अमरावती

जिले में जलस्त्रोत के 288 नमूने हैं प्रदूषित

7871 में से 6319 सैम्पलों की हुई थी जांच

अमरावती/दि.5- स्थानीय जिला परिषद द्वारा जलजीवन मिशन अंतर्गत पहली बार महिलाओं का सहयोग लेते हुए 840 ग्रामपंचायत क्षेत्रों में स्थित 7 हजार 871 जलस्त्रोतों के सैम्पलों की जांच की गई. जिसकी रिपोर्ट अब जिला परिषद को मिल गई है. जिसके अनुसार 11 तहसीलों में कुल 288 जलस्त्रोतों के सैम्पलों को दूषित पाया गया. ऐसी जानकारी सामने आयी है.
जानकारी के मुताबिक जलजीवन मिशन अभियान अंतर्गत पानी की गुणवत्ता के संनियंत्रण व सर्वेक्षण कार्यक्रम के माध्यम से जलस्त्रोतों के सैम्पल एकत्रित करते हुए उनकी जांच का काम केंद्र सरकार ने जिला परिषद को सौंपा था. जिसके चलते एक ही दिन के दौरान 840 ग्राम पंचायतों में स्थित 7 हजार 871 जलस्त्रोतों से पानी के सैम्पल लेकर उनकी जांच करने का अभियान जिला परिषद द्वारा चलाया गया और इस अभियान के तहत 7 हजार 871 में से 6 हजार 319 जलस्त्रोत के सैम्पलों की जांच की गई. जिसके लिए सीईओ अविश्यांत पंडा व उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीराम कुलकर्णी जिले के विभिन्न गांवों में जाकर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं से इस कार्य में सहयोग देने का आवाहन किया और महिलाओं द्वारा दिये गये सहयोग के चलते जिला परिषद के अधिकारियोें व कर्मचारियों ने 20 व 21 मार्च को जलस्त्रोत के सैम्पलों की जांच की थी. जिसकी रिपोर्ट 22 मार्च को ही आनी थी, लेकिन इसमें कुछ विलंब हो गया और अब 14 पंचायत समितियों के गट विकास अधिकारियों के जरिये जिला परिषद को यह जांच रिपोर्ट मिल गई है. जिसके मुताबिक जिले में 288 जलस्त्रोत के सैम्पलों को दूषित पाया गया है.

* 80 फीसद सैम्पलों की हुई जांच
जिप अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा इकठ्ठा किये गये कुछ सैम्पलों में से 80.28 फीसद सैम्पलों की जांच की गई और 7 हजार 871 में से 6 हजार 319 जलस्त्रोतों की जांच में 288 जलस्त्रोत दूषित मिले. जिनमें मोर्शी के 4, अमरावती के 8, वरूड के 4, नांदगांव खंडेश्वर के 4, भातकुली के 38, तिवसा के 59, चांदूर बाजार के 7, धामणगांव रेल्वे के 76, अचलपुर के 29, चांदूर रेलवे के 23 तथा अंजनगांव सूर्जी के 36 जलस्त्रोत दूषित पाये गये है.

जिले में 288 जलस्त्रोतों का पानी दूषित रहने की रिपोर्ट मिलने के बाद संबंधित ग्राम पंचायतों को निर्देश देकर लगातार आठ दिनों तक डबल ब्लिचिंग पाउडर का उपयोग करने हेतु कहा गया है. जिसके बाद संबंधित जलस्त्रोतों की दुबारा जांच की जायेगी और इसके बाद ही तय किया जायेगा कि, इन जलस्त्रोतों का पानी पीने योग्य है अथवा नहीं.
– श्रीराम कुलकर्णी
उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिप, अमरावती.

Related Articles

Back to top button