अमरावती

किसी को आहत करने का कोई हेतु नहीं था

विधायकों की अनदेखी के मामले में एसपी डॉ. बालाजी का कथन

  • बोले : पुलिस कल्याण के कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों का प्रोटोकॉल नहीं

अमरावती/दि.3 – पुलिस कल्याण निधी के जरिये किये जानेवाले कार्यों के उद्घाटन या शुभारंभ के कार्यक्रम पूरी तरह से पुलिस महकमे के निजी स्तर पर होनेवाले कार्यक्रम होते है. जिसमें जनप्रतिनिधियों का कोई प्रोटोकॉल नहीं होता और खुद पुलिस महकमे को यह तय करना होता है कि किसे बुलाया जाये और किसे नहीं. ऐसे में यहां पर किसी जनप्रतिनिधि के विशेषाधिकार हनन का सवाल ही नहीं उठता. साथ ही विगत दिनों जिला ग्रामीण पुलिस द्वारा आयोजीत कार्यक्रम में हमारा उद्देश्य किसी की अनदेखी करना या किसी को आहत करना बिल्कुल भी नहीं था. अत: किसी ने भी किसी भी तरह की गलतफहमी नहीं रखनी चाहिए. इस आशय का प्रतिपादन जिला ग्रामीण पुलिस अधिक्षक डॉ. हरी बालाजी एन द्वारा किया गया.
बता दें कि, विगत दिनों चिखलदरा में जिला ग्रामीण पुलिस महकमे के विश्राम गृह का उद्घाटन हुआ. साथ ही अमरावती में पुलिस के आशियाना क्लब व मंथन सभागृह सहित पुलिस हेल्थ ऍप का शुभारंभ किया गया. ये सभी उपक्रम जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर के हाथों उद्घाटित किये गये और चिखलदरा के कार्यक्रम में मेलघाट के विधायक राजकुमार पटेल तथा अमरावती शहर में आयोजीत कार्यक्रम में स्थानीय विधायक सुलभा खोडके को जानबूझकर आमंत्रित नहीं करने और उनके नामों का उल्लेख कार्यक्रम पत्रिका में नहीं करने के आरोप लगने शुरू हुए. साथ ही विधायक सुलभा खोडके ने जिला ग्रामीण पुलिस अधीक्षक के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष के पास विशेषाधिकार हनन की शिकायत भी की.
इस पूरे मामले को लेकर प्रतिक्रिया हेतु संपर्क किये जाने पर ग्रामीण पुलिस अधीक्षक डॉ. हरी बालाजी एन ने उपरोक्त प्रतिपादन करने के साथ ही कहा कि, चिखलदरा में आयोजीत कार्यक्रम की निमंत्रण पत्रिका में मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र के विधायक राजकुमार पटेल यद्यपि नाम उल्लेखीत नहीं था, लेकिन उन्हें इस कार्यक्रम हेतु आमंत्रित किया गया था. ऐसे में विधायक पटेल व उनके समर्थकों द्वारा लगाये जा रहे आरोप बेबुनियाद है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, चूंकि विधायक सुलभा खोडके अमरावती के शहरी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती है और उनका ग्रामीण पुलिस से लगभग वास्ता ही नहीं पडता. ऐसे में उन्हें अमरावती में ग्रामीण पुलिस विभाग की ओर से आयोजीत कार्यक्रम में बुलाना उचित नहीं समझा गया. इसके पीछे और कोई दूसरी वजह नहीं थी. एसपी डॉ. बालाजी के मुताबिक वैसे भी पुलिस कल्याण निधी से किये जानेवाले कार्यों अथवा कार्यक्रम में किसे बुलाना है और किसे नहीं, इसके पूरे अधिकार पुलिस महकमे के पास है और इससे किसे के विशेषाधिकार का हनन नहीं होता. अत: किसी को भी आहत नहीं होना चाहिए. एसपी डॉ. बालाजी के मुताबिक इस पुरे मामले को जानबूझकर राजनीतिक रंग दिया जा रहा है, जो कि, पूरी तरह से गलत है. अत: उन्होंने कहा कि, पुलिस महकमे को बेवजह किसी राजनीतिक लपेंटे में न लिया जाये.

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