अमरावती

जिप में 135 करोड के नियोजन पर लगा ब्रेक

संभागीय आयुक्त के आदेश से स्थिति ‘जैसे थे’

अमरावती/दि.3 – जिला परिषद अंतर्गत विविध लेखाशीर्ष के तहत किये जानेवाले कामों हेतु करीब 135 करोड के नियोजन पर संभागीय आयुक्त द्वारा ब्रेक लगाया गया है. प्रहार के जिप सदस्य श्याम मसराम ने इस संदर्भ में संभागीय आयुक्त के पास याचिका दाखिल की थी. जिस पर संभागीय आयुक्त ने ब्रेक लगाते हुए स्थिति को ‘जैसे थे’ रखने का आदेश दिया है. ऐसे में जिला परिषद के राजनीतिक गलियारे में जबर्दस्त खलबली व्याप्त है.
बता दें कि, जिला परिषद अध्यक्ष बबलू देशमुख व सत्ताधारी दल के पदाधिकारियों द्वारा वर्ष 2020-21 तथा वर्ष 2021-22 इन दो आर्थिक वर्ष के दौरान 30-54 तथा 50-54 लेखाशीर्ष अंतर्गत करीब 135 करोड रूपयों का नियोजन किया गया था. 3 सितंबर 2016 के सरकारी निर्णयानुसार नियोजन किये गये कामों में प्राधान्यक्रम नहीं रहने की बात इस आदेश में दर्ज है. संबंधित सदस्यों द्वारा प्रस्ताव क्रमांक 20-1, 20-4, 20-3 व 20-5 को लेकर आक्षेप दर्ज कराया गया. इस प्रस्ताव के अनुसार 135 करोड रूपये की निधी का नियोजन किया गया है. किंतु जिप सदस्य श्याम मसराम की याचिका के आधार पर संभागीय आयुक्त ने अगली कार्रवाई को स्थगिती दी है. साथ ही एक पत्र भी अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी सहित निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता को भेजा है. उपरोक्त लेखाशीर्ष अंतर्गत रास्तों के डांबरीकरण व खडीकरण के साथ ही पुलों के काम का समावेश है. किंतु अब इस नियोजन पर ही ब्रेक लग जाने के चलते जिला परिषद में राजनीतिक तापमान जमकर तपा हुआ है.

  • नियोजन में शामिल कुछ काम गलत रहने के चलते मैंने इसकी शिकायत विभागीय आयुक्त के पास की थी. पीसीआय नियमानुसार काम का प्राधान्यक्रम गलत रहने की बात मैंने अपनी शिकायत में कही है. जिस पर संभागीय आयुक्त ने ‘जैसे थे’ का आदेश दिया है.
    – श्याम मसराम
    जिप सदस्य

सत्ताधारियों की भूमिका पर लगा ध्यान

विपक्षी सदस्य की शिकायत के चलते नियोजन पर ब्रेक लगने के बाद अब सत्ताधारी दल द्वारा क्या कदम उठाया जाता है, इस ओर सभी का ध्यान लगा हुआ है. उल्लेखनीय है कि जिला परिषद के मौजूदा सदस्यों का कार्यकाल आगामी फरवरी 2022 में खत्म होने जा रहा है. ऐसे में केवल एक-दो महिने का कार्यकाल शेष रहते समय नियोजन का घोडा अड जाने के चलते इसके दूरगामी परिणाम जिला परिषद की राजनीति पर दिखाई देेंगे. ऐसे में सत्ताधारी दल में काफी हद तक बेचैनी है.

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