अमरावतीमहाराष्ट्र

जिले में खाद्य औषिध विभाग के लिए लैब ही नहीं!

विषबाधा प्रकरणों में अधिकारियों को रोष का करना पडता है सामना

* 40 दिनों बाद प्राप्त होती है जांच रिपोर्ट
अमरावती/दि.10-आम जनता के विकास के लिए जिस प्रकार राज्य सरकार की ओर से विभिन्न योजना चलाई जाती है, उसी प्रकार इन योजनाओं पर अमल करने का काम नहीं किया जाता. जिले में विगत 6 महीने में पांच स्थानों पर विषबाधा होने की घटनाएं हुई. हालांकि, इन घटनाओं की रिपोर्ट प्राप्त नहीं होने से विभाग के अधिकारियों को भी रोष का सामना करना पडा. अमरावती जिले में अन्न औषधि विभाग के लिए प्रयोगशाला नहीं रहने से अमरावती विभागीय नगरी में नागरिकों के स्वास्थ्य की समस्या निर्माण हो गई है.
जिले में हजारों की संख्या में अधिकृत व अनधिकृत अन्न व औषधि विक्रेता है. उनकी तरफ से तैयार किए गए अन्न के सैम्पल लेकर उनकी जांच करने वाला अन्नसुरक्षा मानक कानून बना है, परंतु केंद्र सरकार मान्यता प्राप्त लैब केवल मुंबई, औरंगाबाद, पुणे में रहने से सैम्पल भेजने के बाद 14 दिनों में उनकी रिपोर्ट आना जरूरी होता है. लेकिन तीन-चार महिने होने पर भी रिपोर्ट नहीं मिलने से विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे है. विदर्भ में केंद्र शासन मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला नहीं रहने से मुंबई, औरंगाबाद प्रयोगशाला में ही जब्त किए अन्न व औषधि सैम्पल भेजना पडता है.
अप्रैल 2024 से अन्न विभाग के आंकडे देखे जाए तो अप्रैल 2024 में 6 सैम्पल भेजे गए, उनमें से 2025 में एकभी रिपोर्ट नहीं मिली. मई 2024 में तीन सैम्पल भेजे गए, इनमें से दो प्रमाणित प्राप्त हुए. जनू में 8 सैम्पल भेजे गए, हालांकि, एकभी रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई. अगस्त में 12 सैम्पल भेजे गए, इनमें से एकभी रिपोर्ट नहीं मिली. सितंबर में भेजे गए 9 सैम्पल में से 1 अप्रमाणित प्राप्त हुआ, तथा अक्टूबर में भेजे गए 22 में से दो प्रमाणित व 6 अप्रमाणित प्राप्त हुए. दिसंबर में 11 तो जनवरी में 7 सैम्पल भेजे गए. किंतु अब तक रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई.
* आरोपियों को हो रहा फायदा
सैम्पल की रिपोर्ट प्राप्त होने विलंब होने से न्यायालयीन प्रक्रिया के आरोपियों को सुविधा होने से आरोप साबित नहीं होने की घटनाएं सामने आ रही है. इसलिए जिले में प्रयोगशाला की बेहद आवश्यकता है.

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