… तो किराणे से ज्यादा खर्च पानी पर करना पडेगा
प्रत्येक घर में रहने वाले बोअरवेल से जिले में भूगर्भ हुआ छलनी
अमरावती/ दि.27 – इस बार जिले में औसत से अधिक बारिश होने के चलते भूजल का पुनर्भरण अच्छे से हुआ है. जिसकी वजह से इस समय भूजल स्तर की स्थिति समाधानकारक है, लेकिन भविष्य की दृष्टि से बारिश के पानी को भूगर्भ में पहुंचाने व संचित रखने की सख्त जरुरत है. क्योंकि यदि भूगर्भिय जल का स्तर नहीं बढता है, तो भविष्य में पानी के लिए किराणे से भी अधिक पैसा खर्च करना पडेगा, ऐसी स्थिति जिले पर आ सकती है.
बता दे कि, विगत एक दशक से अमरावती जिले में भूजल स्तर लगातार घट रहा है. अपवाद को छोडकर विगत 2-3 वर्षों के दौरान जलयुक्त शिवार अभियान के चलते कुछ प्रमाण में पानी को भूगर्भ तक पहुंचाने का काम हुआ. साथ ही विगत दो वर्ष के दौरान औसत से अधिक बारिश होने की वजह से भी भूजल स्तर में सुधार हुआ, लेकिन इसके बावजूद विगत वर्ष मार्च माह के दौरान जिले में जलकिल्लत की समस्या देखी गई. जानकारी के मुताबिक इन दिनों प्रत्येक घर में बोअरवेल उपलब्ध हो गया है, लेकिन इसकी वजह से भूगर्भ की एक तरह से छलनी हो गई है. साथ ही भूगर्भिय जल का बेतहाशा दोहन हो रहा है. जिसके चलते पर्याप्त व समाधानकारक बारिश के बावजूद भुगर्भिय जल का स्तर उंचा नहीं उठ पा रहा है. ऐसे में प्रत्येक घर में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग रहना बेहद जरुरी है, लेकिन इसकी भी अनदेखी की जा रही है. जिसके चलते भविष्य में पानी की जमकर किल्लत हो सकती है.
भूगर्भिय जल के सतत दोहन की वजह से मोर्शी व वरुड तहसील में भूजल स्तर तेजी से घटा है. लगभग यहीं स्थिति अचलपुर व चांदूर बाजार तहसीलों मेें भी है. वहीं विगत दो वर्षों के दौरान भूजल पुनर्भरण होने के चलते इन तहसीलों को कुछ प्रमाण में राहत मिली है, लेकिन यहां पर सातत्यपूर्ण उपाय किये जाने की जरुरत जताई जा रही है.
भूजल स्तर घटने के कारण
प्रत्येक घर व खेतों में रहने वाले बोअरवेल की वजह से भूगर्भिय जल का बेतहाशा दोहन हुआ है. जिसके चलते भूजल स्तर में तेजी से कमी आयी है.
बारिश के पानी को जगह-जगह पर रोका जाना आवश्यक है, लेकिन ऐसा नहीं करने की वजह से बारिश का पानी जमिन की सतह की उपर से बह जाता है और जमीन के भीतर पानी का रिसाव होकर भूगर्भ में जल पुनर्भरण नहीं हो पाता.
क्या करना जरुरी
– खेतों से बारिश का पानी बहकर न निकल जाए, इस हेतु ढलान वाले स्थान पर तिरछी बुआई करनी चाहिए.
– मूल स्थान पर जलसंवर्धन करने के साथ ही जगह-जगह पर बांध बनाना जरुरी है.
– प्रत्येक घर में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग करना अनिवार्य किया जाए. जिसके लिए प्रशासन व्दारा आवश्यक कदम उठाने के साथ ही उचित कार्रवाई करना जरुरी.
– नदी नालों पर बांध बनाना जरुरी है. साथ ही पानी के असिमित प्रयोग पर भी नियंत्रण लगाए जाने की जरुरत.
जीएसडीए व्दारा जानकारी देने से इन्कार
भूजल का सर्वेक्षण करते हुए इससे संबंधित जानकारी दर्ज करने वाले सरकारी विभाग व्दारा भूजल स्तर के संदर्भ में काफी गोपनीयता रखी गई है. इस विभाग व्दारा किये गए जलयुक्त के कामों से भूजल स्तर इतना बढा और इस काम में कितनी सरकारी निधि खर्च हुई, इसे लेकर अब अच्छी-खासी चर्चाएं चल रही है.
पांच वर्ष में 1.77 मीटर से घटा भूजल स्तर
विगत दो वर्षों के दौरान अगस्त व सितंबर माह में औसत से अधिक बारिश होकर भूजल पुनर्भरण होने के चलते भूजल स्तर में वृध्दि हुई. लेकिन इसके बावजूद भूगर्भिय जल का बेतहाशा दोहन व अमर्यादित प्रयोग होने के चलते भूजल स्तर की स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ है. पांच वर्ष पहले जिले में भूजल का औसत स्तर 7.39 मीटर था. जो इस समय 5.62 मीटर है.
चांदूर बाजार तहसील में सबसे अच्छी स्थिति
विगत दो वर्षों के दौरान सबसे कम भूजल स्तर रहने वाले चांदूर बाजार व अचलपुर तहसील में इस बार भूजल की स्थिति जिले में सबसे शानदार है. विगत दो वर्षों के दौरान औसत से अधिक बारिश होने के चलते इन दोनों तहसीलों को राहत मिली है और इन दोनों तहसीलों में भूजल स्तर कुछ हद तक बढा हुआ दिखाई दे रहा है, लेकिन इन्हीं दोनों तहसीलों में कभी भूजल स्तर सबसे कम ही हुआ करता था. ऐसे में यहां पर सातत्यपूर्ण उपाय किये जाने की जरुरत है.
सबसे बुरी स्थिति मेलघाट में
पहाडी इलाका रहने वाले मेलघाट क्षेत्र में उंचे पहाडों से बारिश का पानी तेजी के साथ नीचे की ओर बह जाता है. जिसके चलते चिखलदरा व धारणी तहसील में भूजल स्तर सबसे कम रहता है और इन दोनों तहसीलों में गर्मी का मौसम शुरु होने से पहले ही जलकिल्लत की समस्या महसूस होनी लगती है.
पानी के बेतहाशा प्रयोग पर नियंत्रण रखना जरुरी है. इसके अलावा प्रत्येक घर में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग को भी अनिवार्य तौर पर कराया जाना चाहिए, ताकि बारिश का पानी यूं ही न बहे और उसका भूगर्भ में पुनर्भरण हो. इसके तहत रेन वॉटर हार्वेस्टिंग नहीं रहने पर नए बोअरवेल की अनुमति भी नहीं दी जानी चाहिए.
– प्रवीण राउत, जलविशेषज्ञ
भूजल स्तर की तुलनात्मक स्थिति (मीटर में)
तहसील पांच वर्ष दौरान जारी वर्ष दौरान
अमरावती 3.51 2.00
भातकुली 6.50 4.00
नांदगांव खं. 2.83 2.46
चांदूर रेलवे 2.84 2.17
तिवसा 3.20 1.20
मोर्शी 4.60 3.50
वरुड 5.80 3.53
अचलपुर 26.80 22.50
चांदूर बाजार 16.22 11.25
दर्यापुर 9.98 8.20
अंजनगांव 15.40 13.30
धारणी 2.20 2.10
चिखलदरा 1.08 0.88
धामणगांव 2.50 1.60
कुल 7.39 5.62