अमरावती

रक्तसंबंधी भी अंतिम दर्शन से मुंह फेर लेते हैं

मनपा करवाती है लावारिस शवों का अंतिम संस्कार

कोविड काल के समय बढ गए थे मामले
अमरावती/ दि.20 – इस दुनिया में जन्में प्रत्येक मनुष्य की मृत्यु अटल है. अब मृत्यु पश्चात मृतक को मोक्ष की प्राप्ती हो, इस हेतु उसके शव का धार्मिक विधि-विधान व परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाता है. परंतु जिन लोगों को उनके परिजनों व रिश्तेदारों व्दारा नकार दिया गया है, ऐसे बेघरों व निराधारों की मौत होने के बाद उनके पार्थिव पर अंतिम संस्कार करने के लिए कोई सामने नहीं आता. जिसके चलते ऐसे अज्ञात मृतकों के शवों पर महानगर पालिका व्दारा अपने खर्च से अंतिम संस्कार किया जाता है, लेकिन इसके साथ ही यह सवाल अनुत्तरित रह जाता है कि, आखिर रक्तसंबंधियों व्दारा अपने किसी परिजन को इस तरह नितांत अकेला क्यों छोड दिया जाता है और वे उसका अंतिम दर्शन करने के लिए भी क्यों नहीं आते.
पूरी जिंदगी अपना खुन पसीना बहाकर अपना परिवार चलाने वाले माता-पिता जब ढलती आयु का शिकार होकर बुढे हो जाते है और जब ऐसी अवस्था में उन्हें उनके बच्चों व्दारा नकार दिया जाता है, तो इसमें से कई लोग खुले आसमान के नीचे सडकों के किनारे अपना जीवन व्यथित करते है और ऐसे लोगों की सडक किनारे ही मौत हो जाती है, लेकिन इसके बावजूद भी उनके पार्थिव पर अंतिम संस्कार करने हेतु कोई रिश्तेदार सामने नहीं आता. ऐसे समय रिश्तेदारों की खोज-बीन की जाती है. लेकिन कई बार जब अज्ञात मृतक का कोई रिश्तेदार सामने नहीं आता, तो पुलिस प्रशासन व्दारा मनपा प्रशासन को पत्रव्यहार किया जाता और फिर मनपा प्रशासन व्दारा अपने खर्च पर ऐसे लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है.
रक्तसंबंधियों के लिए पांच दिन की प्रतिक्षा
अज्ञात मृतक व्यक्ति का कोई नजदिकी रिश्तेदार आयेगा और शव की शिनाख्त करते हुए उसे अंतिम संस्कार के लिए ले जाएगा, इस उम्मीद पर लावारिस शव को पांच दिनों तक जिला शवागार में रखा जाता है. इस दौरान संबंधित पुलिस थाने व्दारा मृतक का वर्णन रहने वाला प्रसिध्दिपत्रक जारी किया जाता है. साथ ही सभी पुलिस थानों के प्रभारियों को इसकी जानकारी देते हुए स्थानीय स्वायत्त संस्था के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग को भी इसकी जानकारी दी जाती है. यदि इन पांच दिनों के दौरान किसी भी व्यक्ति व्दारा शव को लेकर दावा नहीं किया जाता है, तो मनपा व्दारा अपने खर्च पर लावारिस व्यक्ति का शव पर अंतिम संस्कार कर दिया जाता है.
वर्ष 2022 में 56 लावारिस शव मिले
मनपा के सूचना विभाग के अनुसार सन 2022 में 56 लावारिस शवों पर अंतिम संस्कार करने हेतु मनपा व्दारा हिंदु स्मशान भूमि से पत्रव्यवहार किया गया. शहर में कोई भी लावारिस शव मिलने पर इसकी जानकारी पुलिस व्दारा मनपा के स्वच्छता विभाग को दी जाती है. पश्चात इस पत्र पर स्वच्छता विभाग प्रमुख या स्वास्थ्य अधिक्षक के हस्ताक्षर होने पर शव को अंतिम संस्कार के लिए हिंदु स्मशान भूमि में भेजा जाता है. ऐसे प्रत्येक लावारिस शव पर अंतिम संस्कार करने हेतु मनपा प्रशासन व्दारा प्रति अंतिम संस्कार 1,500 रुपए का प्रावधान किया गया है.
पुलिस व्दारा लावारिस तौर पर मृत पाये गए व्यक्ति की पूरी जानकारी हमें भेजी जाती है. जिसे मनपा व्दारा अपने स्तर पर जांच पडताल करते हुए हिंदू स्मशानभूमि के पास भेजा जाता है, ऐसे लावारिस शवों पर अंतिम संस्कार करने हेतु मनपा व्दारा निधि का प्रावधान भी किया जाता है.
– डॉ. सीमा नेताम, उपायुक्त महानगर पालिका

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