अमरावतीमहाराष्ट्रमुख्य समाचार

ढोल-ताशा की रही डिमांड, घंटे के चुकाए हजार रुपये

गणेशोत्सव से आनंदमय वातावरण

* नई ताल बनाने की भी पथकों का दावा
अमरावती/दि.7- गणेशोत्सव प्रारंभ होने के साथ ढोल-ताशा वादकों की डिमांड बढी उन्हें मुंह मांगे दाम देकर भक्तों ने गणराय की अगुवानी में ढोल-ताशे का निनांद गुंजाया. कई भाविक थिरक उठे थे. उल्लेखनीय हैं कि शहर में पारंपरिक ढोल-ताशा पथक के अलावा हाल के वर्षो में बढे पथक बनाने के रुझान का भी बोल बाला हैं. दो दर्जन से अधिक पथक विभिन्न भागों में सेवारत हैं. गणेशोत्सव और दुर्गोत्सव में उनकी डिमांड बढ जाती हैं. यह पथक गणपति से महीना भर पहले ही तालिम शुरू कर देते हैं. उनका कहना हैं कि करीब दशक भर से अनेक पथक विभिन्न मंडलों में सेवा दे रहे हैं. उसी प्रकार कुछ मंडलों में उनके पथक हमेशा के लिए बुक समान हैं. समय के साथ उनका मानधन कम अधिक दिया जाता हैं.
1 हजार रुपये घंटा
पांच ढोल ताशा का पथक 1 हजार रुपये में 1 घंटे तक वाद्य सेवा देने की जानकारी एक पथक ने दी. वहीं नये ढोल-ताशा और घंटी वाले पथक जिनमें 30-40 की संख्या में वादक होते हैं और बडे ढोल वे स्वयं थिरककर बजाते हैं. उनके प्रति घंटे अथवा शोभा यात्रा के चार्ज कई हजार रुपये रहने की जानकारी एक पथक संचालक ने दी. उन्होंने बताया कि उत्सव के यही दिन होते हैं जब ढोलताशा वादकों की मांग सर्वत्र रहती हैं.
एक से बढ कर एक नाम
पथकों के नाम भी बडे लुभावनें हैं. शिवगर्जना, वक्रतुंड, चंद्रमणी, छत्रपती जैसे नाम के पथकों में बडी संख्या में युवतियां भी शामिल हैं. जो ढोल- नगाडा पीटने में युवकों से किसी स्तर पर कम नहीं. उसी प्रकार पथक संचालक सभी के लिए एक समान परिधान रखने से पथक की शोभा बढ जाती हैं. शोभायात्रा की गरिमा बढाने के लिए भी पथक सहायक होतेे हैं.
नई ताल बनाने का दावा
कुछ पथक ने दावा किया कि पारंपरिक ताल के अलावा नये संगीत भी तैयार किए गए हैं. गुरुवंदना, शिवताल, गणेश वंदना, महाकाल ताल और जल्लोष ताल अब तक लोकप्रिय रहे हैं. गजवक्र ढोल ताशा पथक ने इस बार स्वर गंधार, शंभू मुद्रा और पंढरी नाद यह नई ताल तैयार की हैं. आज गणपती स्थापना की शोभायात्रा में नई ताल खूब बजाई गई और मंडलों व्दारा पसंद किए जाने का दावा प्रतीक टेटे ने किया.

Related Articles

Back to top button