनी प्रत्यारोपण हेतु रुग्ण की औसत आयु 25 से 30 वर्ष है. उच्च रक्तचाप यह अल्पायु में होने वाले किडनी बीमारी के लक्षण है. रुग्ण की कीडनी संबंधित जांच और कीडनी विशेषज्ञ की योग्य सलाह लेने पर किडनी फेल होने और भविष्य में डायलिसीस की गरज टाली जा सकती है.

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