…तो अमरावती शहर में 3 दिन छोड़कर आया करेंगे नल
मौजूद पानी 130 एमलडी, मांग 252 की, लेकिन इतनी जलापूर्ति करने में जर्जर पाइप लाइन फूट सकती है

* अभी मिल रहा एक दिन बाद
अमरावती/दि.27– ग्रीष्मकाल की शुरुआत होते ही नागरिकों की तरफ से पानी की मांग बढ जाती है. यदि नल समयानुसार नियमित नहीं आये तो पेयजल के लिए हाहाकार मच जाता है. शहरवासियों को पानी की बढ़ती मांग की पूर्ण करने में मजीप्रा नाकाम हुई है. वर्तमान में अमरावती शहर को एक दिन बाद जलापूर्ति की जा रही है लेकिन कुछ दिनों में अमरावती शहर में 3 दिन आद नल आया करेंगे. मजीप्रा के उपअभियंता संजय लेवरकर ने इस बाबत संकेत देते हुए बताया कि, 130 एमएलडी जल उपलब्ध है, लेकिन मांग 252 एमएलडी पर पहुंच जाने के कारण यह नौबत आ गई है. जिससे अमरावती शहरवासियों को शुद्ध पेयजल के लिए अब तरसना पड़ संकता है.
मजीप्रा के अनुसार अमरावती शहर को जिस प्रकल्प से जलापूर्ति की जा रही है. उस अपर वर्धा बांध में फिलहाल 52 प्रतिशत जलभंडार है. इस पर्याप्त जलसंचय के बावजूद शहरवासियों को रोजाना पर्याप्त जलापूर्ति करने में पुरानी हो चुकी जर्जर पाइप लाइन सक्षम नहीं है. जिसके कारण अमरावती-बडनेरा शहर को जलापूर्ति करने के लिए पुरानी पाइप लाइन की क्षमता के अनुसार बांध से हर दिन 130 एमएलडी पानी की आपूर्ति की जा रही है. इतना पानी शहरवासियों की मांग पूर्ण करने में सक्षम नहीं हो रहा है, लेकिन मजीप्रा विवश है, क्योंकि 130 एमएलडी से अधिक जलापूर्ति करने पर पुरानी पाइप लाइन फूटने का डर है. यदि पाइप लाइन फूट जाती है, तो उसकी मरम्मत में 10-15 दिन लग जाएंगे. इस कारण इतने दिनों तक अमरावती और बडनेरा शहर प्यासा रह जाएगा. इससे पहले भी जर्जर पाइप लाइन फूटने से शहर में एक सप्ताह तक जलापूर्ति ठप हो गई थी. इसलिए जर्जर पाइप लाइन को देखते हुए जितना पानी आ रहा है, उसका नियोजन कर अमरावती-बडनेरा शहर को जलापूर्ति की जा रही है. जिसमें अमरावती शहर को एक दिन बाद और बडनेरा शहर को 3 दिन बाद जलापूर्ति की जा रही है. दूसरी ओर शहर में प्रतिमाह 3 से 4 हजार नये कनेक्शन का वितरण किया जा रहा है. जिससे पानी की बढती मांग को पूर्ण करना अब मजीप्रा के बस से बाहर हो गया है. इस पर उपाय के तौर पर अप्पर वर्धा से अमरावती तक लोहे की नई पाइप लाइन बिछाने का काम शुरु किया गया है, जो दो वर्ष में पूर्ण होगा. तब तक इस पर कोई उपाय नहीं है. इसलिए सभी नागरिकों ने पानी का इस्तेमाल सोच विचार कर करना चाहिए और अधिक से अधिक काम स्टोर कर रखना चाहिए. ऐसा आवाहन भी मजीप्रा के उप अभियंता संजय लेवरकर ने किया.