बारिश के दिनों में कीटकजन्य बीमारियों का खतरा अधिक

डेंगू का फैल सकता है संक्रमण, सावधानी जरुरी

अमरावती /दि.29– बारिश का दौर शुरु होते ही अन्य बीमारियों की तरह डेंगू के मरीजों का प्रमाण भी बढने लगता है. विगत चार माह के दौरान जिले में डेंगू के 18 पॉजिटिव मरीज पाए गए. वहीं अब बारिश के ऐन मुंहाने पर डेंगूसदृष्य बीमारियों के मरीजों की संख्या में वृद्धि होती दिखाई देने के चलते नागरिकों से सावधानी व सतर्कता बरतने का आवाहन जिला मलेरिया विभाग द्वारा किया गया है.
युवाओं एवं बुजुर्गों में डेंगू का प्रमाण तुलनात्मक रुप से अधिक होता है. डेंगू वायरस के संक्रमन के समय शरीर में एंटी बॉडीज तैयार होती है. जो वायरस को पहचानकर उसे निष्प्रभावी करती है. परंतु कुछ एंटी बॉडी द्वारा डेंगू के वायरस को ‘पहीन’ (फेगोसाइटस्) के रुप में पहचाना जाता है और फिर एंटी बॉडीज द्वारा उस वायरस को पेशी में प्रवेश करने हेतु मदद की जाती है. यह डेंगू के दुय्यम संसर्ग में महत्वपूर्ण साबित होता है. क्योंकि पहले संसर्ग के दौरान तैयार हुई एंटी बॉडीज दूसर संसर्ग में वायरस को ज्यादा प्रभावी तरीके से पहचानती है और एंडी बॉडीज आश्रीत वृद्धि का परिणाम बेहद गंभीर हो सकता है. क्योंकि वायरस बडे पैमाने पर पेशियों में प्रवेश करता है. जिससे नैसर्गिक रोगप्रतिकार शक्ति कम होती है और ऐसा होने पर मरीज में तेज बुखार होने के साथ ही रक्तस्त्राव होने की संभावना बढ जाती है.

युवाओं को अधिक खतरा
डेंगू की बीमारी एडीस इजिप्ती व एडीस अल्बोपिक्टस नामक मच्छरों के जरिए होती है. डेंगू की बीमारी किसी भी आयु गुट के व्यक्ति को होती है. परंतु इसका सर्वाधिक खतरा छोटे बच्चों सहित युवाओं को होता है.

सिकलसेल के मरीजों को खतरा अधिक
सिकलसेल की बीमारी रहनेवाले मरीजों सहित इम्यून थ्रॉम्बोसाईटोपिनिया की बीमारी रहनेवाले मरीजों को डेंगू की बीमारी का खतरा सर्वाधिक रहता है. जिसके चलते ऐसे मरीजों के स्वास्थ की ओर विशेष ध्यान दिया जाना बेहद जरुरी है.

एंटी बॉडीज करती है वायरस को रोकने की बजाए मदद
शरीर में कुछ रोगप्रतिकारक एंटी बॉडीज द्वारा डेंगू के वायरस को रोकने की बजाए सहायता की जाती है. जिसे एंटी बॉडीज आश्रीय वृद्धि कहा जाता है. ऐसे एंटी बॉडीज डेंगू के वायरस को पेशी में प्रवेश करने और उनकी संख्या को बढाने में सहायता करते है.

गत वर्ष अगस्त व सितंबर में मिले थे 415 मरीज
बारिश के मौसम दौरान डेंगू के संक्रमन का दौर तेज हो जाता है. गत वर्ष अगस्त व सितंबर माह के दौरान जिले में कुल 415 डेंगू संक्रमित मरीज पाए गए थे. जिसमें से अगस्त माह के दौरान 153 व सितंबर माह के दौरान 262 मरीज सामने आए थे.

बारिश वाले दिनों में कीटकजन्य बीमारियों के संक्रमन को रोकने हेतु जिला मलेरिया विभाग द्वारा नागरिकों में जनजागृति की जाती है. विगत चार माह के दौरान जिले में डेंगू के 18 मरीज पाए गए है. गत वर्ष की तुलना में यह संख्या कम है.
डॉ. शरद जोगी, जिला मलेरिया अधिकारी.

डेंगू के अपारंपारिक लक्षण
आंखों व सिर में दर्द रहने, बदन दर्द होने, कमजोरी महसूस होने, मुंह सूखा पडने, उलटियां होने, त्वचा पर लाल चट्टे बनने, हिचकियां आने, हाथ व पांव में खुजली होने, भूक कम लगने व जी मचलाने को डेंगू के अपारंपारिक लक्षण कहा जाता है.

जानलेवा बीमारी से बचाव जरुरी
अन्य विषाणुजन्य बीमारियों की तरह डेंगू की बीमारी पर इलाज लक्षणों पर ही निर्भर करता है. भरपूर पानी पीने तथा हलके व संतुलित आहार का सेवन इस इलाज में महत्वपूर्ण होता है. गंभीर मरीजों को अस्पताल में भर्ती कर डॉक्टरों की देखरेख के तहत इलाज करवाना जरुरी होता है.

चार माह दौरान मिले 18 मरीज
जिले में जनवरी से अप्रैल 2025 तक चार माह की कालावधि के दौरान डेंगू के 18 मरीज पाए गए है. वहीं वर्ष 2024 में इन्हीं चार माह के दौरान पाए जानेवाले डेंगू के मरीजों की संख्या 52 थी. जिसके चलते इस बार डेंगू के मरीजों की संख्या में कमी आई है.

रोगप्रतिकार शक्ति मजबूत होना जरुरी
डेंगू की बीमारी में प्लेटलेटस् के कम होने का खतरा रहता है. जिसके चलते इस बीमारी में प्लेटलेटस् के साथ ही प्रतिकार शक्ति का मजबूत होना जरुरी होता है.

Back to top button