अमरावती

… तो दीपाली की जान बच सकती थी

रेड्डी की जमानत खारीज करते हुए न्यायालय ने कहा

अमरावती/प्रतिनिधि दि.२१ – वन अधिकारी दीपाली चव्हाण की आत्महत्या मामले में गुगामल वन्यजीव विभाग के उपवन संरक्षक विनोद शिवकुमार को बचाने का प्रयास करने वाले तत्कालीन एपीसीसीएफ श्रीनिवास रेड्डी के खिलाफ अपराध कब दर्ज होगा, इस विषय पर चर्चा शुरु रहते समय ही अचलपुर न्यायालय ने रेड्डी की अंतरीम जमानत खारीज करते समय शिवकुमार पर समय रहते कार्रवाई की होती तो दीपाली चव्हाण की जान बच सकती थी. इस तरह के गंभीर विचार व्यक्त किये. इस नतीजे की प्रत हाल ही में मीडिया तक पहुंची.
शिवकुमार जितना दोषी है, उतना ही रेड्डी भी जिम्मेदार रहने से उसे सहआरोपी करने की मांग महाराष्ट्र स्टेट गैजेटेड फारेस्ट ऑफिसर्स एसोसिएशन की ओर से मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे को एक पत्र व्दारा की गई थी. वहीं फारेस्ट रेंजर एसोसिएशन महाराष्ट्र नामक दूसरे एक संगठन की ओर से इस मामले की सीआईडी जांच करने की मांग की गई है.

  • रेड्डी की हरकत कलम 107 के अनुसार

रेड्डी को अंतरिम गिरफ्तारी पूर्व जमानत नकारते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस.के.मुंगिलवार ने दिये हुए फैसले में कहा कि कलम 20 के मुद्दे के अनुसार विभाग का प्रशासकीय प्रमुख रहने से शिवकुमार के खिलाफ मृत दीपाली चव्हाण को होने वाली प्रताडना के सभी घटनाओं की जानकारी रहते हुए रेड्डी ने उसकी दखल लेना यह उनका कर्तव्य था. आवेदनकर्ता की यह हरकत भारतीय दंड सहित की कलम 107 के अनुसार उसके पक्ष में ‘गैरकानूनी’ कामों पर दुर्लक्ष करने जैसी है.

Related Articles

Back to top button