अमरावती

24 जून तक जिले में मानसून के आगमन की संभावना नहीं

बुआई में होगी देरी

मूंग, उड़द सहित कपास का उत्पादन होगा कम
अमरावती/दि.16-इस बार मृग नक्षत्र लगने के बावजूद मानसून जिले में अब तक दाखिल नहीं हुआ. बिपरजॉय चक्रवाती हवाओं के कारण मानसून 6 दिनों से कोकण किनारपट्टी पर स्थिर है. दरमियान 23, 24 जून तक जिले में मानसून नहीं आएगा. जिसके चलते इस बार जिले में 30 जून तक बुआई होने की संभावना कम है. दरमियान बुआई में देरी होने से मूंग, उड़द का क्षेत्र इस बार नगण्य रहेगा. साथ ही कपास का भी क्षेत्र कम होने की संभावना है. क्योंकि बुआई मे देरी हुई तो कपास का उत्पादन ने भी काफी घट हो सकती है.
खरीफ की बुआई के लिए किसानों ने मानसून पूर्व काम निपटा लिए. बारिश होते ही बुआई शुरु होगी. मात्र इस बार 15 जून के बाद भी मानसून की बारिश नहीं हुई. वहीं 23 जून तक मानसून की संभावना नहीं है. इस बार जून महीने में औसत 50 प्रतिशत ही बारिश अपेक्षित होने का अंदाज हवामान तज्ञों ने लगाया है. दूसरी ओर बुआई के लिए 100 मिमी. बारिश एवं जमीन में डेढ़ से दो फूट तक गीलापन आवश्यक है. बुआई के लिए देरी होने से 45 से 50 दिनों की फसल जैसे उड़द, मूंग तो इस बार किसान लेने के लिए टाल रहे हैं. क्योंकि वह बुआई 15 से 20 जून पूर्व होना आवश्यक है. वह अब संभव नहीं. वहीं कपास की बुआई ज्यादा देरी से होने पर जिस समय कपास निकलता है, उस समय बेमौसम बारिश में भीग जाता है. जिसके चलते किसानों का नुकसान होता है और उत्पादन में निश्चित ही घट आता है. इस बार बुआई देरी से होने के कारण कपास को धोका है. इसी समय सोयाबीन को मात्र विशेष फर्क नहीं पड़ेगा, ऐसा कृषि अभ्यासकों का कहना है सोयाबीन की बुआई 15 से 20 जुलाई तक कर सकते हैं. दरमियान फिलहाल शाश्वत सिंचन वाले किसानों ने कपास बुआई की शुरुआत की है. गत वर्ष 15 जून तक कपास के अतिरिक्त अन्य फसलों की 350 हेक्टर पर जिले में बुआई हुई थी. जिले में जून महीने में औसत से कम बारिश हो सकती है. वहीं तापमान औसत से अधिक रह सकता है.
किसान बंधुओं ने उपलब्ध पानी का योग्य नियोजन करना चाहिए. गत तीन वर्षों से जिले में अच्छी बारिश हुई. इस बार अल निनो का संकच रहने की संभावना होकर बारिश औसत या कम भी हो सकती है. ऐसा अंदाज हवामान तज्ञों ने लगाया है.
* तुअर के लिए पोषक वातावरण
इस बार संपूर्ण बरसात में अल निनो का प्रभार रहने के कारण बारिश का प्रमाण कम व खंडीत स्वरुप में रहेगा. इसलिए सोयाबीन व कपास के लिए बारिश कम होगी. मात्र तुअर के लिए यह बारिश लाभदायी साबित होगी. जिसके चलते तुअर का उत्पादन इस बार बढ़ने की संभावना है.
* 500 हेक्टर पर कपास की बुआई
इस बार का आगमन देरी से होगा. जिसके चलते बारिश होने पर ही बुआई की जाए. वहीं सद्य स्थिति में जिन किसानों के पास शाश्वत सिंचाई की सुविधा है, ऐसे 500 हेक्टर पर अब तक कपास की बुआई हो गई है. इस बार बारिश देरी से व कम होने के कारण कपास का उत्पादन कुछ मात्रा में कम होने की संभावना है. ऐसे ही उड़द व मूंग का क्षेत्र तो जिले में नगण्य रहने वाला है.
– अनिल खर्चान, कृषि उपसंचालक
* बिपरजॉय के कारण मानसून में देरी
बिपरजॉय चक्रवाती हवाओं के कारण बादलों की वाष्प कम हुई है. जिसके चलते मानसून आने में देरी हो रही है. वहीं 30 जून तक अत्यंत कम बारिश होगी. इसके बाद भी हर वर्ष की तुलना में इस बार बरसात कम होकर, बारिश यह खंडिच रहने वाली है. इसलिए किसानों ने बुआई के लिए जल्दी न करते बारिश के कम होने के प्रमाण का विचार कर उस दृष्टि से बीज बोने चाहिए.
– डॉ. सचिन मुंढे, कृषि हवामान तज्ञ व जिला हवामान केंद्र,
कृषि विज्ञान केंद्र दुर्गापुर.

 

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