अमरावती

स्वराज्य निर्माण में संतों के जनजागृति से भारी सहायता मिली

अ.भा. अंधश्रध्दा निर्मूलन के पंकज वंजारे का प्रतिपादन

* शिव जयंती महोत्सव में विभिन्न स्पर्धा व व्याख्यान
चांदुर रेल्वे/ दि. 4-छ.शिवाजी राजे उनके जन कल्याणकारी राज्यप्रणाली कार्यो के कारण वे विश्व प्रसिध्द है. इसके लिए उन पर नैतिकता के शौर्य के संस्कार करनेवाली माता जीजाऊ विविध शास्त्र का ज्ञान देनेवाले शिक्षक, त्यागी व विश्वास सहयोगियों की भूमिका महत्वपूर्ण रही थी. उसी अनुसार विवेक व समतावादी विचार अपनानेवाले संतों ने उस समय की गई जनजागृति के लिए स्वराज्य बनाने में बहुत मदद की. ऐसा प्रतिपादन प्रसिध्द वक्ता तथा अखिल भारतीय अंधश्रध्दा निर्मूलन समिती के महाराष्ट्र राज्य युवा संगठक पंकज वंजारे ने किया.
राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज युवक-युवती विचार मंच महाराष्ट्र राज्य और समस्त शिवप्रेमी धानोरा जि. अमरावती द्बारा आयोजित शिवजयंती महोत्सव में वे एक सभा में आदर्श राजे छ. शिवाजी महाराज और संतो के वैज्ञानिक दृष्टिकोण इस विषय पर बोल रहे थे.
इस अवसर पर अध्यक्षस्थान पर जिला सचिव हरीष केदार, प्रमुख अतिथि के रूप में कल्पना सुधीर नलगे, प्रसिध्द कवि गजलकार, हेमंत टाले, अ. भा. अंनिस युवा जिला संगठक वर्धा सुमित लता प्रकाश मंच पर उपस्थित थे. पंकज वंजारे ने कहा कि शिवाजी आदर्श राजा क्यों माने जाते है. इस पर मार्गदर्शन किए. आगे उन्होंने डॉ. बाबा आंबेडकर के वैचारिक रिश्तेे व सबूत स्पष्ट किया. ऐतिहासिक तत्कालीन समाज व राज्य व्यवस्था और संत नामदेव, ज्ञानेश्वर, ऐकनाथ, चोलोमला, कबीर, रविदास, तुकाराम, रामदास स्वामी, गाडगेबाबा, राष्ट्रसंत तुकडोजी सहित विविध संतों के अनेक अभंग का संदर्भ देकर वर्तमान स्थिति में अंधश्रध्दा पर उन्होंने कडा प्रहार किया. संत ज्ञानेश्वर ने कहा कि संत किसे कहे इसका अभंग द्बारा संदर्भ देकर संत के, महापुरूष के विचार प्रत्येक को अमल में लाना चाहिए, ऐसा आवाहन पंकज वंजारे ने किया.
हेमंत टाले ने कहा कि शिवजयंती उत्सव समाज जागृति का माध्यम है. जागृति की मशाल जलाकर रखने का आवाहन उपस्थितों ने किया. अतिथियों का परिचय सुमित लता प्रकाश ने दिया तथा सूत्र संचालन अविभाउ खानजोडे ने किया.
शिवजयंती महोत्सव में आयोजित चित्रकला, रांगोली स्पर्धा का पुरस्कार वितरण कर, मिठाई बाटकर, राष्ट्रवंदना से सभा का समापन किया गया. इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए ऋषिकेश नलगे, अविनाश खानजोडे, दत्ताभाउ खानजोडे, गणेश गहुकर, अविनाश रंदले, सूरज इंगले, ऋषिकेश वाकेकर, राहुल बरडे, महेश बनकर, भूषण रोहणकर, शुभम खंडार, विनय नागोसे, उमेश, अंबुलकर, कुणाल इंगले, सुमेद पवार, प्रीत निंबालकर, संदेश नलगे, गुणवंत इंगले, नितीन आरेकर, चेतन गुजर, ऋतुराज गुजर, निशिकांत गुजर,अंकित लोखंडे, प्रतिक इंगले, वैभव निहाटकर, पवन निहाटकर, रोशन अंबुलकर, शिवा कंगाले, पियुष नन्नोरे, पुरूषोत्तम मारबदे, प्रणय मेश्राम, सार्थक इंगले, रोशन चव्हाण, सहित अन्य ने सहयोग किया. परिसर के गांव में नागरिक, युवा, महिला, बालक बडी संख्या में उपस्थित थे.

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