मनपा व जिप की सत्ता के लिए भाजपा व कांग्रेस में जबरदस्त रस्साकशी
अब तक मनपा में भाजपा व जिप में कांग्रेस की थी सत्ता

* दोनों ही दल दोनों निकायों को काबिज करने लगा रहे जोर
अमरावती/दि.8- स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव आगामी चार माह के भीतर करवाने के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्वाचन आयोग को निर्देश दिए जाने के बाद अब निकाय चुनाव को लेकर गतिविधियां व गहमागहमी तेज हो गई है. जिसके चलते अमरावती जिले में बेहद प्रतिष्ठापूर्ण माने जाते अमरावती महानगर पालिका व अमरावती जिला परिषद पर अपनी सत्ता काबिज करने हेतु कांग्रेस व भाजपा जैसे प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच अभी से ही रस्साकशी शुरु हो गई है. बता दें कि, प्रशासक राज का दौर शुरु होने से पहले अमरावती महानगर पालिका में भाजपा तथा जिला परिषद में कांग्रेस की सत्ता थी. ऐसे में अपने-अपने मजबूत गढों को बचाए रखते हुए विपक्षी किले में सेंध लगाने का प्रयास दोनों ही दलों द्वारा निश्चित तौर पर किया जाएगा. जिसकी तैयारियां अभी से ही शुरु हो गई है. यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि, इस समय अमरावती शहर सहित जिले में अजीत पवार गुट वाली राकांपा भी बेहद मजबूत स्थिति में है और खोडके दंपति के तौर पर राकांपा के पास दो विधायक है. जिसके चलते राकांपा और खोडके दंपति भी इस बार स्थानीय स्वायत्त निकायों में अपनी ताकत को जमकर दिखाने के लिए पूरी तरह से प्रयासरत रहेंगे.
* क्या भाजपा कायम रख पाएगी मनपा में अपनी सत्ता
वर्ष 2022 में प्रशासक राज का दौर शुरु होने के पहले अमरावती मनपा में भाजपा की पूर्ण बहुमत के साथ एकछत्र सत्ता थी. परंतु तीन वर्ष से चल रहे प्रशासक राज के दौरान अब स्थितियां काफी हद तक बदल गई है. इस दौरान जहां भाजपा के हाथ से सांसद पद छिटक गया और जिले में कांग्रेस का सांसद निर्वाचित हुआ, वहीं अमरावती व बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र में भी भाजपा के विधायक नहीं है और इस समय पिछली बार की तरह अमरावती से भाजपा का कोई विधान परिषद सदस्य भी नहीं है. साथ ही साथ विधानसभा चुनाव के दौरान अमरावती व बडनेरा में भाजपा को अपने नेताओं व पदाधिकारियों की बगावत का भी सामना करना पडा था. जिसके चलते यह सवाल पूछा जा रहा है कि, क्या भाजपा इस बार के चुनाव में वर्ष 2017 के चुनाव वाला करिश्मा दोहराकर दुबारा सत्ता में वापसी कर भी पाएगी अथवा नहीं.
ज्ञात रहे कि, वर्ष 2017 में हुए अमरावती मनपा के चुनाव में 87 में से 45 सीटें जीतकर भाजपा ने पहली बार मनपा में अपनी एकछत्र सत्ता स्थापित की थी. उस समय 2017 तक मनपा की सत्ता में राकांपा के साथ रहनेवाली कांग्रेस को 15 सीटों पर संतोष करना पडा था. परंतु अब राजनीतिक हालात काफी हद तक बदल गए है. क्योंकि, शिवसेना व राकांपा जैसे दो बडे दलों में फूट पडने के साथ ही दोनों दलों के अलग-अलग गुट बन गए है. जिसके तहत जहां एक ओर विधायक खोडके दंपति के नेतृत्व वाला राकांपा का अजीत पवार गुट इस समय शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा पर भारी पडता दिखाई दे रहा है. वहीं दूसरी ओर शिवसेना में शिंदे गुट व उबाठा गुट द्वारा अमरावती शहर पर अपनी पकड को मजबूत करने हेतु तमाम प्रयास किए जा रहे है.
इसी दौरान जारी सप्ताह के दौरान शहर भाजपा को नया अध्यक्ष मिलने के संकेत है. नए अध्यक्ष का मनपा चुनाव में उम्मीदवार के चयन से लेकर सीधे प्रचार तक सक्रिय सहभाग रहेगा. साथ ही साथ नए अध्यक्ष के सामने वर्ष 2017 की सफलता को दोहराने की चुनौती भी रहेगी. यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि, राज्यस्तर पर भाजपा की राकांपा अजीत पवार गुट व शिवसेना शिंदे गुट के साथ महायुति है. वहीं बडनेरा से विधायक रहनेवाले युवा स्वाभिमान पार्टी के रवि राणा भी भाजपा के साथ है. ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प रहेगा कि, क्या राज्यस्तर पर रहनेवाली युति मनपा के चुनाव में भी बनी रहती है या फिर सभी दल अलग-अलग चुनाव लडते है.
* मनपा में वर्ष 2017 से 2022 तक पक्षीय बलाबल
भाजपा – 45
कांग्रेस – 15
एमआईएम – 10
शिवसेना – 07
बसपा – 05
युवा स्वाभिमान – 03
आरपीआय – 01
निर्दलीय -01
* कांग्रेस के सामने जिप में अपना किला बचाए रखने की चुनौती
– जिप की सत्ता से चार बार कांग्रेस रही बेदखल, इस बार भाजपा लगा रही जोर
जिले का मिनी मंत्रालय कही जाती जिला परिषद में जिले के तहसील व ग्रामीण क्षेत्रों से जनप्रतिनिधि निर्वाचित होकर पहुंचते है. जहां पर अधिकांश समय कांग्रेस का ही दबदबा रहा. जिला परिषद की स्थापना से लेकर 20 मार्च 2022 तक के दौरान सन 2000 से 2002, सन 2007 से 2009, सन 2012 से 2014 व सन 2014 से 2017 की कालावधि में चार अध्यक्षों के अपवाद को छोडकर जिला परिषद में कांग्रेस का ही बोलबाला रहा और भाजपा आज तक कभी भी जिला परिषद का अध्यक्ष पद हासिल नहीं कर पाई. परंतु विगत तीन वर्षों से चले आ रहे प्रशासक राज और विगत वर्ष हुए विधानसभा चुनाव के बाद अब जिले में राजनीतिक स्थितियां काफी हद तक बदल गई है. क्योंकि जिला परिषद के कार्यक्षेत्र अंतर्गत आनेवाले 7 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से 6 निर्वाचन क्षेत्रों में महायुति के विधायक निर्वाचित हुए. जिसमें से 5 विधायक तो भाजपा के ही है. वहीं कांग्रेस का समावेश रहनेवाली महाविकास आघाडी को दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र से जैसे-तैसे एक सीट पर जीत मिली. जहां से शिवसेना उबाठा के प्रत्याशी विजयी हुए, यानि इस समय अमरावती जिले में कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है. हालांकि कांग्रेस के लिए राहत वाली बात केवल इतनी है कि, जिले का सांसद पद कांग्रेस के पास है. परंतु यही एकमात्र बात कांग्रेस के लिए कितनी फायदेमंद साबित होगी, यह फिलहाल निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता है. ऐसे में क्या कांग्रेस जिला परिषद में अपनी सत्ता को एक बार फिर बचाए रखने में कामयाब हो पाएगी, या फिर महायुति द्वारा कांग्रेस के इस मजबूत गड में सेंध लगाई जाएगी, इस ओर सभी का ध्यान लगा हुआ है.
यहां यह भी ध्यान दिलाया जा सकता है कि, जिला परिषद ने कांग्रेस का सफर हमेशा ही काफी उतार-चढाव एवं उथल-पुथल भरा रहा. सन 2002 के चुनाव पश्चात राकांपा, भाजपा, शिवसेना, प्रहार व बसपा ने साथ मिलकर कांग्रेस को जिप की सत्ता से बेदखल किया था और राकांपा की सुरेखा ठाकरे जिला परिषद की अध्यक्षा निर्वाचित हुई थी. इसके उपरांत वर्ष 2007 में राकांपा के रमेशपंत वडस्कर अध्यक्ष, शिवसेना के बाला भागवत उपाध्यक्ष तथा भाजपा के रामदास निस्ताने व तात्या मेश्राम एवं राकांपा के विजय काले व शोभा झाकर्डे सभापति निर्वाचित हुए थे. इसके बाद अगले ढाई वर्ष तक जिप में राकांपा की सत्ता रही. वहीं वर्ष 2012 में एक बार फिर सन 2002 के प्रयोग को दोहराया गया. इस बार राकांपा की सुरेखा ठाकरे अध्यक्ष व भाजपा के प्रकाश पटेल उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए थे.
* सन 2017 से 2022 तक जिप में पक्षीय बलाबल
कांग्रेस 25
भाजपा 13
राकांपा 07
प्रहार 05
शिवसेना 03
युवा स्वाभिमान 03
बसपा 01
निर्दलीय 02