अमरावतीमहाराष्ट्र

पवित्र रमजान माह की आमद से मुस्लिम समुदाय में खुशी की लहर

कल पहला रोजा

* रमजान माह हेतु सजने लगे बाजार
चांदूर बाजार /दि.1-पवित्र रमजान माह की आमद से समुचे मुस्लिम समुदाय में खुशी की लहर देखी जा रही है. चांद देखकर मुस्लिम समुदाय इस महिने में रोजे रखते है और पांच वक्त की नमाजों के अलावा विशेष तौर पर तरावी की नमाज महिनाभर अदा करते हैं. इस्लाम धर्म में पवित्र रमजान माह का बहोत महत्व हैं. युँ कहना गलत नही होगा कि, रमजान का महिना और रमजान ईद मुस्लीम समुदाय में मुख्य त्यौहार के रूप में माना जाता हैं. बता दे कि, इस महिने का इतिहास सदियों से चला आ रहा है. शनिवार को रमजान का चांद दिखने के बाद पहली तरावी की नमाज अदा की जायेगी और रविवार को पहला रोजा रखा जायेगा.
रमजान के तीन अशरे (हिस्से) माहे रमजान में मुस्लिम समुदाय द्वारा महिने भर के रोजे रखे जाते है. जिसमें एक से लेकर दस तक पहले अशरे को रहमत का अशरा कहा जाता हैं. इसी तरह 11 से 20 वे रोजे तक अशरे को मगफिरत, जबकी 21 से आखरी रोजे तक के अशरे को नर्क से खुलासी का अशरा माना जाता हैं.

* तरावी की विशेष नमाज का एहतेमाम
साल भर मुसलमान पांच वक्त की नमाजो का एहतेमाम करते हैं. इसी तरह रमजान माह में पाबंदी के साथ इन नमाजों का एहतेमाम किया जाता हैं. लेकिन इस माह में रात इशा की नमाज के बाद विशेष तौर पर बीस रकात तरावी की नमाज महिना भर अदा की जाती है इस नमाज में मुस्लिम समुदाय की विशेष पुस्तक का पाठ किया जाता हैं.

* जिम्मेदारी से जकात (दान)का वितरण
मुस्लिम समुदाय में पुरे वर्ष की अपनी कमाई, संपत्ति की जकात निकालना हर मुसलमान पर फर्ज करार दिया गया हैं. रमजान माह में ईद आने से पहले-पहले सभी अपनी -अपनी जकातों की अदायगी करते हैं. पुरी संपत्ती का 2.5 प्रतीशत हिस्सा गरीबो और जरूरतमंदो में बाँटा जाता हैं.

* रोजे का सही मतलब
सुबह सूरज निकलने से पहले से लेकर शाम को सूरज डुबने तक रोजा रखा जाता हैं. इस सारे समय में खाने, पिने पर पुरी तरह पाबंदी होती हैं. लेकिन इस्लाम धर्म में सिर्फ भूखा रहने को रोजा नहीं कहा जाता, बल्कि शरीर के हर अंग को रोजा होता हैं. जैसे आँख से बुरा नही देखना, जबान से किसी को गाली नहीं देना, या झुठ नही बोलना, कानों से किसी की बुराई न सुनना, ना चुगलिया सुनना., हाथो से कोई गलत काम ना हो इसी तरह रोजेदार को चाहिए कि वह अपने पैरो को गलत रास्ते पर ना डाले.

* माह रमजान के समापन के बाद मनाई जाती है ईद
पूरे महिने रोजे रखने के बाद मुख्य त्यौहार ईद-उल-फितर मनाई जाती है. चाँद देखकर इस त्यौहार को मनाया जाता हैं. रोजेदारो के लिये पाकपरवरदिगार की ओर से तोहफा होता हैं. ईद को खुशियों का त्यौहार कहा जाता हैं. त्यौहार में एक दुसरे से गले मिलकर मुबारकबाद दी जाती हैं.

रमजान माह हेतु सजने लगे बाजार
पवित्र रमजान माह हेतु शहर में बाजारों की रौनक बढने लगी हैं. विविध प्रकार की दुकानों से बाजार सजने लगे है. मुस्लिम बंधुओं द्वारा रोजा रखने से पहले सहरी का एहतेमाम किया जाता है. इसी तरह सुरज डुबने के बाद रोजा इफ्तार किया जाता हैं. इसी के लिये पवित्र रमजान माह में इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं की दुकानें भी बाजार में सजती नजर आ रही है. जिनमें विविध प्रकार खजुरे, मेवे, फलफ्रुट, मिठाईयाँ, सेवय्या, इत्र व मिसवाक के साथ-साथ विविध खाद्यपदार्थों की दुकानों का समावेश है.

 

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