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यह हिंसा और अशांति का आखरी दौर

सरसंघचालक मोहन भागवत का कथन

अमरावती/दि.28– विगत लंबे समय से देश सहित पूरी दुनिया हिंसा व अशांति के दौर से होकर गुजर रहे है, लेकिन यह दौर बहुत जल्द खत्म हो जायेगा. क्योंकि सद्भावना व अहिंसा आज भी कायम है और चूंकि धर्म की जडें बेहद मजबूत है. अत: सबकुछ बडे सौहार्दपूर्ण ढंग से चल रहा है. ऐसे में जल्द ही शांति व अहिंसा का दौैर लौटेगा और सद्भावना और सौहार्द का वातावरण रहेगा. इस आशय का प्रतिपादन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत द्वारा किया गया.
यहां से पास ही भानखेडा रोड पर जरवार में साकार होने जा रहे कंवरधाम में अमरशहीद संत कंवरराम साहिब के प्रपौत्र साईं राजेशलाल के गद्दीनशिनी समारोह में उपस्थित रहते हुए सरसंघचालक मोहन भागवत द्वारा उपरोक्त प्रतिपादन किया गया. इस समय उन्होंने भारत को सिंधी समाज की मातृभुमि बताते हुए कहा कि, देश विभाजन पश्चात तत्कालीन सरकारों द्वारा भारत आये सिंधी समाज बंधुओं को शरणार्थी संबोधित किया गया, जो कि पूरी तरह से गलत था. क्योंकि सिंधी समाज यहां शरण मांगने नहीं आया था, बल्कि वह अपनी जडों व मातृभुमि के साथ जुडा रहना चाहता था. इसके अलावा सिंधी समाज ने खुद को पुरूषार्थी साबित करते हुए सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय सफलता भी हासिल की. इस समय सिंधी भाषा का विद्यापीठ स्थापित किये जाने की मांग को पूरी तरह से योग्य बताते हुए सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि, सिंधी समाज के सभी संकल्प पूर्ण होने ही चाहिए. क्योंकि इस समाज का इस देश पर पूरा अधिकार है और इस समाज ने देश की अर्थव्यवस्था में अपना भरपूर योगदान भी दिया है.
उल्लेखनीय है कि, आज शहर के इतिहास में पहली बार सिंध हिंद के सरताज अमर शहीद संत कंवरराम साहिब के गद्दी पर जीवंत ज्योेत स्थापित करने हेतू संत कंवरराम साहिब के प्रपौत्र साई राजेशलाल मोरडीया को विधिविधान के साथ आसिन कराया गया. कार्यक्रम में जगद्गुरु शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती, देवनाथ पीठ के मठाधीश आचार्य जितेंद्रनाथ महाराज, साई जश्नलाल, साई युद्धिष्ठीरलाल, साई मोहनलाल, व संत सुपुत्री ईश्वरीदेवी निहलानी समेत देश भर से आये सिंधी समाज के संत व मान्यवर बडी संख्या में उपस्थित थे.
इस आयोजन को भव्य-दिव्य व ऐतिहासिक कार्यक्रम बताते हुए सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि, हमारा काम मंदीर के बाहर डंडा लेकर रखवाली करने का है. लेकिन सिंधी समाज के सभी संतों के आग्रह पर मैं इस समारोह के मंच पर उपस्थित हूं. संघ का काम सबको जोडना है. जहां लोग जुडते है, वहीं संघ के लिए कुंभ है. सिंधि समूदाय को जो बोलना चाहिए, करना चाहिए, वैसा ही हो रहा है इसका मुझे आनंद है. सिंधी समूदाय ने जो संकल्प किये है, वह जरुर पूर्ण होंगे. उसके लिए सिंधी समाज को एकसंघ रुप में काम करना पडेगा. सच्चे-सत्य संकल्पों का दाता भगवान है. उनका सत्य होना निश्चित है. सिंधी समूदाय सिंध प्रांत में सबकुछ छोडकर भले ही आये हो, लेकिन वो गवाकर नहीं आये है. उनकी मातृभूमि नहीं छूटी है. केवल उनका प्रदेश दूर हुआ है, उसे वापिस प्राप्त करने के प्रयास सफल जरुर होंगे. भगवान हमें निमित्त बनाकर कार्य करवाता है. इसलिए हम निमित्त बन कार्य करते रहेंगे, तो सफल भी होेंगे. यह विश्वास व्यक्त कर डॉ. मोहन भागवत ने अखंड भारत का संकल्प भी जल्द ही पूर्ण होने का विश्वास व्यक्त किया. संतों की सुरक्षा करने के साथ उनका अनुकरण करने की सीख भी उन्होंने दी. संत अपने लिए कुछ नहीं सोचते उन्हें स्वयं की कोई चिंता नहीं रहती, इसका उदाहरण देते हुए डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि, जब 2 लोग संत कंवरराम को मारने आये थे. तब संत कंवरराम ने उन दोनों को पास बुलाकर प्रसाद दिया और कहा कि, तुम जिस काम के लिए आये हो, वह काम सफल हों. जिससे संतों को अपनी कोई चिंता नहीं रहती संतों से आने वाली बात कभी गलत नहीं होती, इसे संतों की रक्षा करना हमारा उत्तरदायित्व रहने का प्रतिपादन भी उन्होंने इस अवसर पर किया.

* भारत अखंड जरुर बनेगा : जगद्गुरु वासुदेवानंद सरस्वती
साई राजेशलाल महाराज के गद्दीनिशिनी समारोह में पहुंचे जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने अपने संबोधन में कंवरधाम के पीठाधीश व साई राजेशलाल महाराज को शुभकामनाएं प्रदान कर सिंधी समाज को संगठित होने व उसके माध्यम से हिंदू संगठन मजबूत बनाने की बात कहीं. उन्होंने बताया कि, हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना का संकल्प जरुर पूर्ण होगा. उसी प्रकार हमारा संकल्प अखंड भारत बनाना है. प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में यह अखंड भारत का संकल्प पूर्ण होने की अपेक्षा है. सिंध प्रांत के लोगों की वेदनाएं समाप्त हो व मैं रहूं या ना रहूं लेकिन अखंड भारत का संकल्प जरुर पूर्ण होगा. यह विश्वास जगद्गुरु वासुदेवानंद सरस्वती ने व्यक्त किया.

* कुंभ में भी हो, सिंधी समाज का गौरव : जितेंद्रनाथ महाराज
सिंधि समाज अपनी पहचान लेकर भारत में आया है. यह समाज भारत के इतिहास से जुडा है. भारत का विभाजन हुआ तब सिंधि समूदाय की पिडा सबने देखी. सनातन धर्म की रक्षा के लिए सिंधि समूदाय ने त्याग व बलिदान का मार्ग चुना. ऐसे गौरवी समाज का कुंभ में भी गौरव होना चाहिए. कुंभ में भी सिंधि समाज के स्टॉल लगाने की अनुमति जगद्गुरु शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वतीजी प्रदान करें, यह मांग करते आचार्य जितेंद्रनाथ महाराज ने पाकिस्तानी हिंदूओं को भी कुंभ में आने का मौका देने की बात कहीं. सिंधी समूदाय भारत को विश्वगुरु बनाने में योगदान दें, साई कंवरराम धाम भारत मेें सिंधियों की राजधानी हो, यह धर्मपीठ बनकर धर्मरक्षा में योगदान देगा, यह विश्वास भी उन्होंने व्यक्त किया.

* जिम्मेदारी का निर्वहन करुंगा : साई राजेशलाल महाराज
संत कंवरराम महाराज के प्रपौत्र राजेशलाल मोरडिया को संत कंवरराम महाराज की गद्दी पर गद्दीनशिनी किया गया. इस अवसर पर साई राजेशलाल महाराज ने बताया कि, जो जिम्मेदारी उन पर सौंपी गई है. उन तमाम जिम्मेदारियों का मैं संत व सबके आशिर्वाद से निर्वहन करुंगा. सबके सेवा के लिए ही कंवरधाम की नींव रखी गई है. अब इस काम में किसी भी प्रकार की रुकावट नहीं आएंगी. इस वक्त उन्होंने बताया कि, ईश्वर के भक्ति के तीन मार्ग है. जिनमें ज्ञान, कर्म व भक्ति का समावेश है. संत कंवरराम ने भक्ति का मार्ग चुना. हम सभी उनसे प्रेरणा लेकर सबकी सेवा में कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे.

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