अमरावती

प्रतिभाओं की कमी नहीं है मेलघाट में

एड. यशोमती ठाकूर ने कहा मेलघाट में परिवर्तन की गंगा बहेगी

  • आश्रमशाला के 13 विद्यार्थियों की नीट में सफलता

  • विद्यार्थियों ने डॉक्टर बनने के बाद सामाजिक दायित्व निभाने का दिया आश्वासन

अमरावती/दि.8 – अमरावती जिले में स्थित अतिदुर्गम क्षेत्र याने मेलघाट हमेशा ही कुपोषण को लेकर चर्चा में रहा है, लेकिन यहां पर प्रतिभा की कमी भी नहीं है. दुर्गम क्षेत्रों में सुविधाओं का अभाव रहने के बावजूद भी स्थानीय आदिवासी आश्रमशाला के छात्रों ने वैद्यकीय प्रवेश के लिए आवश्यक माने जाने वाली नीट परीक्षा में शानदार सफलता हासिल की है. मेलघाट के यह बच्चे डॉक्टर बनकर अपनी भूमि की सेवा करेंगे. इससे मेलघाट में परिवर्तन की गंगा बहेगी, ऐसा प्रतिपादन जिले की पालकमंत्री एड.यशोमति ठाकुर ने किया है.
जिलाधिकारी कार्यालय के बचत भवन में आदिवासी विकास प्रकल्प की ओर से नीट परीक्षा में उत्तीर्ण मेधावी विद्यार्थियों का सत्कार किया गया. इस समय पालकमंत्री एड. यशोमती ठाकुर मार्गदर्शन कर थी. मेलघाट के विधायक राजकुमार पटेल, विधायक बलवंतराव वानखडे, पूर्व विधायक प्रा.वीरेंद्र जगताप, जिलाधिकारी शैलेश नवाल, आदिवासी अपर आयुक्त विनोद पाटिल, प्रकल्प अधिकारी डॉ.मिताली सेठी, सहायक प्रकल्प अधिकारी एस.टी.खिलारे समेत अन्य उपस्थित थे.
महिला व बाल विकास मंत्री तथा जिले की पालकमंत्री एड.यशोमती ठाकुर ने कहा कि एकात्मिक आदिवासी विकास प्रकल्प व लिफ्ट फॉर अनलिफ्टेमेंट संस्था व्दारा चलाए गए अनेक उपक्रमों के कारण मेलघाट के दुर्गम गांवों के 13 विद्यार्थियों ने नीट परीक्षा उत्तीर्ण की और वैद्यकीय शिक्षा के लिए जा रहे हैं. पालकमंत्री ने इस क्षण को ऐतिहासिक और सभी के लिए खुशी का पल है, ऐसा कहा. सुविधाओं का अभाव होने के बावजूद भी इन विद्यार्थियों ने बेहतरीन सफलता प्राप्त की है. 12-12 घंटे अभ्यास कर छात्रों ने यह सफलता प्राप्त की है. विद्यार्थियों ने भरोसा दिलाया कि वे डॉक्टर बनने के बाद अपना सामाजिक दायित्व नहीं भुलेंगे और अपने समाज बांधवों की सेवा करेंगे. अगर किसी प्रकार की समस्या रहने से विधायकों, जिला प्रशासन और उनसे सीधा संपर्क करने का आग्रह भी किया है.
समारोह में विधायक राजकुमार पटेल ने इस क्षण को गौरवास्पद क्षण बतलाया. मेलघाट के बच्चे खेल में ही नहीं बल्कि पढाई में भी उस्ताद होने की बात बतायी. स्वयं का उदाहरण देते हुए पटेल ने बताया कि वे दसवीं में रहते वक्त गणित का शिक्षक ही नहीं था. वर्ष में केवल 15 दिन अमरावती के एक शिक्षक आकर वहां सेवा दी थी. इसलिए उस समय केवल एक ही छात्र दसवीं में उत्तीर्ण हुआ था. शिक्षा में नहीं तो राजनीति में मेरिट आने की बात विधायक राजकुमार पटेल ने बताई. इस बात पर पूरा भवन ठहाकों से गूंज उठा.
कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने बताया कि वे डॉक्टर बनकर ही वापस लौटेंगे और मेलघाट के अपने समाज बांधवों की संवा करेंगे. मुंबई शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय में प्रवेश प्राप्त शांतिलाल कास्देकर ने कहा कि अपनी मातृभूमि से लगाव व उसके प्रति अपना दायित्व पूर्ण के लिए वह कटीबध्द है. शिवकुमार सावलकर मल्हारा की मयूरी दारसिंबे ने भी अपना मनोगत व्यक्त किया. चिखलदरा तहसील के राहुल भैयालाल कास्देकर, आकी के अंकुश सावलकर, शिवकुमार सावलकर, दुर्गेश कास्देकर, कारदा के सुधीर मावस्कर, मांडवा के रोहित कास्देकर, टिटंबा के श्याम कोल्हे, रानीगांव के श्याम कास्देकर, बेरडाबेल्डा के नितेश जांभेकर, मांडवाा के अजय जांभेकर, चिपोली की रेणुका पटोरकर आदि को इस समय सम्मानित किया गया.

मेरे कालावधि का सर्वोत्तम क्षण

जिलाधिकारी शैलेश नवाल ने बताया कि मेलघाट के आदिवासी विद्यार्थियों ने वैद्यकीय नीट परीक्षा उत्तीर्ण कर नया इतिहास रचा है. मेरे दस वर्ष के कार्यकाल में तथा प्रशासनिक अनुभव में यह पल मेरे लिए अविस्मरणीय क्षण है. मेलघाट जैसे सुविधाओं से परे रहने वाले क्षेत्र के गरीब आदिवासी परिवार में जन्में यह 13 बच्चें डॉक्टर होने के लिए जा रहे है. सही मानों तो यह शासकीय काम का प्रमाणपत्र ही है. जहां भी जाओ वहां आत्मविश्वास और लगन के साथ अभ्यास करने से ही सफलता प्राप्त होती है, इसलिए सफलता प्राप्ती के लिए कडी मेहनत और कडे परिश्रम करने की सलाह भी जिलाधिकारी शैलेश नवाल ने छात्रों को दी.

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