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फिर सरकार छात्रवृत्ति क्यों रोकती है?

संस्था संचालकों का प्रश्न

* कर्मचारियों के वेतन परस्पर दें
अमरावती/दि.13- पिछडा वर्ग विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति प्रलंबित रहने से संस्था चालक और सरकार के बीच शीत युद्ध चल रहा है. सरकार ने छात्रवृत्ति प्रलंबित रहने पर भी कोई कागजात अडाकर रखने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने महाविद्यालयों पर कार्रवाई का संकेत दिया है. जिस पर संस्था चालकों ने नाराजगी व्यक्त की है. उन्होंने मांग की कि सरकार अध्यापक, शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के वेतन सीधे उनके खाते में ट्रांसफर कर दें. लोनिवि के नियमानुसार इमारतों का किराया और मूलभूत सुविधाओं का खर्च देने की मांग भी उठाई है.
* बाद में विद्यार्थी को कहां ढूंढे!
सरकार की नई नीति अनुसार पिछडा वर्ग विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति उनके खाते में ऑनलाइन जमा होती है. कुछ विद्यार्थी नियमित रुप से प्रवेश शुल्क जमा कराते हैं. कुछ विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति नहीं मिलने का बहाना करने की आदत होती है. ऐसे विद्यार्थियों को बाद में संस्था कहां खोजने जाएगी. यह प्रश्न संस्था संचालकों ने उठाया और कहा कि सरकार विद्यार्थियों की महाविद्यालय की फीस की रकम काट लें और बाकी पैसे ऑनलाइन रुप से खाते में जमा कर दें.

* क्या कहते हैं संस्था चालक
सरकार की छात्रवृत्ति की देय राशि कहीं नहीं जाती. विद्यार्थी और महाविद्यालय ऐसा संयुक्त रुप से संयुक्त लॉग इन है. विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति बाकी रहने पर आगे की प्रक्रिया रुक जाती है. जिसमें सभी के वेतन प्रलंबित हो जाते है. पीएफ, ईएमआई पर परिणाम होता है. इसलिए नियमित छात्रवृत्ति की रकम दी जाए, यह एक मात्र सही, सरल रास्ता है.
– डॉ. नितिन धांडे,
अध्यक्ष विदर्भ यूथ वेलफेयर सोसायटी, अमरावती

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