संबल हिस्सा की न्यायिक जांच हो
जिलाधिकारी मार्फत राष्ट्रपति को आजाद समाज पार्टी ने भेजा पत्र
अमरावती/दि.29– उत्तर प्रदेश के संबल हिस्सा में नौजवान बच्चों की जान गई है. इस घटना में कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं. इस हिंसा की सच्चाई देश के सामने लाना जरूरी है, इसलिए संबल हिस्सा की न्यायिक जांच होना जरुरी है. इस घटना के दोषीयों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और मृतकों एवं घायलों के परिजनों को उचित मुआवजा मिलना चाहिए. ऐसी मांग आजाद समाज पार्टी व्दारा जिलाधिकारी मार्फत देश के महामहिम राष्ट्रपति को पत्र भेजकर की गई.
राष्ट्रपति को भेजे पत्र में कहा गया कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है. आजाद समाज पार्टी यह लड़ाई लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से जारी रखेंगी. यह लड़ाई केवल एक समुदाय की नहीं, बल्कि पूरे देश के लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों की है. आजाद समाज पार्टी के सांसद एड. चंद्रशेखर आजाद भी इस मामले को लेकर संसद में आवाज उठा रहे हैं. अजमेर दरगाह के बहाने भी जरूरी मुद्दों से ध्यान भटकाकर देश को नफरत की आग में झोंकने का एक नया षड्यंत्र तैयार हो चुका है. 1991 का पूजा स्थल का क़ानून साफ़ कहता है की, 15 अगस्त 1947 को अस्तित्व में आए किसी भी धार्मिक स्थल का स्वरूप नहीं बदला जा सकता, न कोर्ट में इन मामलों की सुनवाई होगी. आजाद समाज पार्टी (कां) राष्ट्रपति महोदया से अनुरोध करती है कि, इस तरह के मामलों में दखल देकर न सिर्फ 1991 के पूजा स्थल कानून की हिफाजत करें बल्कि उसे अमल में भी लाने का आदेश पारित करें. ताकि संभल जैसी देश को शर्मसार करने वाली घटनाओं से बचा जा सके. इस आशय का पत्र आज 29 नवंबर को जिलाधिकारी द्वारा राष्ट्रपति को दिया गया. इस समय महाराष्ट्र प्रदेश प्रवक्ता किरण गुडधे, महाराष्ट्र सदस्य प्रा. प्रमोद मेश्राम, जिलाध्यक्ष सनी चव्हाण, लक्ष्मण चाफलकर, रवि हजारे, अतुल गायगोले, संजय गडलिंग, चंद्रकांत मेश्राम, रोहित भटकर, प्रतिक खडसे, आदि अनेक कार्यकर्ता उपस्थित थे.