अमरावतीमहाराष्ट्र

ग्रामीण क्षेत्रों में फर्जी डॉक्टरों की भरमार

मेलघाट में प्रमाण अधिक, आदिवासियों के भोलेपन का उठाते है फायदा

अमरावती /दि.11– किसी भी व्यक्ति को बीमार पडने पर डॉक्टर की सलाह व इलाज की जरुरत पडती है. अमूमन गांव में ही डॉक्टर उपलब्ध रहने और गांव के डॉक्टर द्वारा सस्ती दरों पर इलाज किये जाने के चलते गांव के लोगबाग गांव के ही डॉक्टर के पास अपना इलाज कराने के लिए पहुंचते है. परंतु कई बार गांव में प्रैक्टीस करने वाले डॉक्टरों के पास किसी भी मान्यता प्राप्त विद्यापीठ की डिग्री या वैद्यकीय व्यवसाय से संबंधित प्रमाणपत्र नहीं होता, ऐसे झोलाछाप व फर्जी डॉक्टरों की संख्या जिले के आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र में काफी अधिक है. जहां पर ऐसे नकली डॉक्टरों द्वारा भोले भाले आदिवासियों द्वारा की अज्ञानता का जमकर फायदा उठाया जाता है.
उल्लेखनीय है कि, अलग-अलग मौसम के दौरान वातावरण में होने वाले बदलाव की वजह से कई बीमारियां पांव पसारती है. जिनकी चपेट में आने पर इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाना पडता है. शहर में डॉक्टर के पास जाने हेतु लगने वाले समय और विविध तरह की जांच में होने वाले खर्च से डॉक्टरों की भारी भरकम फिस के चलते ग्रामीण क्षेत्र के लोगबाग सर्दी, खांसी व बुखार जैसी बीमारियों के लिए गांव के ही डॉक्टर से दवाईयां लेकर अपना काम चला लेते है, लेकिन यदि डॉक्टर ही मान्यता प्राप्त व उच्च शिक्षित न हो, तो इसके दुष्परिणाम भी मरीजों को भुगतने पडते है.

* गांव में डॉक्टरों के पास डिग्री व रजिस्टेशन महज नाम के लिए
इन दिनों प्रत्येक गांव में कम से कम एक दवाखाना तो दिखाई देता ही है. गांव में ही दवाखाना उपलब्ध रहने के चलते लोगबाग गांव में ही अपना इलाज कराना पसंद करते है. लेकिन गांव में दवाखाना चलाने वाले डॉक्टर के पास डिग्री व रजिस्ट्रेशन वैध है अथवा नहीं, इसकी कभी कोई पडताल ही नहीं होती. जिसके चलते गांव-खेडों में बोगस डॉक्टरों का जमकर बोलबाला चल रहा है. इसमें भी मेलघाट क्षेत्र में तो बोगस डॉक्टरों का प्रमाण सबसे अधिक है.

* पूरा खेल पेनकिलर की दवाओं पर
ग्रामीण क्षेत्र में प्रैक्टीस करने वाले बोगस डॉक्टरों द्वारा सभी तरह की बीमारियों में इलाज के तौर पर वेदनाशामक यानि पेनकिलर की गोलियां दी जाती है. जिनके सेवन से मरीज को तुरंत आराम भी महसूस होता है. ऐसे में इस तरह के फर्जी डॉक्टरों की दुकान चलती रहती है.

* आयुर्वेद व जडी-बुटी के नाम पर तंबू में इलाज
शहर के आसपास खाली पडी जमीनों पर तथा गांव-खेडों में कुछ परप्रांतिय बोगस डॉक्टरों द्वारा अपना तंबू लगाते हुए आयुर्वेदिक दवाओं व जडी बुटियों के नाम पर मरीजों का इलाज किया जाता है और दवाओं के नाम पर हजारों रुपए वसूले जाते है. जबकि ऐसे डॉक्टरों की भी कोई वैधता नहीं होती तथा उनके द्वारा किये जाने वाले इलाज की कोई गारंटी भी नहीं होती.

* दुर्धर बीमारियों को ठीक करने का दावा
अपना व्यवसाय जमकर चलाने हेतु तथा अधिक से अधिक पैसे कमाने हेतु आज-कल मरीजों की जान के साथ मानो खिलवाड ही चल रहा है. जिसके तहत कई फर्जी डॉक्टरों द्वारा कई मरीजों की दुर्धर बीमारियों को ठीक करने का दावा भी किया जाता है और उनके झांसे में आकर कई पढे-लिखे लोग भी फंस जाते है.

* पहले कम्पाउंडर फिर डॉक्टर!
गांव-खेडे में फर्जी डॉक्टर के तौर पर प्रैक्टीस करने वाले कई लोग इससे पहले कुछ दिनों तक किसी निजी डॉक्टर के यहां कम्पाउंडर के तौर पर काम करते है. जहां पर इंजेक्शन देने के तरीके और कुछ दवाईयों के नाम की जानकारी व इलाज से संबंधित कौशल्य को थोडा बहुत सिखने के बाद बिना डिग्री के ही अपना दवाखाना खोलते हुए खुद ही डॉक्टर बनकर मरीजों का इलाज करना शुरु कर देते है. ऐसा चित्र जिले के ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में दिखाई देता है.

* जिले में फर्जी डॉक्टरों को लेकर कुछ शिकायतें प्राप्त हुई थी. जिसके अनुसार संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई. आम नागरिकों ने भी अपना इलाज करने वाले डॉक्टर की डिग्री व रजिस्ट्रेशन को लेकर पडताल करनी चाहिए और इसे लेकर कोई भी संदेह होने पर शिकायत दर्ज करानी चाहिए.
– डॉ. सुरेश आसोले,
जिला स्वास्थ्य अधिकारी,
अमरावती, जिप.

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