‘रेडिरेकनर’ की दर में 10 फीसदी बढोतरी की संभावना
आम आदमी का घर का सपना हो जाएगा महंगा
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अमरावती/दि.22-किसी भी जमीन अथवा घरों का व्यवहार करते दौरान देखी जाने वाली ‘रेडिरेकनर’ (वर्तमान बाजार मूल्य दर) को नहीं बढाने का फैसला राज्य सरकार ने इसे पिछले साल विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में लिया था. इस साल इस दर में 10 फीसदी बढोतरी की संभावना है, जिससे आम आदमी का घर का सपना महंगा हो जाएगा.
वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए राज्य में एक अप्रैल से ‘रेडिरेकनर’ लागू हो जायेगा. पिछले दो वर्षों से ‘रेडिरेकनर’ नहीं बदला गया, उसे ‘ज्यों का त्यों’ रखा गया. इस बात की प्रबल संभावना है कि इस साल इसमें बढोतरी की जायेगी. सरकार इस ‘रेडिरेकनर’ की दर को औसतन दस फीसदी तक बढाने की सोच रही है. यदि ‘रेडिरेकनर’ दस प्रतिशत बढ जाए तो बाजार मूल्य भी उसी प्रकार बढ जाएगा. अगर बाजार कीमत बढेगी तो घरों की कीमत भी बढेगी और आम उपभोक्ता पर भारी मार पडेगी. अगर ‘रेडिरेकनर’ में बढोतरी होगी तो मकान, फ्लैट और प्लॉट की कीमत में भी बढोतरी होगी. इससे संभावना है कि आम नागरिकों को घर और फ्लैट खरीदते समय औसतन पांच लाख से अधिक का भुगतान करना होगा.
यह भी कहा जा रहा है कि अगर ‘रेडिरेकनर’ की विजिबिलिटी बढती है तो इसका कंस्ट्रक्शन बिजनेस पर बड़ा असर पडेगा. आम आदमी के लिए अपना खुद का घर होना, पैसे बचाना एक तरह से दिव्य बात है.
* 2022-23 में भी बढ़ोतरी
राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में ‘रेडिरेकनर’ दर में औसतन पांच से छह फीसदी की बढ़ोतरी की थी. इसमें ग्रामीण क्षेत्रों में 6.96 प्रतिशत, नगरपालिका क्षेत्रों में 3.62 प्रतिशत और नगरपालिका क्षेत्रों में 8.80 प्रतिशत की वृद्धि की गई. ‘रेडिरेकनर’ दर सरकार द्वारा निर्धारित एक भूखंड की किसान कीमत है. ‘रेडिरेकनर’ राज्य प्रशासन द्वारा निर्धारित अचल संपत्तियों का मूल्य है. राज्य सरकार उसी कीमत के आधार पर पंजीकरण और स्टांप शुल्क लगाती है. कई लोग इस सपने को साकार करते हैं, इसके लिए उन्हें कई कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है. यह सच है कि वित्तीय कठिनाइयों के कारण कई लोगों के आवास के सपने में देरी हो रही है.
वेतन और ब्याज ऋण को ध्यान में रखते हुए, कई नागरिकों को मूल लागत के बराबर आय जुटाते समय अक्सर बदलाव करना पड़ता है. शर्त है कि अगर ‘रेडिरेकनर’ के कारण रकम बढ़कर पांच-दस लाख हो जाए तो उसका घर का सपना और आगे बढ़ जाएगा. वर्तमान में, जिले के कई शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न आवास परियोजनाएं चल रही हैं. इस क्षेत्र के विशेषज्ञों की राय है कि बढ़ते ‘रेडिरेकनर’ का भी इस पर असर पड़ सकता है.