अमरावती

कृषि सामग्री विके्रेताओं की हडताल का तीसरा दिन

60 ने खून देकर किया कडे प्रावधानों का विरोध

अमरावती/दि.4– जिले की 1100 और प्रदेश की 70 हजार से अधिक कृषि सामग्री सेवा दुकानों पर तीसरे दिन भी बंद रही. वही संगठन के पदाधिकारियों ने विरोध के अनूठे अंदाज को अपनाते हुए रक्तदान शिविर का आयोजन कर डाला. 60 व्यापारियों ने स्वयंस्फूर्ति से रक्तदान कर प्रस्तावित कडे प्रावधानों का विरोध किया. रक्त संकलन रक्तदान समिति के सहयोग से किया गया. पीडीएमसी की डॉक्टर्स की टीम मेें रक्त संकलन किया.

अमरावती में हडताल को शत-प्रतिशत सफलता मिलने का दावा कृषि सामग्री विक्रेता संघ के अध्यक्ष मिलिंद इंगोले ने किया. कॉटन मार्केेट मार्ग पर तिरुपति कृषि केंद्र के सामने पंडाल लगाया गया है. जहां व्यापारियों ने इकट्ठा होकर सरकार विरोधी और कडे कानून के खिलाफ नारे भी बुलंद किए.

आंदोलन में इंगोले के नेतृत्व में सुभानंद एग्रो एजन्सीज- दिनेश कडू, शुभम अग्रोटेक- वीरेंद्र शर्मा, गायत्री कृषि सेवा केंद्र-राजाभाउ उंबरकर, कृष्णा एग्रो-योगेश भट्टड, अग्रवाल एग्रो एजेन्सीज- राजेश अग्रवाल, विदर्भ कृषि केंद्र- पवनभाउ काले, किसान कृषि केन्द्र- सुरेशभाउ लढ्ढा, सुपरडिल एग्रो सर्विसेस -पंकजभाउ गांधी, अन्नदाता कृषि केंद्र-नीलेशभाउ कान्हेरकर, अविनाश एग्रो एजेन्सी- अंकुशभाउ वानखडे, पराग पेस्टीसाईज- उमेश सोनोने, बजाज सिड्स- पेस्टीसाईट- राजूभाई बजाज, भारत सिड्स- किगराणी, विदर्भ एजेन्सीज- पंकज लढ्ढा, नेशनल सेल्स कार्पोरेशन- विनीत श्रीराव, व्यंकटेश कृषि केंद्र- राकेश गुप्ता, कृषि आनंद- मनोज जैन, किसान विकास केंद्र- दिनेश संघई, कृषि सेवा केंद्र चांदुर रेलवे- दर्शन गांधी, खंडेलवाल एग्रो दर्यापुर- मुरारी खंडेलवाल, न्यू सधन बीज भंडार- बालासाहेब चर्‍हाटे, सतीश एग्रो- चेतन सोन, आशीष मूंधडा, घनश्याम राठी, जयेश लढ्ढा, राजेश बजाज, धरती धन बीज भंडार के मनीष ठाकरे, जीजाउ कृषि केंद्र अंजनगांव बारी के शेखर क्षिरसागर, शेतकी बीज के संजू भाउ धामणकर, महालक्ष्मी सीड्स के राजूभाउ धामणकर सहित बडी संख्या में कृषि विक्रेता आंदोलन में सहभागी है.

* नहीं आया चेंबर का कोई पदाधिकारी
संगठन के अध्यक्ष मिलिंद इंगोले ने तीन दिवसीय हडताल दौरान एक बार भी महानगर चेंबर अथवा चेंबर ऑफ कॉमर्स संगठन से किसी पदाधिकारी के न आने पर नाराजगी व्यक्त की. दोनों ही संगठन व्यापारियों के बडे संगठन होने का दावा करते हैं. किंतु ऐसे आंदोलन के समय साथ नहीं आते. सौजन्य नहीं दिखाते, इन शब्दों मेें इंगोले ने नाराजगी जताई.

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