मकर संक्रांति के बाद भी कपास में तेजी नहीं
देश सहित अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रुई और सरकी की मांग नहीं
* उत्पादन खर्च भी न निकलने से किसानों की चिंता बढी
अमरावती /दि. 1– देश सहित अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रुई और सरकी की मांग नहीं है. हर वर्ष मकर संक्रांति पर्व होने के बाद कपास में मूल्यवृद्धि होती है, लेकिन इस बार कपास में तेजी नहीं है. मूल्यवृद्धि की प्रतीक्षा में किसानों का कपास घर में ही रहने से जिनिंग उद्योग पर इसका असर हो रहा है. सीसीआई और निजी बाजार में समांतर भाव मिलने से सीसीआई केंद्रो की भीड कम होती दिखाई दे रही है.
इस बार कपास को 7521 रुपए गारंटी भाव नहीं मिले है. सीसीआई में भी ग्रेड कम किए जाने से 2400 से 2450 रुपए क्विंटल भाव मिल रहे है तथा निजी बाजार में 7150 से 7400 रुपए तक भाव मिल रहे है. इस कारण मूल्यवृद्धि की प्रतीक्षा में किसान कपास का भंडार कर रहे है. इस बार कपास के भाव में अधिक बढोतरी न होने की जानकारी व्यापारी सूत्रों ने दी. जिनिंग में फिलहाल आवक कम होने से गलाई पर अधिक ध्यान न देते हुए आए हुए कपास खरीदी पर जोर दिया जा रहा है. कुछ बडी जिनिंग के साथ सीसीआई का करार होने से खरीदी हो रही है.
* जिनिंग में 34 फीसद गलाई
सीसीआई द्वारा कपास की गलाई कुछ जिनिंग में की जाती है. इसमें 34 से 35 प्रतिशत रुई का प्रमाण चाहिए. प्रत्यक्ष में कपास दर्जेदार रहने से रुई की गलाई 36 प्रतिशत पर पहुंच गई है. रुई के भाव 148 रुपए किलो तथा सरकी के भाव 34 रुपए किलो है. इस कारण गलाई अधिक होने पर रुई की जगह सरकी बढने से जिनिंग उद्योग को इसका फायदा हो रहा है.
* रुई और सरकी के भाव स्थिर
देश और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रुई और सरकी के भाव स्थिर है. इस कारण फिलहाल तो भी कपास में मूल्यवृद्धि होने की संभावना दिखाई नहीं देती. इस कारण किसानों में संभ्रम है.
– पवन देशमुख,
कृषि माल भाव के अभ्यासक.
* ऐसे मिलते है रुई और सरकी को भाव
– 67 रुपए रुई सेंट पर पाउंड ऐसा अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में भाव है.
– 34 रुपए किलो सरकी के भाव देश के बाजार में है. इसमें बढोतरी नहीं हुई है.
– 148 किलो रुई के भाव फिलहाल देश में शुरु है. यही भाव बाजार में भी स्थिर है.