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जिले की शिवसेना में कोई दोफाड नहीं

सभी पदाधिकारी व कार्यकर्ता हैं उध्दव ठाकरे गुट के साथ

* प्रमुख पदाधिकारियों ने दी अपनी राय, खुद को बताया सच्चा शिवसैनिक
अमरावती/दि.9– जब से शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद किया है, तब से शिवसेना के दो हिस्सों में बंटने की शुरूआत हो गई है. एकनाथ शिंदे द्वारा बगावत करने और इसके बाद राज्य का नया मुख्यमंत्री बनने के साथ ही मुंबई एवं आसपास के स्थानीय निकायों के सदस्य बडी संख्या में शिंदे गुट के साथ जुड रहे है. साथ ही पार्टी के कई पदाधिकारी भी अब धीरे-धीरे शिंदे गुट का समर्थन करने की राह पकड रहे है. ऐसे में इस बदली हुई स्थिति का अमरावती महानगर व जिले की शिवसेना पर क्या असर पडा है और क्या अमरावती में भी शिवसेना अब उध्दव ठाकरे गुट व शिंदे गुट जैसे दो हिस्सों में बंट सकती है, इसे लेकर चर्चा चलनी शुरू हो गई है, लेकिन शिवसेना के प्रमुख स्थानीय पदाधिकारियों के मुताबिक शिवसेना की अमरावती महानगर शाखा व जिला शाखा में किसी तरह की कोई गुटबाजी या बगावतवाली स्थिति नहीं है और पार्टी के सभी पदाधिकारी व शिवसैनिक पूरी तरह से पार्टी प्रमुख उध्दव ठाकरे के साथ है.
दैनिक अमरावती मंडल ने इस संदर्भ में शिवसेना के जिला प्रमुख दिनेश बूब, राजेश वानखडे तथा महानगर प्रमुख पराग गुडधे के साथ बातचीत करते हुए शिवसेना के भीतर मचे घमासान को लेकर उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही. जिसमें तीनों प्रमुख पदाधिकारियों ने खुद को पहले की तरह शिवसेना के पार्टी प्रमुख उध्दव ठाकरे के साथ बताते हुए कहा कि, वे पहले से सच्चे शिवसैनिक के तौर पर ‘मातोश्री’ के प्रति वफादार रहे है और आगे भी रहेंगे. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, अमरावती महानगर में किसी भी तरह की बगावत वाली स्थिति नहीं है.

शिवसेना के जिला प्रमुख दिनेश बूब ने इस संदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, शिंदे गुट द्वारा की गई बगावत का अमरावती में कोई असर नहीं है तथा यहां का हर शिवसैनिक पूरी तरह से शिवसेना के पार्टी प्रमुख उध्दव ठाकरे के साथ है. हालांकि बीते कुछ दिनों के दौरान जो कुछ भी हुआ, उससे सभी लोग काफी हद तक द्विधा मनस्थिति में है. लेकिन किसी की भी पार्टी निष्ठा पर संदेह नहीं किया जा सकता.

तिवसा क्षेत्र से वास्ता रखनेवाले शिवसेना के जिला प्रमुख राजेश वानखडे ने खुद को पूरी तरह से शिवसेना के पार्टी प्रमुख उध्दव ठाकरे के साथ बताते हुए बीते दिनोें जो कुछ भी हुआ, उसे दुखद घटना निरूपित किया. वानखडे के मुताबिक विगत ढाई वर्षों के दौरान पार्टी प्रमुख उध्दव ठाकरे एवं पार्टी पदाधिकारियों के बीच कुछ हद तक दूरी तो बनी थी, लेकिन इस बात की अनदेखी भी नहीं की जानी चाहिए कि, इन ढाई वर्षों के दौरान पार्टी प्रमुख उध्दव ठाकरे ने मुख्यमंत्री के तौर पर कोविड जैसी भयावह महामारी की चुनौतियों का सामना किया. साथ ही वे खुद भी अपने स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों से जूझते रहे. जिसकी वजह से ज्यादा तर समय सरकार का कामकाज भी ऑनलाईन तरीके से चला. ऐसे में दूरी जरूर थी, पर इसेे संवादहिनता नहीं कहा जा सकता. बीतें दिनों जो कुछ भी हुआ, यदि उसकी वजह पार्टी में लोग एक जगह बैठकर बातचीत करते, तो शायद ज्यादा ठीक होता.

शिवसेना के अमरावती महानगर प्रमुख पराग गुडधे ने अमरावती शहर के सभी शिवसैनिकों को पूरी तरह से पार्टी प्रमुख उध्दव ठाकरे के साथ बताते हुए कहा कि, अमरावती के हर शिवसैनिक की निष्ठा हमेशा से ही ठाकरे परिवार और ‘मातोश्री’ के प्रति रही है. यदि कोई भी इसके खिलाफ बगावत करता है, तो ऐसे लोगों को शिवसेना के स्टाईल में उचित जवाब भी दिया जायेगा. जिसके लिए बगावत करनेवालों ने पहले से तैयार रहना चाहिए.

* शिवसेना में नहीं होगा कोई विभाजन
शिवसेना के जिला प्रमुख सुनील खराटे ने इस विषय को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, शिवसेना में किसी भी तरह की बगावत के लिए कोई जगह नहीं है और गुटबाजी जैसी बातों से पार्टी का कभी कोई वास्ता भी नहीं रहा. बीते कुछ दिनों के दौरान पार्टी में जो कुछ हुआ, वह दुखदायी जरूर है, लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि, ठाकरे परिवार से ही शिवसेना की शान व पहचान है. हमारी नजर में शिवसेना पहले भी एक ही थी और आज भी एक ही है. शिवसेना प्रमुख स्व. बालासाहब ठाकरे हमारे लिये आदर्श है और पार्टी प्रमुख उध्दव ठाकरे हमारे आदरणीय नेता है. इसके अलावा आज जो लोग कुछ वजहों के चलते पार्टी से थोडा अलग होकर खडे है, उनके भी योगदान को कम करके नहीं देखा जा सकता. साथ ही वे लोग भी खुद को शिवसेना से अलग नहीं बता रहे. ऐसे में ज्यादा बेहतर रहेगा कि, दोनों ही ओर के लोग एक बार फिर पहले की तरह एकसाथ आ जाये. इसके अलावा खराटे ने यह भी कहा कि, भाजपा ने जो नर्म भूमिका आज अपनायी है, यहीं भूमिका अगर ढाई साल पहले अपनायी गई होती, तो आज यह नौबत नहीं आती.

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