अक्कलदाढ और अक्ल का कोई संबंध नहीं
अमरावती/दि.3– अमूमन 16 से 18 वर्ष की आयु के दौरान प्रत्येक व्यक्ति को अक्कलदाढ आती है. चूंकि उस समय लिवावस्था का दौर शुरु होता है. ऐसे में इस उम्र में निकलने वाले दाढ को अक्कलदाढ कहा जाता था, जबकि हकीकत में अक्कलदाढ और अक्ल यानि दिमागी होशियारी का आपस में कोई संबंध नहीं है. बल्कि अक्कलदाढ सबसे अंत में आती है, जिसके निकलते वक्त मसुढे में काफी दर्द व तकलीफ होती है. ऐसे में डॉक्टर द्वारा अक्कलदाढ को जढ से निकाल दिया जाता है.
* कब और क्यों आती है अक्कलदाढ?
प्रत्येक व्यक्ति के जबडे में 4 अक्कलदाढ होती है. जो 16 से 18 वर्ष की आयु में मसूढे के भीतर से बाहर आती है. कई बार कुछ लोगों को अक्कलदाढ आती भी नहीं.
* अक्कलदाढ को लेकर गलतफहमी
अक्कलदाढ आने पर संबंधित व्यक्ति को अक्ल यानि होशियारी आ जाती है और यदि अक्कलदाढ को उखडवा दिया जाता है, तो अक्ल यानि होशियारी कम हो जाती है. ऐसी ही आम धारणा या गलतफहमी समाज में व्याप्त है.
* दांत उखाडने पर क्या नजर कम होती है?
यह भी एक तरह की गलतफहमी है. जिसमें माना जाता है कि, दांत या दाढ उखडवाने की वजह से नजर कमजोर होती है. इससे उलट यदि दांत या दाढ तकलीफ दे रहे है, तो उसे योग्य समय पर निकलवा देना ज्यादा जरुरी रहता है. ऐसे में दांत या दाढ में कोई भी तकलीफ होने पर तुरंत दंत चिकित्सक से मिलकर समय पर इलाज करवाना चाहिए और जरुरी रहने पर तकलीफ वाले दांत या दाढ को निकलवा देना चाहिए.
* दांत निकालने के बाद क्या सावधानी जरुरी?
सौम्य आहार ले, कडक पदार्थों का सेवन न करे, डॉक्टर द्वारा बतायी गई एंटीसेप्टीक दवाईयों से कुल्हा करते समय पर दवाईयां ले.
* अक्कलदाढ और अक्ल यानि दिमागी होशियारी का आपस में कोई संबंध नहीं है. जिससे उलट यह दाढ मुंह में सबसे अंत में निकलती है. ऐसे में कई बार जबडे में अक्कलदाढ को निकलने के लिए जगह नहीं रहती है. जिसकी वजह से उसे निकाल देना पडता है. इसका कोई दुष्परिणाम नहीं होता. बल्कि अक्कलदाढ के निकलते समय होने वाली तकलीफ से छूटकारा पाने उसे निकाल देना ही ज्यादा ठीक रहता है.
– डॉ. सैय्यद अबरार,
वरिष्ठ दंत चिकित्सक