‘उनकी’ वापसी का कोई चान्स नहीं
बंड समर्थकों के निष्कासन पर बोले सहसंपर्क प्रमुख सुधीर सूर्यवंशी
* अंतिम निर्णय पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे का रहने की बात कही
अमरावती/दि.3 – विधानसभा चुनाव के समय पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ बगावत करते हुए बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडने वाली प्रीति बंड और उनके समर्थन में रहने वाले पदाधिकारियों को शिवसेना उबाठा के पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे द्वारा पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है और अब उन लोगों की पार्टी में वापसी का कोई चान्स भी नहीं है. इस आशय का प्रतिपादन करते हुए शिवसेना के सहसंपर्क प्रमुख सुधीर सूर्यवंशी का कहना रहा कि, इस संदर्भ में शिवसेना उबाठा के पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे द्वारा अंतिम निर्णय लिया जाएगा और पार्टी प्रमुख का निर्णय व आदेश हम सभी को हमेशा की तरह स्वीकार भी रहेगा.
चुनावों में अक्सर ही राजी नाराजी व बगावत जैसी स्थितियां बनती रहती है और चुनाव निपट जाते ही सबकुछ पहले की तरह ‘ऑलवेल’ भी हो जाता है. ऐसे में क्या अब विधानसभा चुनाव निपट जाने के बाद शिवसेना उबाठा से निष्कासित प्रीति बंड व उनके समर्थकों की एक बार फिर पार्टी में वापसी होगी. इस सवाल को लेकर दैनिक अमरावती मंडल ने आज शिवसेना के सहसंपर्क प्रमुख सुधीर सूर्यवंशी से विशेष तौर पर बातचीत की, तो सुधीर सूर्यवंशी का साफ तौर पर कहना रहा कि, अब ‘उन लोगों’ की पार्टी में वापसी के कोई खास ‘चांस’ नहीं है. सूर्यवंशी के मुताबिक प्रीति बंड के साथ खडे रहकर बगावत का झंडा बुलंद करने में सबसे आगे रहने वाले पूर्व विधायक ज्ञानेश्वर धाने पाटिल इससे पहले भी कई बार पार्टी के खिलाफ बगावत कर चुके है और उन्हें इससे पहले भी पार्टी से निष्कासित किया जा चुका है. साथ ही इस समय भी बंड समर्थकों के गुट का नेतृत्व धाने पाटिल ही कर रहे है. ऐसे में अब इस बात की संभावना बेहद कम बचती है कि, धाने पाटिल व प्रीति बंड सहित उनके समर्थकों के लिए एक बार फिर शिवसेना उबाठा व ‘मातोश्री’ के दरवाजे खुलेंगे.
इस बातचीत में सुधीर सूर्यवंशी का यह भी कहना रहा कि, शिवसेना में दोफाड हो जाने के बावजूद अमरावती जिले में शिवसेना व ठाकरे परिवार का दबदबा जस का तस कायम है. ऐसे में यदि धाने पाटिल व प्रीति बंड सहित उनके दो-चार समर्थक हमारे साथ नहीं रहते है, तो इसका अमरावती शहर सहित जिले में शिवसेना के संगठन पर कोई असर नहीं पडेगा. इस समय बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र में शिवसेना उबाठा के प्रत्याशी सुनील खराटे की हुई करारी हार की ओर ध्यान दिलाये जाने पर सूर्यवंशी का कहना रहा कि, सुनील खराटे की हार के पीछे बंड समर्थकों का कोई करिश्मा नहीं था, बल्कि इस हार की कई अन्य वजहें रही. जिन पर विचार विमर्श किया जा रहा है. साथ ही सुधीर सूर्यवंशी ने इस बात की ओर भी ध्यान दिलाया कि, यदि जिले में शिवसेना कमजोर हुई होती, तो शिवसेना उबाठा के प्रत्याशी को दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र में जबर्दस्त सफलता नहीं मिल पाती. जहां पर शिवसेना में हुई दोफाड का अच्छा खासा असर भी दिखाई दिया था और शिंदे गुट का प्रत्याशी भी सामने था. यानि कुल मिलाकर जिले मे शिवसेना कमजोर नहीं हुई है.
इस वार्तालाप के दौरान सुधीर सूर्यवंशी ने यह दावा भी किया कि, बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र में शिवसेना उबाठा के प्रत्याशी सुनील खराटे अंत तक पूरी ताकत के साथ लडे. लेकिन एक प्रतिद्वंदी प्रत्याशी द्वारा केवल और केवल सहानुभूति बटोरने का काम किया गया. वहीं दूसरे प्रतिद्वंदी द्वारा जमकर धनशक्ति का प्रयोग किया गया. जिसकी वजह से चुनावी नतीजे अनपेक्षित रहे. इससे सबक सिखते हुए बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र में शिवसेना के संगठन को और मजबूत करने का काम किया जाएगा. ताकि किसी समय शिवसेना का मजबूत गढ रहने वाले बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र में शिवसेना को एक बार फिर सम्मानजनक स्थिति में लाया जा सके.