* रहाटगांव के पास फिर हुआ पाईपलाईन में लिकेज
* चार दिनों तक पानी से वंचित रहेंगे शहरवासी
* एक ही माह में दूसरी बार मचेगा पानी के लिए हाहा:कार
अमरावती/दि.10– अभी पिछले सप्ताह ही रहाटगांव के निकट जीवन प्राधिकरण की सिंभोरा से अमरावती तक पानी पहुंचानेवाली मुख्य पाईपलाईन में लिकेज हुआ था. जिसकी वजह से करीब एक सप्ताह तक अमरावती व बडनेरा शहर में जलापूर्ति पूरी तरह से ठप्प रही और जारी सप्ताह में सोमवार से ही जैसे-तैसे शहर के अलग-अलग इलाकों में एक बार फिर पहले की तरह एक-एक दिन की आड में जलापूर्ति करनी शुरू की गई. वहीं अब आज जीवन प्राधिकरण द्वारा एक बार फिर जानकारी दी गई है कि, रहाटगांव के निकट नेरपिंगलाई से जलशुध्दीकरण केंद्र तक पानी पहुंचानेवाली गुरूत्व जलवाहिनी में रहाटगांव के निकट लिकेज हो गया है. ऐसे में आज 10 जून को दोपहर बाद होनेवाली जलापूर्ति बंद रहेगी. साथ ही साथ 11 और 12 जून को भी अमरावती व बडनेरा शहर में जलापूर्ति नहीं की जा सकेगी. इसके बाद पाईपलाईन में हुए लिकेज की दुरूस्ती करने के बाद जलापूर्ति शुरू की जा सकेगी. ऐसे में जाहीर है कि, अभी पिछले सप्ताह ही पानी की भीषण किल्लत से जूझ चुके अमरावती शहर में अब एक बार फिर पानी को लेकर जबर्दस्त हाहा:कार मचने जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि, आज शहर के लोअर झोन में शामिल रहनेवाले इलाकों में जीवन प्राधिकरण द्वारा जलापूर्ति की जानी थी. किंतु अधिकांश इलाकों में दोपहर के बाद नल ही नहीं आये. लोअर झोन में शामिल इलाकों में इस माह सम संख्यावाली तारीखों पर जलापूर्ति की जा रही है. जिसका सीधा मतलब है कि, इन इलाकों में आज 10 जून को तो जलापूर्ति नहीं हुई, वहीं आगामी 12 जून को भी जलापूर्ति नहीं होनेवाली, ऐसे में अब सीधे 14 जून को लोअर झोनवाले इलाकों में नलों से पानी छोडा जायेगा, यानी इन इलाकों में 8 जून के बाद सीधे 14 जून को पानी की आपूर्ति होगी और इन इलाकों को पूरे 6 दिन तक जलकिल्लत का सामना करना पडेगा. वहीं अपर झोन में शामिल इलाकों में कल 11 जून को जलापूर्ति बंद रहेगी और यदि 11 व 12 जून के दरम्यान रहाटगांव में पाईपलाईन के लिकेज को दुरूस्त कर लिया गया, तो अपर झोनवाले इलाकों में 13 जून को नलों से आनेवाले पानी के दर्शन हो जायेंगे. लगातार पांच-छह दिनों तक जलकिल्लतवाली यह स्थिति विगत सप्ताह अपर झोनवाले इलाकों में थी. जब रहाटगांव में पाईपलाईन में हुए लिकेज की वजह से शुक्रवार 3 जून से जलापूर्ति बंद कर दी गई थी और अपर झोन में मंगलवार 7 जून को नलों से पानी छोड गया.
ज्ञात रहे कि, किसी समय अमरावती शहर को जलापूर्ति के लिहाज से विदर्भ क्षेत्र का सबसे शानदार व सुखी शहर माना जाता था. क्योेंकि यहां पर अपर वर्धा बांध की वजह से जीवन प्राधिकरण के जरिये नियमित जलापूर्ति की सुविधा रोजाना उपलब्ध होती थी. किंतु कालांतर में जीवन प्राधिकरण द्वारा नलों से रोजाना पानी छोडने की बजाय एक-एक दिन की आड लेेकर शहर को दो हिस्सों में विभाजीत करते हुए जलापूर्ति करनी शुरू की गई. इसमें भी अब रही-सही कसर पुरानी और जर्जर हो चुकी पाईपलाईनों द्वारा पूरी की जा रही है. क्योेंकि आये दिन सिंभोरा से लेकर अमरावती के बीच डाली गई पाईपलाईन में कहीं न कहीं कोई लिकेज हो जाता है. ऐसे में दो-दो दिन तक शहर की जलापूर्ति बंद रहती है. कहने को यह जलापूर्ति दो दिन के लिए बंद रहती है, लेकिन इसके बाद जीवन प्राधिकरण द्वारा पुरे शहर को एकसाथ पानी उपलब्ध नहीं कराया जाता, बल्कि ‘मेरी मूर्गी की एक टांग’ की तर्ज पर अपने द्वारा तय की गई ‘एकी-बेकी’ के हिसाब से सम व विषय संख्या के आधार पर ही शहर के अपर झोन व लोअर झोन में जलापूर्ति की जाती है. जिसकी वजह से संबंधित क्षेत्रों के नागरिकों को लगातार 4 से 6 दिन तक पानी से वंचित रहना पडता है और लोगबाग बूंद-बूंद पानी के लिए दर-बदर भटकने को मजबूर हो जाते है.
* प्रशासन सहित जनप्रतिनिधि गहरी नींद में गाफिल
विशेष उल्लेखनीय है कि, इस वर्ष जहां एक ओर मार्च से लेकर मई माह तक गर्मी का भीषण कहर रहा. वहीं दूसरी ओर जीवन प्राधिकरण से होनेवाली जलापूर्ति इस भीषण गर्मी में अनेकों बार खंडित रही. ऐसे में लोगों के पास कूलर चलाने और नहाने तो दूर, पीने तक के लिए पानी की व्यवस्था नहीं थी. जिसकी वजह से भीषण गर्मी में सूखे नलों के सामने प्यासे लोग त्राहीमाम् करने लगे. किंतु लगता है शायद इन समस्याओं से स्थानीय प्रशासन सहित शहर से वास्ता रखनेवाले जनप्रतिनिधियों का कोई लेना-देना नहीं है. विगत सप्ताह शुक्रवार से लेकर सोमवार तक जलापूर्ति बंद रहने के दौरान किसी भी जनप्रतिनिधि द्वारा जीवन प्राधिकरण को आडे हाथ नहीं लिया गया. बल्कि सोमवार की दोपहर बाद शहर में जलापूर्ति शुरू होने के पश्चात कुछ राजनीतिक दलों ने मजीप्रा कार्यालय पहुंचकर आंदोलन करने की खानापूर्ति जरूर की थी. लेकिन इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ. क्योंकि जीवन प्राधिकरण की पाईपलाईन एकबार फिर फूट गई है और अब अगले चार-पांच दिनोें तक शहर में एक बार फिर जलापूर्ति बंद रहेगी.
* क्यों फूट रही है बार-बार पाईपलाईन?
– मजीप्रा की लापरवाही या अनदेखी?
ज्ञात रहे कि, अमरावती शहर की पानी से संबंधित जरूरतों को देखते हुए और अमरावती शहरवासियों को शुध्द पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मोर्शी के पास सिंभोरा में वर्धा नदी पर अपरवर्धा बांध साकार करने के साथ ही इस बांध से अमरावती शहर तक पाईपलाईन डाली गई थी. जिसके जरिये पानी को शहर में स्थित जलशुध्दीकरण केंद्र तक लाया जाता है और यहां से शहर के अलग-अलग इलाकों में बनाई गई पानी की बडी-बडी टंकियों तथा जमीन के भीतर बिछाई गई पाईपलाईन के जरिये शहरवासियों के घरों तक जलापूर्ति की जाती है. यह पूरी व्यवस्था करते समय ही स्पष्ट कर दिया गया था कि, अपर वर्धा बांध से अमरावती शहर तक डाली गई पाईपलाईन की कार्य अवधि वर्ष 2024 तक है. यानी गुजरते समय के साथ-साथ इस पाईपलाईन का खराब होना पहले से तय था. ऐसे में जीवन प्राधिकरण द्वारा काफी पहले से नई पाईपलाईन डालने के बारे में आवश्यक नियोजन किया जाना जरूरी थी. परंतू नियोजन के अभाव, अधिकारियों कीलापरवाही व कोताही तथा काफी हद तक ठेकेदारों की मनमर्जी जैसी वजहों के चलते शायद ही कभी वर्ष 2024 से पहले इस पाईपलाईन को बदलने अथवा नई पाईपलाईन डालने के बारे में सोचा गया. संभवत: यहीं वजह है कि, विगत अनेक वर्षों से जमीन के भीतर डाली गई मुख्य पाईपलाईन अब पानी के बहाव और दबाव को सहन नहीं कर पा रही है तथा आये दिन कहीं न कहीं पाईपलाईन में लिकेज हो रहे है. जिसका खामियाजा अमरावती के आम नागरिकोें को भुगतना पड रहा है.
* पानी मिलता है 15 दिन, बिल पूरे महिने का
सर्वाधिक हैरतवाली बात तो यह है कि, जब जीवन प्राधिकरण द्वारा रोजाना जलापूर्ति की जाती थी, उस वक्त प्रतिमाह पानी का जितना बिल आता था, आज भी लगभग उतना ही बिल आता है. जबकि इन दिनों ‘एकी-बेकी’ यानी एक-एक दिन की आड के हिसाब से महिने में केवल 15 दिन ही पानी छोडा जाता है. साथ ही कई बार तीन-तीन चार दिन जलापूर्ति पाईपलाईन व देखभाल दुरूस्ती के नाम पर बंद रखी जाती है. यानी कुल मिलाकर जीवन प्राधिकरण द्वारा प्रतिमाह औसत 11 से 13 दिन ही जलापूर्ति की जा रही है. लेकिन पानी का बिल पहले की तरह ही पूरे महिने का वसूल किया जा रहा है. यह एक तरह से अमरावती शहरवासियों पर दोहरी मार है.