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27 साल बाद दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा नहीं होगी

25 अक्तूबर को रहेगा खग्रास सूर्यग्रहण

* परंपरा टूटेगी, गोवर्धन पूजा, अन्नकुट महोत्सव 26 को मनाएंगे
अमरावती/ दि.15 – परंपरा और तिथि के अनुसार दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा व अन्नकुट का कार्यक्रम रखा जाता है. उस दिन भगवान को विभिन्न तरह के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है, मगर इस वर्ष यह परंपरा टूटेगी. दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा नहीं होगी, क्योंकि 27 साल बाद दीपावली के दूसरे दिन याने 25 अक्तूबर को खग्रास सूर्यग्रहण कार्तिक कृष्ण चर्तुदशी युक्त प्रदोष व्यापिनी अमावस्या पर 24 अक्तूबर के दिन दीपावली मनाई जाएगी. शाम के समय लक्ष्मी पूजा होगी. परंतु सूर्यग्रहण की वजह से गोवर्धन पूजा व अन्नकुट का भोग इस बार 25 की जगह 26 अक्तूबर को लगाया जाएगा, ऐसी जानकारी ज्योतिषाचार्य पंडित करण गोपाल पुरोहित ने दी.

धनत्रयोदशी श्री कुबेर पूजन मुहूर्त
कार्तिक कृष्ण पक्ष की प्रदोष व्यापिनी त्रयोदशी को प्रदोष व्रत एवं धनतेरस का पर्व मनाया जाता हैं. इस वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी दो दिन प्रदोष व्यापिनी है. इससे जनता में भ्रम की स्थिती निर्मित होगी. इसके सम्बंध में शास्त्रीय व्यवस्था है की यदि त्रयोदशी 2 दिन प्रदोष व्यापिनी हो तो द्वितीय दिन ही प्रदोष व्रत करना चाहिए एवं इसी शास्त्रीय आधार पर धनतेरस वा पर्व भी दूसरे दिन अर्थात् कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी रविवार, 23 अक्तुबर 2022 को मनाया जायेगा. धनतेरस के साथ धन्वत्नरी जयन्ती एवं यम दीपमान भी इसी दिन होंगे।कार्तिक कृष्ण पक्ष तिथि 13 रविवार तारीख 23 अक्तूबर सायं प्रदोष वेला श्री यमदीपदानं एवं श्री पूजन मुहुर्त 5.56 से 8.32 मिनट तक करना उत्तम है.

गादी स्थापना, स्याही भरन, कलम दवात संवारने का मुहूर्त
कार्तिक कृष्ण पक्ष को प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को दिपावली मनाई जाती हैं. इस वर्ष प्रदोष व्यापिनी अमावस्या कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी सोमवार ता. 24 अक्तुबर को होने से इसी दिन दिपावली मनाई जावेगी. कार्तिक कृष्ण पक्ष सोमवार तिथि 14 तारीख 24 अक्तूबर ई दिवस वेला पर गादी स्थापना- स्याही भरना- कलम दवात संवारने हेतु मुहूर्त
प्रातः 6.45 से 7.30 तक अमृत वेला
दिवा 9.33 से 10.57 तक शुभ वेला
दोपहर 11.56 से 12.44 तक अभिजित वेला
दोपहर1.46 से 3.10 तक चंचल वेला

महालक्ष्मी पूजन मुहूर्त
दोपहर 3.10 से 5.58 तक लाभ-अमृत वेला
सायं 5.58 से 08.32 तक गोधूलि+प्रदोष वेला
सायं 5.58 से 7.34 तक चंचल वेला
रात्रि वृषभ लग्न वेला सायं 7.14 से 9.11
रात्रि 10.46 से 12.22 तक लाभ वेला
मान्य तथा श्री अर्द्ध रात्रि स्थिर सिंह लग्न वेला मध्य रात्रि 1.42 से 3.57 पर्यंत एवं इस सिंह लग्न में कनकधारा स्तोत्र का पठन – पाठ विशेष श्रीकारक सिद्ध होता है.

अन्नकुट, गोवर्धन पूजा
अन्नकूट, गोवर्धन पूजा, बलि पूजा एवं गौ क्रिडा कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को अन्नकूट, गोवर्धन पूजा, बलि पूजा एवं गौ क्रिडा का पर्व मनाया जाता हैं, परन्तु प्रतिपदा को यदि चन्द्र दर्शन होते हों तो फिर उक्त पर्व अमावस्या को ही मनाए जाते हैं. इस वर्ष प्रतिपदा को चन्द्र दर्शन हो जावेगा इससे उक्त पर्व अमावस्या को ही मनाया जाना चाहिए परन्तु अमावस्या को सूर्यग्रहण हैं और इसका सूतक सूर्योदय पूर्व ही लग जावेगा. इससे उक्त अमावस्या को नहीं मनाए जा सकते हैं. ऐसी स्थिति में समस्त शास्त्रीय नियमों को ध्यान में रखते हुए अन्नकूट, गोवर्धन पूजा, बलि पूजा एवं गौ क्रीडा के पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष 1 बुधवार, 26 अक्तुबर 2022 को ही मनाया जाना शास्त्र सम्मत होंगे.

श्री रोकड़ मिलान लेखन
श्री नवकार्य शुभारम्भ हेतु कार्तिक सुदी 1 बुधवार प्रतिपदा तिथि मानक एवं तारीख 26 अक्तूबर ई . प्रातः 6.46 से 6.34 तक लाभ- अमृत वेला,सुबह 10.58 से 12 तक शुभ वेला श्रीकार.
टिप:- अमावस्या तिथि ता.24 अक्तूबर सोमवार को शाम 5.26 मिनट से प्रारभ होगी. समाप्ति ता.25 अक्तूबर मंगलवार को 4 बजकर 17 मिनट पर अमावस्या तिथि समाप्ति होगी.

खंडग्रास सूर्यग्रहण का समय
25 अक्तूबर कार्तिक कृष्ण पक्ष 30 मंगलवार को खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा. इस ग्रहण का भारतीय समय से स्पर्श शाम 4.31 बजे होगा. ग्रहण का मध्य काल शाम 5.14 बजे पर एवं मोक्ष शाम 5.57 बजे होगा. इसका सूतक भारतीय समय से प्रातः (सुबह) 4 बजकर 31 मिनट से प्रारंभ होगा. सम्पूर्ण भारत में जहां पर भी ग्रहण दृश्य होगा वहां पर ग्रस्ताग्रस्त सूर्य ग्रहण ही दृश्य होगा.

विभिन्न द्वादश राशियों पर ग्रहण शुभ-अशुभ प्रभाव
– मेष , मिथुन , कन्या , कुंभ – सामान्य मध्यम
वृषभ , सिंह , धनु , मकर , -शुभ सुखद
कर्क , तुला , वृश्चिक , मीन – नेष्ट अशुभ
इस ग्रहण से जगत में कल्याण, धन की वृद्धि, उपद्रवों का नाश और सुभिक्ष हो जिससे प्रजा को आनंद किन्तु राजपुत्रों को पीड़ा हो सुनार, लुहार, हलवाई आदि से आजीविका करने वाले और प्रजा को पीड़ा और धान्यादि का भाव सस्ता हो जावे. वाहनों को कष्ट, दुर्भिक्ष का भय, चोरों का तथा अग्नि का उपद्रव. प्रचंड वायु का वेग अधिक, सेना और सैनिकों को कष्ट- पीड़ा और राजा और प्रजा में अधर्म, दुःख व क्लेश हो. मित्रों में परस्पर वैर, राजाओं और मंत्रियों में फूट और श्रेष्ठ स्त्रियों से भी वियोग एवं कलह हो. ग्रहण स्वाति नक्षत्र एवं तुला राशि पर हो रहा है. इससे इस नक्षत्र एवं राशि वालों को रोग, पीड़ा, कष्ट आदि फल होगा.

यहां दिखेगा खग्रास सूर्यग्रहण
वर्षा में नियुकता बनने से जौ, गेहूं, चना, मूंग मटर, तिलहन तथा दलहन आदि में तेजी होगी इस नक्षत्र एवं राशि वालों को ग्रहण का दर्शन करना उपयुक्त नहीं है. यह ग्रहण भारत सहित ग्रीनलैंड के पूर्व, स्वीडन, नॉर्वे, युनाईटेड किंगडम, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, यमन, ओमान, सउदी अरेबिया, इजिप्ट, इटली, पौलेण्ड, रोमानिया, ऑस्ट्रिया, ग्रीस, टर्की, ईराक, इरान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, उत्तरी एवं पश्चिमी श्रीलंका, मॉस्को, पश्चिमी रूस, नेपाल, भूटान आदि में खण्डग्रास सूर्य ग्रहण खण्डग्रास रूप में दृश्य होगा.

लगभग पूरे भारत में दिखेगा
सूर्यग्रहण लगभग पूरे भारत में दिखाई देगा. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, सूर्यग्रहण के तुरंत बाद लोगों को स्नान करने के बाद जप और पूजा पाठ करना चाहिए. इसके अलावा कार्तिक मास की अमावस्या को सूर्य ग्रहण घटित होने से इस दिन तीर्थ स्नान, दान करने का विशेष महत्व होगा. शास्त्रों में बताया गया है कि इस तरह की गतिविधियों के बाद मनुष्य का शरीर अपवित्र हो जाता है. इसलिए स्नान करना बेहद जरूरी होता है. दरअसल, धार्मिक मान्यताएं कहती है कि सूर्य ग्रहण राहु और केतु के कारण लगता है. इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है, ऐसी भी जानकारी पंडित करण गोपाल पुरोहित ने दी.

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