* कुपोषण निर्मूलन के लिए ग्राम बाल विकास केंद्र प्रभावी साबित होंगे
* जि.प. सीईओ अविश्यांत पंडा का विश्वास
अमरावती/दि.20- मेलघाट में ‘मिशन ऽ28’ जैसे विशेष अभियान और सुक्ष्म नियोजन के कारण पिछले पांच साल में कुपोषित बालकों की संख्या में कमी आयी है. बालमृत्यु व मातामृत्यु का प्रमाण भी कम हुआ है. आगे भी लगातार अभियान व ग्राम बालविकास केंद्र के जरिए जांच, आहार व उपचार के प्रयास कुपोषण निर्मूलन के लिए प्रभावी साबित होने का विश्वास जि.प.के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अविश्यांत पंडा ने व्यक्त किया.
मेलघाट में पिछले पांच साल से कुपोषण में कमी आ रही है. वर्ष 2020 में 456 कुपोषित बालक थे. यह आंकड़ेवारी वर्ष 2022 में 213 तक और मई 2023 तक 205 पर पहुंच गई. बालमृत्यु की संख्या वर्ष 2019 में 246, 2020 में 213, 2021 में 195, 2022 में 175 और 2023 में अब तक 19 के मुताबिक कम होती गई है. मातामृत्यु में भी भारी मात्रा में कमी आने की जानकारी जि.प.महिला व बालविकास अधिकारी कैलाश घोडके ने दी.
मेलघाट में मुख्य कार्यकारी अधिकारी के मार्गदर्शन में जनवरी 2022 से ‘मिशन ऽ28’ चलाया जा रहा है, इसमें बालकों का जन्म होने के पूर्व 28 दिन और बालकों का जन्म होने के बाद 28 दिन की कालावधि में बालकों के घर भेंट देकर जांच की जाती है. इस कालावधि में बालमृत्यु का प्रमाण अधिक रहता है. इस कारण यह अभियान शुरु किया गया. प्रकृति बाबत जोखिम रही माताओं के घर अंगनवाड़ी सेविका और आशा वर्कर हर दिन भेंट देती है. गर्भवती महिला और स्तनदा माता का समुपदेशन किया जाता है. उनकी हर दिन नोंद लेकर आवश्यकता के मुताबिक उपचार होता है. पहले घर पर प्रसूति होने का प्रमाण 70 फीसद था. अब वह 6 फीसद पर आ गया है. कम वजन और मध्यम कुपोषित बालक तीव्र कुपोषण न जाने के लिए पेसा फंड इस्तेमाल कर कम वजन के करीबन 4 हजार बालकों को ग्राम बालविकास केंद्र में दाखिल किया गया है. ऐसे उपक्रम चलाने वाला अमरावती यह एकमात्र जिला है. इस कारण आगामी मानसून में कुपोषित बालकों की संख्या कम होने का विश्वास प्रशासन को है.महिला बालविकास विभाग के जरिए बालकों को सकसपूरक आहार, माताओं को अमृत आहार,मध्यम कुपोषित बालकों के लिए ग्राम बालविकास केंद्र, तीव्र कुपोषित बालकों को अधिक आहार, बालकों को अंड़े का वितरण,स्वास्थ्य विभाग के जरिए प्रत्येक बालक की स्वास्थ्य जांच, हर वर्ष अप्रैल और जून माह में जोन सर्वेक्षण द्वारा माता और बालक की सुक्ष्म जांच, बाल रोग तज्ञों की सेवा, प्रत्येक उपकेंद्र में नर्स, बाल स्वास्थ्य अधिकारी प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर बाल उपचार केंद्र, पोषण पुनर्भरण केंद्र, बालक और माता का समय पर टीकाकरण आदि उपाय लगातार चलाये जा रहे हैं.