गणगौर पर्व को लेकर चांदूर शहर क्षेत्र में उत्साह का माहौल
बिंदौरा में घर-घर गणगौर की पूजा-अर्चना

* महिलाओं एवं युवतियों में देखा जा रहा उत्साह
चांदूर रेल्वे/दि.24-गणगौर पर्व को लेकर चांदूर शहर क्षेत्र में उत्साह का माहौल है. नव विवाहिताएं एवं कुंवारी युवतियां पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ गणगौर पूजन में जुटी हैं. होली के दूसरे दिन से लेकर सोलह दिन तक चलने वाले इस पर्व में दिन में दो समय गणगौर की पूजा की जाती है. साथ ही घर-घर जाकर गणगौर का बिंदौरा निकाल पूजा-अर्चना कर गणगौर के लोकगीत गाए जाते हैं. शुक्रवार को सुबह स्थानीय बालाजी मंदिर में गणगौर की पूजा कर शाम में बाग-बगीचे में जाकर सोलह दिन तक गणगौर का बिंदौरा निकाल पूजा अर्चना की जाती है. जिस घर में बिंदौरा जाता वहां गणगौर लोकगीतों के साथ विवाहित महिला तथा कुंवारी युवतियों को विविध व्यंजनों का अल्पोहार दिया जाता है.
राजस्थानी मारवाडी समाज में आस्था और श्रद्धा से गणगौर पर्व मनाया जाता है. जिसमें ईश्वर को शिव, गौरा को पार्वती का रूप माना जाता है. इस पर्व को मनाने की संस्कृति और परंपरा कुछ ऐसी है, कुंवारी युवतियां अच्छा वर पाने व विवाहिताएं अपने सुहाग की लम्बी आयु की कामना को लेकर गणगौर का पूजन करती हैं. होली के दूसरे दिन से सोलह दिन गणगौर का पूजन होता, जिसमें बगीचों से जवारे लाना, पानी पिलाना, घर-घर बिंदौरे लेकर जाना, वहां पारंपरिक गणगौर गीत गाना, इनमें ‘बाडी वाला बाडी की किवाडी खोल छोरियां आई दूब, हां जी म्हारी गौरा बाईने चुंदडी रो चाव, ऊंचो चंवरो चौकूटो जल जमुना रो नीर मंगायो जी, म्हारी गौर तीसाई ओ राज, धूपियो देर धूपाइयो, उदियापुर स्यूं आई गणगौर’, ऐसे गीत गाये जाते हैं. इन सोलह दिनों तक महिलाएं, कुंवारी युवतियां पारंपरिक राजस्थानी श्रृंगार कर सज-धजकर आनंद लेते हुए गणगौर त्यौहार मनाती हैं.