अमरावती/दि.१९ – कोरोना महामारी से भयभीत त्रस्त जनता को महावितरण कंपनी ने बिजली बिलों में बढोतरी कर अच्छाखास झटका दे दिया है, ऐसे में कोरोना के साथ ही अन्य बीमारियों में बढोत्तरी होने से दवाईयों की मांग भी बढ गई है. सर्दी, खांसी जुकाम, एंटी बायोटीक, संक्रामक बीमारियों के इलाज की औषधियां, बीपी, शूगर की दवाइयों के दामों में १० से १२ फीसदी बढोत्तरी की गई है. फिलहाल रॉ मटेरियल के दाम बढने के चलते औषधियों के दामों में इजाफा होने का दावा किया जा रहा हैं, जिस समय लोगों को दवाओं की बहुत अधिक जरुरत है ऐसे समय में ही दवाओं की कीमतें बढने से पहले से ही कोरोना के कारण बेरोजगारी का सामना कर रही जनता का हाल बेहाल हो गया है, उपर से सभी जीवनावश्यक वस्तुओं की बढती कीमतों के दामों ने आसमान छू लिया है. इस वजह से नागरिक और बर्बादी के कगार पर पहुंच गई है.
रॉ-मटेरियल की कीमतें बढने से दिक्कतें
रॉ-मटेरियल के रेट में बढने से इसका एमआरपी पर अधिक फर्क नहीं पडेगा. ड्रग्स बाइट कंट्रोल एक्ट के अनुसार ही प्रतिवर्ष एमआरपी के रेट बढाये जाते हैं, जिससे अधिक रेट बढाने का अधिकार कंपनियों को भी नहीं है. हाल फिलहाल में चायना के साथ जो विवाद उत्पन्न हुआ है, चायना के साथ चल रहे विवाद के चलते औषधियों की कीमतों में वृध्दि हुई है क्योंकि रॉ मटेरियल चायना से ही आता है. उन्होंने ३०० प्रतिशत दाम बढाये हैं, उसकी तुलना में सरकार ने केवल ८ से १० प्रतिशत ही दाम बढाये हैं, जो नहीं के बराबर है.
– सौरभ मालाणी, अध्यक्षा केमिस्ट एण्ड ड्रगिस्ट
सरकारी दरों को नियंत्रण करें
अस्पताल चार्जेंस पर जिस तरह से शासन ने दरें निर्धारित कर सूची जारी की है उसी तरह दवाओं पर भी कैपिंग लगाना चाहिए, ताकि दवाओं की कीमतें ना बढने पाये. ऑ्नसीजन के दाम तय करना बहेत जरुरी है. अलग-अलग कीमत से मरीजों की लूट होती है और लोगों में संभ्रम उत्पन्न होता है. कोरोना काल में तो ४० हजार रुपए के इंजे्नशन पर टैक्स घटा दिया जाता है, तो वह इंजेक्शन २५ हजार रुपए में ही मरीजों को प्राप्त हो सकता है, आखिरकार यह भी जन सेवा ही है. सरकार के पास भी चाबियां है, उन्हें बस खोलने की देर है.
– अनिल रोहणकर, अध्यक्ष आईएमए
कीमतें बढी, अधिक फर्क नहीं पडेगा
मेडिकल की संपूर्ण औषिधयाों के दाम नहीं बढे है, जिसमें एन्टी बायोटिक समेत कुछ ही के दाम बढ गए है, जिससे अधिक फर्क नहीं पडेगा. नये-नये एमआरपी का माल प्राप्त हो रहा है, परंतु लोगों को दवाइयों की जरुरत होती है तो वह कम नहीं पडना चाहिए यह पहली प्राथमिकता रहेगी.
– सुरेश जैन, अध्यक्ष महानगर चेंबर
गरीब जनता पर पडेगा असर
औषधियों के दाम बढे हैं. कीमतें बढना आम बात हो गई हैं, परंतु समय गलत चल रहा है. गरीब तबके के लोगों पर इसका असर ज्यादा होगा. रोजाना लगने वाली बीपी, शूगर की दवा समेत अन्य औषधियों की कीमतें बढ गई हैं. ९६ प्रतिशत दवाईयां बनाने में भारत ही सक्षम है मगर ५ प्रतिशत दवाईयों का रॉ मटेरियल चायना से आता है, जिसके चलते दाम सर्वाधिक बढे हैं.
– प्रमोद भारतीय, सचिव केमिस्ट एण्ड ड्रगिस्ट