अमरावती

राज्य में जर्जर इमारतों को लेकर नहीं है कोई नीति

वर्ष 2014 में हाईकोर्ट ने दी है गाईड लाईन

वर्ष 2017 में केवल मुंबई मनपा ने सी-1 पर बनाई पॉलीसी
पूर्व महापौर मिलींद चिमोटे ने दी बेहद खास जानकारी
अमरावती दि.1- विगत रविवार 30 अक्तूबर को अमरावती शहर के प्रमुख व्यापारिक क्षेत्र प्रभात चौक में स्थित राजेेंद्र लॉज की पुरानी व जर्जर इमारत ढह जाने की वजह से पांच लोगों की मलबे में दबकर मौत हो गई. जिसके बाद ऐसी पुरानी खस्ताहाल व जर्जर इमारतोें को लेकर स्थानीय प्रशासन द्वारा की जानेवाली कार्रवाई के संदर्भ में अच्छी-खासी चर्चा चल रही है और प्रशासन को आरोपों के कटघरे में भी खडा किया जा रहा है. लेकिन हकीकत यह है कि, बेहद खतरनाक स्थिति में पहुंच चुकी ऐसी जर्जर व खस्ताहाल इमारतों के लिए मुंबई को छोडकर पूरे राज्य की किसी भी महानगरपालिका ने कोई नीति तय नहीं की है. वहीं मुंबई मनपा से संबंधित एक मामले को लेकर वर्ष 2014 में मुंबई हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायमूर्ति ए. ए. सैय्यद व न्यायमूर्ति अनुप मोहता ने मुंंबई मनपा को सी-1 श्रेणीवाली इमारतों के संदर्भ में एक गाईडलाईन जारी की थी. जिसमें 13 तरह के मुद्दों का पालन करने कहा गया था. जिसके बाद मुंबई मनपा ने 23 फरवरी 2018 को इससे संबंधित रिपोर्ट हाईकोर्ट में रखी थी. वहीं इसके अलावा पूरे राज्य में कहीं पर भी पुरानी व जर्जर यानी सी-1 श्रेणी में पहुंच चुकी इमारतों के लिए कोई कारगर नीति नहीं है. इस आशय की जानकारी पूर्व महापौर मिलींद चिमोटे द्वारा दी गई है.
इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए पूर्व महापौर मिलींद चिमोटे ने बताया कि, मुंबई मनपा की ओर से एक मामले को लेकर हाईकोर्ट में वर्ष 2014 के दौरान याचिका दायर की गई थी. जिस पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने मुंबई मनपा को सी-1 वाली इमारतों के लिए 13 मुद्दों का समावेश रहनेवाली गाईड लाईन जारी की थी. साथ ही 5 नवंबर 2015 को नगर विकास विभाग ने भी एक अधिसूचना जारी की थी. इसके पश्चात खुद उन्होंने 20 जुलाई 2020 को अमरावती मनपा की आमसभा में एक प्रस्ताव रखते हुए शहर की जर्जर इमारतों को लेकर मनपा द्वारा नीति निर्धारित करने का सुझाव दिया था, ताकि जर्जर इमारतों के बहाने शहर में इसका दुरूपयोग करनेवाले रैकेट पर रोक लगायी जा सके और इस तरह की इमारतों में रहनेवाले किरायेदारों या उनके वारिसों को न्याय दिलाया जाये. लेकिन वर्ष 2020 में कोविड की महामारी का दौर चल रहा था और मनपा की आमसभाएं ऑनलाईन पध्दति से हो रही थी. जिसके चलते इस विषय पद कोई चर्चा ही नहीं हो पायी. इसके साथ ही मिलींद चिमोटे का यह भी कहना रहा कि, उस समय मनपा की सत्ता में रहनेवाली भाजपा की प्राथमिकताएं भी बदल गई थी और सभी आमसभाएं बायोमायनिंग सहित अन्य कुछ विशेष विषयों तक ही केंद्रीत होकर रह गई थी.
मनपा से संबंधित अधिनियमों व कानूनों का गहन अध्ययन करनेवाले और इन कानूनों पर अपनी गहरी पकड रखनेवाले पूर्व महापौर मिलींद चिमोटे ने बताया कि, उन्होंने मनपा की आमसभा में जर्जर इमारतों को लेकर मनपा द्वारा नीति तय करने को लेकर प्रस्ताव रखने से पहले इसके संदर्भ में पूरी जानकारी जुटाई थी. जिसमें उन्हें पता चला था कि, मुंबई हाईकोर्ट ने वर्ष 2014 में ही इसे लेकर एक गाईडलाईन जारी की है. इसके साथ ही उनकी जानकारी में यह बात भी आयी कि, मुंबई एक्ट की धारा 264 में मनपा आयुक्त को सर्वाधिकार प्राप्त है. साथ ही किसी भी तरह की जर्जर व खस्ताहाल इमारत के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार भी धारा 266 के तहत मनपा आयुक्त के पास ही होता है. इसके साथ ही 5 नवंबर 2015 को नगर विकास विभाग द्वारा जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक सी-1 श्रेणी में रहनेवाली इमारत को तत्काल पूरी तरह से ढहाना अनिवार्य है. इसके अलावा सी-2 (ए) श्रेणीवाली इमारत को खाली करते हुए रचनात्मक दुरूस्ती करना, सी-2 (बी) श्रेणीवाली इमारत को बिना खाली किये उसकी रचनात्मक दुरूस्ती करना और सी-3 वाली इमारत में मामूली मरम्मत किये जाने के निर्देश जारी किये गये है. लेकिन अमरावती महानगरपालिका में इसे लेकर कोई ठोस नीति ही नहीं बनी है. जिसका गलत फायदा उठानेवाला रैकेट शहर में सक्रिय है. जिसके द्वारा शहर के प्राईम लोकेशन पर स्थित पुरानी इमारतों को बारिश के दिनों में जानबूझकर जर्जर इमारतोें की सूची में डालकर अपना उल्लु सीधा किया जाता है. इस वजह से ऐसी इमारतों में कई वर्षों से रहनेवाले लोगोें को आर्थिक नुकसान के साथ ही लंबे समय तक कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने पडते है.
पूर्व महापौर मिलींद चिमोटे के मुताबिक यदि अमरावती महानगरपालिका द्वारा भी हाईकोर्ट की गाईडलाईन पर अमल करते हुए जर्जर इमारतों को लेकर कोई ठोस नीति तय की जाती है, तो यह सभी संबंधितों के लिए पोषक होगा. साथ ही जर्जर इमारतों की सूची में होनेवाली धांधली से भी बचा जा सकेगा. इसके अलावा जो इमारतें वाकई बेहद जर्जर व खस्ताहाल हो गई है, उन्हें तुरंत गिराते हुए भविष्य में ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति को रोका जा सकेगा.

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