ओबीसी के आरक्षण को बढाने का प्रस्ताव नहीं
स्वायत्त संस्थाओं के चुनाव को लेकर केंद्र सरकार ने दी राज्यसभा में जानकारी
नई दिल्ली/दि.7– स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं के चुनाव में जनसंख्या के अनुसार अन्य पिछडावर्गीय यानि ओबीसी संवर्ग के आरक्षण को बढाने का कोई भी प्रस्ताव नहीं रहने की जानकारी केंद्र सरकार द्वारा गत रोज राज्यसभा में दी गई.
केंद्रीय पंचायती राज राज्यमंत्री कपील पाटिल ने प्रश्नोत्तरकाल के दौरान उपरोक्त जानकारी देते हुए बताया कि, संविधान की धारा 243 (ड) अंतर्गत ओबीसी संवर्ग हेतु एक तृतीयांश आरक्षण दिया जाता है तथापि 21 राज्य सरकारों ने आरक्षण में 50 फीसद तक वृद्धि की है. एक सदस्य ने स्थानीय स्वायत्त संस्था के चुनाव में जनसंख्या अनुसार ओबीसी संवर्ग हेतु आरक्षण बढाने की मांग की है. परंतु सरकार के समक्ष ऐसा कोई भी प्रस्ताव नहीं है.
* सर्वस्वी अधिकार राज्य सरकार के पास
– ओबीसी को आरक्षण देने का अधिकार राज्य सरकार के पास है. अत: इस विषय पर राज्यों ने अपने स्तर पर निर्णय लेने चाहिए, ऐसा राज्यमंत्री कपील पाटिल ने प्रश्नोत्तरकाल के दौरान दूसरे पूरक प्रश्न पर जवाब देते हुए कहा.
– ओबीसी कोटे के मुद्दे की वजह से महाराष्ट्र में स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं के चुनाव नहीं हो सके. इम्पेरिकल डेटा के आंकडों के बिना आरक्षण को 50 फीसद से अधिक नहीं बढाया जा सकता है, ऐसा अदालत ने कहा है.
– स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं ने महिलाओं हेतु 50 फीसद आरक्षण है. साथ ही इसमें ओबीसी, एससी व एसटी को भी शामिल करने का प्रावधान है. ऐसा भी कपील पाटिल द्वारा बताया गया है.
* मराठा व पिछडों को दिया जाए आरक्षण
वहीं शिवसेना गुट के सांसद विनायक राउत ने लोकसभा में मांग उठाते हुए कहा कि, महाराष्ट्र में मराठा तथा सामाजिक व शैक्षणिक तौर पर पिछडी विविध जातियों को आरक्षण दिया जाए. जम्मू कश्मीर आरक्षण दुरुस्ती विधेयक तथा जम्मू कश्मीर पुनर्रचना दुरुस्ती विधेयक पर लोकसभा में हुई चर्चा के दौरान राउत ने कहा कि, 25 वर्षों से मराठा, धनगर व महादेव खोरी जाति को आरक्षण दिये जाने की मांग की जा रही है. जिसे पूरा किया जाना चाहिए.