सर्वदलिय शराबियों के मेले में जमकर चले लातघूसे
इस घटना की राजनीतिक क्षेत्र में जमकर चर्चा
अमरावती/दि.07– मध्यप्रदेश की सीमा पर चांदूर बाजार तहसील की बहिरम यात्रा में पौष माह के चौथे रविवार की रात सर्वदलित शराबियों का तमाशा लगा हुआ था. नशे में धूत एक नेता ने दूसरे नेता को जूते और लातघूसे से बहिरम बाबा का प्रसाद देने का कारनामा किया. इस घटना की राजनीतिक क्षेत्र में जोरदार चर्चा चल रही है.
बहिरम में वर्षो से भरनेवाली यात्रा का सही आकर्षण तमाशे थे. मिट्टी की हंडी का मटन खाने के लिए यह यात्रा विख्यात है. खाने-पिने के शौकिन यात्रा में राहुटी लगाकर एक माह तक अपना डेरा जमाते थे. विधायक बच्चू कडू ने 2005 से यहां तमाशों को बंद करवाकर शंकरपट तथा जनोपयोगी सरकार आपके द्वार आदि उपक्रम शुरु किए. इसे नागरिकों का भारी प्रतिसाद मिलता रहा तो भी यात्रा में हर वर्ष राहुटी लगाई जाती है. कुछ लोग अपनी सुविधा के मुताबिक व्यवस्था करते है. खान-पान के शौकिन संबंधित स्थल अथवा राहुटी में अय्याशी करते है. पिछले कुछ साल से यह यात्रा 20 दिसंबर से 31 जनवरी तक रहती है. इस वर्ष अधिक मास के कारण पौष माह लंबा चला. यात्रा में पौष का महत्व अभी भी कायम रहने से नागरिक पौष के सभी रविवार मेले में बडी संख्या में उमडते है. आगामी रविवार यात्रा का अंतिम सप्ताह है.
इसके पूर्व 4 फरवरी को शिराला के एक राजनीतिक नेता अपने मित्र परिवार के लिए बहिरम में खान-पान का कार्यक्रम रखा था. जिले के 7-8 लोगों का परिवार आनेवाला रहने से उनके खान-पान की व्यवस्था की गई थी. कोई हाथ का ‘पंजा’ हिलाते हुए तो कोई हाथ में ‘घडी’ बांधकर तो कोई ‘भगवा दुपट्टा’ कंधे पर रखकर इस यात्रा में पहुंचा था. इसमें किसानों की बैंक के और उपज मंडी के पदाधिकारी भी थे. शिराला गांव के जमीनस्तर की राजनीति संभालने वाले इस शराब पार्टी के मेजबान थे. उनकी उपज मंडी के चुनाव में परदे के पिछे की भूमिका थी. शराब पार्टी के मेजबान और उपज मंडी के संबंधित संचालक इसके पूर्व एक राजनीतिक दल के जिला प्रमुख भैयासाहब के सहयोग से राजनीति करते थे. लेकिन राजनीति में उथल-पुथल होने के बाद वे दोनों भैयासाहब से दूर हो गए और ताई के गुट में शामिल हो गए है. लेकिन फिर भी उनमें राजनीतिक सद्भाव अभी भी कायम है. रविवार 4 फरवरी को रात का समय जैसे-जैसे बढता जा रहा था, वैसे-वैसे शराब का नशा भी उनका चढ रहा था. ऐसे में राजनीतिक विषय छेडा गया. मेरी ही छत्रछाया में बडा हुआ और दूसरे खेमें में जाकर बैठ गया, ऐसा ही कुछ विषय भैयासाहब ने रखा. इस पर से शुरुआत में हमरी-तुमरी के बाद कडे शब्दों का प्रयोग और बाद में मामला हाथापाई तक आ गया. एक ने दूसरे नेता पर जूता उठाया और तंबू में अफरातफरी मच गई. वहां उपस्थित अन्य उन्हें समझाने लगे. संबंधित नेता ने दूसरे पर केवल जूता निकालाही नहीं बल्कि लातघूसे चलाकर दौडाया भी. इस घटना की राजनीतिक क्षेत्र में जमकर चर्चा है. घटना को चार दिन बितने के बावजूद अभी भी इसकी चर्चा जारी है.