* सोयाबीन व कपास को किसानों द्वारा दी जा रही प्राथमिकता
अमरावती/दि.23- इस समय जल्द ही मान्सून के आगमन को लेकर उम्मीद जताई जा रही है और आठ दिनों में खरीफ फसलों की बुआई का मौसम शुरू हो सकता है. चूंकि इस वर्ष मान्सून के जल्द सक्रिय होने का अनुमान है, ऐसे में मृग नक्षत्र में अपेक्षित बारिश होने पर विगत सीझन की तुलना में इस बार खरीफ फसलों की बुआई का क्षेत्रफल 20 हजार हेक्टेयर से बढ सकता है. ऐसा होने पर बीजों के लिए किया गया नियोजन गडबडा सकता है और कपास व सोयाबीन के बीजों की काफी हद तक किल्लत भी पैदा हो सकती है.
बता दें कि, इस बार खरीफ फसलों की बुआई हेतु कृषि विभाग द्वारा 6 लाख 87 हजार 897 हेक्टेयर क्षेत्र को प्रस्तावित किया गया है. किंतु जून माह में होनेवाली संभावित बारिश पर भी काफी कुछ निर्भर है. विगत कुछ वर्षों से जून की बजाय जुलाई माह में किसानों द्वारा बुआई की जाने लगी है. साथ ही बारिश के अनियमित रहने के चलते 60 दिन की कालावधिवाली मूंग व उडद जैसी फसलों के बुआई क्षेत्र को कपास व सोयाबीन की बुआई के लिए प्रयोग में लाया जाने लगा. ऐसे में कपास व सोयाबीन की फसलों का बुआई क्षेत्र बढ गया है. वहीं इन दिनों कपास को 13 हजार रूपये व सोयाबीन को 7 हजार रूपये प्रति क्विंटल का दाम मिलने के चलते इन दोनों फसलों की बुआई को किसानों द्वारा पहली प्राथमिकता दी जा रही है. इस वजह से भी इन दोनों फसलों के बुआई क्षेत्र में इजाफा होने की पूरी उम्मीद है.
कृषि विभाग द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक इस बार सोयाबीन के लिए 2.65 लाख हेक्टेयर तथा कपास के लिए 2.35 लाख हेक्टेयर क्षेत्र प्रस्तावित है. चूंकि इसमें वृध्दि होने की पूरी संभावना है. ऐसे में कृषि विभाग को अतिरिक्त बीजों के लिए आवश्यक नियोजन करना होगा. उल्लेखनीय है कि, इस बार सोयाबीन को काफी अच्छे दाम मिलने के चलते अधिकांश किसानों ने अपने घर में रखे सोयाबीन के एक-एक दाने को बेच दिया है. जिसकी वजह से इस बार सोयाबीन के बीजों की कुछ हद तक किल्लत महसूस हो सकती है.
* 79,500 क्विंटल सोयाबीन बीजों की जरूरत
इस बार के प्रस्तावित क्षेत्रानुसार सोयाबीन के 79,500 क्विंटल बीजों की जरूरत महसूस होगी. जिसके लिए प्रति हेक्टर 75 किलो बीजों की जरूरत पडने का अनुमान ग्राह्य माना गया है. इसमें 61.7 फीसद बीजों के बदल का प्रमाण रहेगा. कृषि महकमे के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र से 33 हजार 750 तथा निजी क्षेत्र से 45 हजार 750 क्विंटल बीज उपलब्ध होंगे. इसके अलावा कई किसानों ने बुआई के लिए अपनी पिछली फसल में से अपने पास बीज बचाकर रखे है.
किसानों ने अपने घर पर बचाकर रखे बीजों की उपज क्षमता को पहले ही जांच लेना चाहिए और 70 फीसद से अधिक अंकुरण क्षमतावाले बीजों को ही आवश्यक प्रक्रिया के बाद बुआई हेतु प्रयोग में लाना चाहिए. साथ ही 70 से 100 मिमी बारिश होने के बाद ही बुआई का काम शुरू करना चाहिए. इस बार कपास व सोयाबीन के बीजों की कोई किल्लत महसूस नहीं होगी.
– अनिल खर्चान
जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी
* जिले में कपास, सोयाबीन व तुअर का तहसीलनिहाय बुआई क्षेत्र (हे.)
तहसील सोयाबीन कपास तुअर
अमरावती 34,252 13,930 2000
भातकुली 28,928 10,530 8,500
नांदगांव खंडे. 48,100 6,590 9,000
चांदूर रेल्वे 24,000 12,350 6,500
धामणगांव 23,740 21,060 8,050
मोर्शी 14,000 30,170 13,400
वरूड 2,780 26,200 11,100
तिवसा 17,380 17,270 6,150
चांदूर बाजार 15,660 17,510 12,690
अचलपुर 11,490 19,545 8,600
अंजनगांव 15,580 17,000 8,950
दर्यापुर 12,690 32,800 9,950
धारणी 7,500 8,000 7,500
चिखलदरा 8,900 2,045 3,610
कुल 2,65,000 2,35,000 1,23,000