शहर में ओरल कैंसर के 3 हजार रोगी
बच्चों और युवाओं में बढ रहा तंबाखू सेवन जिम्मेदार
* कल विश्व तंबाखू निषेध दिवस
* प्रति एक लाख दुगुने हो गए मरीज
अमरावती/दि.30- तंबाखू निषेध दिवस मनाने की विश्व की प्रथा है. मगर यह रस्म अदायगी जैसा बन गया है. सरकार के लाख प्रयासों के बावजूद तंबाखू का सेवन कम होने का नाम नहीं ले रहा. जिसके कारण अमरावती जैसे छोटे शहर में ही मुख के कर्करोग के 3 हजार के करीब मरीज होने का भयंकर खुलासा कैंसर तज्ञ डॉ. राजेन्द्र सिंह अरोरा ने किया. अमरावती मंडल से तंबाखू विरोधी दिवस की पूर्व संध्या बातचीत में डॉ. अरोरा ने बताया कि युवाओं में मुख कैंसर के मामले बढ रहे है. यह अधिक चिंता का विषय है. उन्होनें बताया कि महिलाएं भी तंबाखू का सेवन करने से बाज नहीं आ रही. इस बातचीत में डॉ. अरोरा ने तंबाखू की वजह से बढ रहे मरीजों की संख्या का भयावह आंकडा दिया. साथ ही यह भी कहा कि लोग अभी भी सुन नहीं रहे हैं. समझ नहीं रहे हैं. यह चिंता वाली बात है.
35-40 की उम्र में रोग
अमरावती के कैंसर अस्पताल के प्रमुख सर्जन और अब तक सैकडों सर्जरी कर चुके डॉ. अरोरा ने यह भी बताया कि पहले 60 वर्ष के बाद की उम्र में कैंसर डिटेक्ट होता था. अब यह एज गु्रप 35-40 वर्ष तक कम हो गया है. अमरावती में पहले 1 लाख लोगों में मुश्किल से ढार्ई सौ मरीज मुख कैंसर या लंग कैंसर के मिलते थे. अब यह आकडा 400-500 हो गया है. लोग तंबाखू सेवन से बाज नहीं आ रहे हैं.
हर माह 12-15 सर्जरी
डॉ. अरोरा के अनुसार उन्होनें 2003 में अस्पताल शुरू किया था. उस समय महीने में मुश्किल से चार पांच सर्जरी करनी पडती थी. अब तो यह संख्या 12-15 सर्जरी हो गयी है. इसी माह 18 सर्जरी होने की जानकारी देते हुए डॉ. अरोरा ने बताया कि 60-70 कैंसर ग्रस्तों की रेडियों थैरेपी भी हो रही है. उन्होनें यह भी बताया कि सरकारी अस्पताल और पीडीएमएमसी का आकडा अलग हैं. जिससे स्पष्ट है कि अमरावती जैसा छोटे शहर में भी कर्क रोग पांव पसार रहा है.
डॉ. अरोरा ने बताए उपाय
कैंसर की रोकथाम के लिए जागरुकता बडा हथियार है. जितनी जागृति की जाएगी. उतनी अधिक युवा पीढी को तंबाखू सेवन से रोका जा सकेगा. उन्होनें प्रश्न के उत्तर में कहा कि गुटखा पर पाबंदी केवल नाम के लिए लगी है. जबकि असल में कई सरकारी अफसर ही धडल्ले से उनके कार्यालय परिसर में ही गुटखा सेवन करते नजर आते हैं. डॉ. अरोरा के अनुसार 15-16 वर्ष की आयु में जब युवा जूनियर कॉलेज में पढते हैं तो इस उम्र में तंबाखू सेवन, सिगरेट की लत लगती है. यहीं से उन्हें रोकना आवश्यक और प्रभावी होगा. कैंसर विशेषज्ञ सर्जन ने बताया कि 23-24 वर्ष की आयु तब बुरी आदतों से बचे रहने के बाद शेष उम्र में ऐसी कोई आदत नहीं लगती.
25 प्रतिशत मरीज महिलाएं
जब डॉ. अरोरा से पूछा गया कि महिला वर्ग में भी मुख कैंसर के मरीज है क्या? उन्होेंने तुरंत कहा कि 25 प्रतिशत मरीज महिलाएं है. बेशक महिलाओं में भी गुटखा सेवन की आदतों के कारण रोग बढ रहा है.
अनेक के नहीं खुलते मुंह
डॉ. अरोरा ने बताया कि शहर में हजारों रोगी है. जिनके मुंह खुलना बंद हो गये हैं. वे कहां तक आंकडे दे. हमारे पास तो घर के लोग मरीज को मुंह में छाले होना, मुंह खुलना बंद होने की शिकायत बढने पर लेकर आते है. तब जांच में ओरल कैंसर के सिंटम्स दिखाई देते है. उपरांत उपचार शुरू हो पाता है. तथापि कैंसर तज्ञ ने बताया कि कई मरीज सर्जरी पश्चात परहेज रखकर जीवन जीते हैं.