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ठंड के चलते रेलपटरी में आयी थी दरार

संकुचन प्रक्रिया होने का असर

* धागणगांव से ट्रेन परिचालन हुआ सामान्य
अमरावती/दि.29 – गत रोज धामणगांव रेल्वे से पुलगांव के बीच डाउन लाइन वाले रेल्वे ट्रैक पर रेल पटरी में दरार आ जाने की घटना सामने आयी थी. जिसे लेकर अच्छा खासा हडकंप भी मचा था. हालांकि आधे घंटे के भीतर उस दरार में लोहे का ब्लॉक फंसाकर वेल्डिंग करते हुए पटरी को दुरुस्त कर दिया गया था और गत रोज ही धामणगांव से होकर गुजरने वाली रेलगाडियों का परिचालन भी सामान्य हो चुका था. वहीं अब रेल्वे के सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया कि, ठंड के मौसम दौरान लोहे में होने वाली संकुचन प्रक्रिया के चलते रेल्वे पटरी में ज्वॉईंट वाले स्थान पर छोटी दरार का बन जाना बेहद सामान्य है. जिसे लेकर किसी भी तरह की कोई आशंका वाली बात नहीं होनी चाहिए.
इस संदर्भ में नाम नहीं छापने की शर्त पर जानकारी देते हुए रेल महकमें से जुडे एक अधिकारी ने बताया कि, गर्मी के मौसम के दौरान रेल पटरियों में कुछ हद तक फैलाव होता है और ठंड के मौसम के दौरान पटरियों में संकुचन यानि खींचाव की प्रक्रिया होती है. ऐसे में यदि कभी तापमान ज्यादा ही लुढक गया, तो रेल्वे पटरी के ज्वॉईंट वाले स्थान पर छोटी सी दरार बन जाती है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए जहां दिन के समय ट्रैकमैन व गैंगमैन द्वारा रेल्वे पटरियों पर पैदल घुमते हुए नजर रखी जाती है. वहीं दूसरी ओर रात के समय प्रत्येक दो से तीन किमी वाले हिस्से पर दो पेट्रोल मैन की टीम द्वारा इधर से उधर कम से कम 3 से 4 चक्कर लगाते हुए रेल्वे पटरी के प्रत्येक हिस्से पर ध्यान दिया जाता है. इस रेल्वे अधिकारी के मुताबिक अमूमन सर्दियों के मौसम में तडके 4 से 6 बजे के दौरान पडने वाली ठंड के चलते रेल्वे पटरी के ज्वॉईंट वाले हिस्से में दरार पड जाने की आशंका रहती है. ऐसे में रात के समय पैदल गश्त लगाने वाले पेट्रोल मैन की टीम द्वारा इसी समय के दौरान अपने कार्यक्षेत्र अंतर्गत रेल्वे पटरी के प्रत्येक हिस्से का कडाई के साथ मुआयना किया जाता है और कही पर कोई दरार दिखाई देने पर उसकी सूचना तुरंत ही नजदीकी रेल्वे स्टेशन को दी जाती है. कुछ ऐसा ही गत रोज भी हुआ. जब सुबह के वक्त मौसम काफी सर्द रहने के चलते धामणगांव रेल्वे से पुलगांव के बीच एक स्थान पर सिकुडन की वजह से रेल पटरी में दरार पड गई. जिसकी ओर ध्यान जाते ही रेल्वे ट्रैकमैन ने तुरंत आगे सूचना भी दे दी. जिसका पता चलते ही आधे घंटे के भीतर उक्त स्थान पर रेल्वे पटरी का छोटा ब्लॉक फंसाकर वेल्डिंग करते हुए क्लैम्प लगा दिया गया और फिर उस स्थान से रेलगाडियोें को सतर्कता के साथ आगे जाने दिया गया.

* दरार के चलते हादसे की संभावना तो होती है
इस रेल्वे अधिकारी के मुताबिक रेल पटरी में रहने वाली छोटी-मोटी दरार की वजह से रेल हादसा होगा ही, ऐसा जरुरी नहीं है. लेकिन इसके बावजूद ऐसी दरारों की वजह से रेल हादसा घटित होने की थोडी बहुत संभावना तो बनी रहती है. यदि ऐसे दरार वाली पटरी पर किसी तेज रफ्तार सुपर एक्सप्रेस का आना होता है, तो पहिए के नीचे दबा हुआ हिस्सा ट्रेन की दबाव की वजह से नीचे दब जाता है. वहीं दरार के दूसरी ओर रहने वाले हिस्सा थोडा उपर उठ जाता है. जिससे इंजीन या बोगी के नीचे रहने वाले कलपुर्जो में फंसने और ट्रेन के डिब्बों को क्षतिग्रस्त करने की संभावना बनी रहती है. साथ ही कई बार ऐसी दरारों की वजह से ही रेलगाडियां पटरी से नीचे भी उतर जाती है. ऐसे में मौसमी मार की वजह से रेल्वे पटरी में आने वाली दरारों को रेल विभाग द्वारा कभी भी हलके में नहीं लिया जाता. बल्कि पूरा समय रेल पटरियों की चौकसी की जाती है और कही पर भी दरार दिखाई देने पर उसकी तुरंत दुरुस्ती व मरम्मत भी की जाती है.

* उस ट्रैकमैन को किया जाएगा पुरस्कृत
इस बीच यह जानकारी भी सामने आयी है कि, गत रोज रेल्वे के जिस भोलाराम मीना नामक ट्रैकमैन की सतर्कता के चलते पुरी-अहमदाबाद एक्सप्रेस को रेल्वे पटरी पर पडी दरार के पास पहुंचने से पहले ही रोकने में सफलता मिली, उस टैकमैन भोलाराम मीना को मध्यरेल्वे द्वारा जल्द ही पुरस्कृत किया जाएगा.
बता दें कि, ट्रैकमैन भोलाराम मीना ने अपनी गश्त के दौरान जैसे ही रेल्वे पटरी में पडी दरार को देखा, तो उसने करीब 400 मीटर तक रेल्वे पटरी पर दौड लगाते हुए डाउन रेल्वे ट्रैक से आ रही अहमदाबाद-पुरी एक्सप्रेस को लाल झंडी दिखाकर रुकने का इशारा किया और उस ट्रेन के ड्राइवर ने भी इमर्जेन्सी बे्रक लगाते हुए रेलगाडी को रोका. जिसके चलते उक्त ट्रेन उस दरार वाले स्थान से 400 मीटर पहले ही रुक गई. खास बात यह भी थी कि, इस ट्रेन के पीछे आ रही मुंबई-हावडा एक्सप्रेस को भी धामणगांव स्टेशन पर रोक दिया गया था और दरार वाले स्थान की दुरस्ती के बाद दोनों रेलगाडियों को उनके अगले गंतव्य के लिए रवाना करने के साथ ही इस रेल्वे पटरी से रेल यातायात को सुचारु किया जा सका था. ऐसे में रेल्वे ट्रैकमैन भोलाराम मीना की सतर्कता और साहस की सभी स्तर पर सराहना की जा रही है.

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