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यह आजी-माजी विधायकों से सवाल पूछने का समय, बताओ विकास के लिए क्या किया?

मनसे के जिला प्रमुख मंगेश उर्फ पप्पू पाटिल का कथन

* अपनी दावेदारी को लेकर अमरावती मंडल के साथ की विशेष बातचीत
अमरावती/दि.21 – आगामी विधानसभा चुनाव हेतु अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से जिन प्रमुख नामों को लेकर चर्चा हो रही है, वे सभी लोग आजी-माजी विधायक है और सालोंसाल से राजनीति में सक्रिय है. साथ ही उनमें से लगभग हर कोई कभी न कभी सत्तासुख भी भोग चुका है. ऐसे में अब इस विधानसभा चुनाव में उनकी दावेदारी रहने के चलते अमरावती की जनता ने उनसे यह सवाल पूछना चाहिए कि, आखिर उन्होंने अपनी इतने साल की राजनीति में अमरावती विधानसभा क्षेत्र के विकास हेतु क्या किया. साथ ही अमरावती की जनता न ऐसे लोगों से उनकी राजनीतिक विचारधारा व निष्ठा के बारे में भी सवाल जरुर पूछना चाहिए. क्योंकि वे लोग कभी किसी एक विचारधारा के प्रति समर्पित नहीं रहे, बल्कि उन्होंने समय-समय पर अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए अपनी निष्ठाओं को बदला और वे लगातार इधर से उधर पाला बदलते रहे. यह सरासर अमरावती के मतदाताओं के साथ धोखा है. इस आशय का प्रतिपादन महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के जिलाध्यक्ष व मनसे की टिकट पर अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव लडने के इच्छुक मंगेश उर्फ पप्पू पाटिल ने किया.
आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी दावेदारी को लेकर दैनिक अमरावती मंडल के साथ विशेष तौर पर बातचीत करते हुए मनसे के जिला प्रमुख मंगेश उर्फ पप्पू पाटिल ने कहा कि, अमरावती की जनता विगत 25-30 साल से राजनीति में वहीं के वहीं चेहरे देखकर उकता चुकी है और इस बार बदलाव चाहती है. ऐसे में उन्होंने अमरावती की जनता को नया चेहरा व नया पर्याय देने के लिए चुनाव लडने का निर्णय लिया है तथा अपनी इच्छा से मनसे प्रमुख राज ठाकरे को भी अवगत करा दिया है. ऐसे में अब मनसे प्रमुख राज ठाकरे को उनकी दावेदारी के संदर्भ में अंतिम निर्णय लेना है तथा पार्टी नेतृत्व से आदेश मिलते ही वे अपना नामांकन दाखिल कर देंगे.
अमरावती के सर्वसमावेशक व संतुलित विकास को लेकर अपनी पहली प्राथमिकता बताते हुए मनसे के जिला प्रमुख मंगेश उर्फ पप्पू पाटिल ने कहा कि, आज जो लोग अमरावती मनपा क्षेत्र से चुनावी रेस में दिखाई दे रहे है. वे सभी लोग इससे पहले भी लगभग दो-दो बार विधायक रह चुके है. ऐसे में उन लोगों से यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि, अपना खुद का घर भरने के अलावा और अपने नजदीकी लोगों को फायदा पहुंचाने के अलावा उन लोगों ने अमरावती विधानसभा क्षेत्र व अमरावती शहर की भलाई एवं विकास के लिए क्या किया है. मंगेश उर्फ पप्पू पाटिल के मुताबिक ऐसे लोगों ने अमरावती की जनता को केवल रास्ते व नाली का निर्माण ही विकास रहने की बात बताते हुए जमकर चांदी कांटी है और अमरावती का विकास करने की बजाय केवल खुद का विकास ही किया है. पप्पू पाटिल के मुताबिक अमरावती शहर का विगत 20-25 वर्षों के दौरान जो भी चेहरा मोहरा बदला है. उसमें यहां के जनप्रतिनिधियों की कोई भूमिका नहीं रही. आज अमरावती शहर के आसपास 3 बडे-बडे व्यापारी संकुल साकार हुए, जो हमारे शहर के व्यापारियों की मेहनत का फल है. साथ ही शहर की भौगोलिक सीमा का विस्तार होने के साथ ही स्काय लाइन में हुए बदलाव में भी जनप्रतिनिधियों की कोई भूमिका नहीं रही, बल्कि यह हमारे शहर के लैंड डेवलपर्स व बिल्डर्स की मेहनत का परिणाम है. इन 20-25 वर्षों के दौरान हमारे जनप्रतिनिधियों ने न तो अमरावती शहर में शिक्षा को प्रोत्साहित करने का कोई काम किया और न ही किसी बडी औद्योगिक ईकाई को ही यहां पर लाया. अगर हमारे जनप्रतिनिधि किसी एक आईटी कंपनी या किसी औद्योगिक ईकाई को ही अमरावती लेकर आते, तो अमरावती में बडे पैमाने पर रोजगार के अवसर उपलब्ध होने के साथ ही छोटे-छोटे वेेंडर भी तैयार हो पाते. साथ ही हमारे पढे-लिखे युवाओं को नौकरी की तलाश में मुंबई व पुणे नहीं जाना पडता. यह सब करने की बजाय हमारे जनप्रतिनिधियों ने केवल जाति व धर्म की राजनीति की. साथ ही सडकों व नालियों को ही विकास कार्य बताते हुए उनके भूमिपूजन व लोकार्पण करने में व्यस्त रहे.
इसके साथ ही पप्पू पाटिल ने यह भी कहा कि, इस समय चुनावी अखाडे में दो ऐसे दावेदार है, जो खुद को जीत का प्रबल दावेदार बताने के साथ ही अमरावती के विकास का पूरा श्रेय भी लेना चाह रहे है. इसमें से एक दावेदार लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी में रहा और आज भी खुद को कांग्रेस पार्टी के प्रति सबसे निष्ठावान कार्यकर्ता बता रहा है. लेकिन कांग्रेस की टिकट पर तीन बार चुनाव लडने के साथ ही दो बार विधायक व एक बार मंत्री रहने वाले इस नेता ने वर्ष 2009 के चुनाव में पार्टी निष्ठा को ताक पर रखकर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडा था और आगे चलकर अपने समर्थकों सहित भाजपा में प्रवेश भी कर लिया था. परंतु वर्ष 2014 में भाजपा के टिकट पर विधायक निर्वाचित होने के बाद जब उस नेता को वर्ष 2019 के चुनाव ेमें भाजपा प्रत्याशी के तौर पर हार का सामना करना पडा, तो वह नेता चुनाव हारते ही 6 माह के भीतर पाला बदलकर अपने समर्थकों सहित कांग्रेस में चला गया. क्योंकि उस समय राज्य में महाविकास आघाडी की सरकार थी. खास बात यह है कि, उसी नेता ने वर्ष 2017 में हुए मनपा चुनाव के समय भाजपा का नेतृत्व करते हुए गोल्डन गैंग के खिलाफ आवाज उठाई थी और आज वह नेता उसी गोल्डन गैंग के साथ गले में हाथ डाले घूम रहा है. इसी तरह अमरावती विधानसभा क्षेत्र से एक बार फिर विधायक बनने का दावा कर रहे दूसरे दावेदार भी लंबे समय तक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में रहने के साथ ही राकांपा की टिकट पर बडनेरा से विधायक रहे और वर्ष 2014 में अपने व्यक्तिगत हितों के चलते राकांपा छोडकर कांग्रेस में चले गये. परंतु वर्ष 2019 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीतने के बाद अब वे एक बार फिर राकांपा (अजीत पवार गुट) के साथ है. यानि कमाल की बात यह है कि, जो पिछली बार भाजपा की टिकट पर कांग्रेस के खिलाफ खडे थे, वे अब कांग्रेस की टिकट पर भाजपा व महायुति के खिलाफ खडे दिखाई देंगे और जिन्होंने पिछली बार कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर भाजपा के खिलाफ चुनाव लडा था. वे अब महायुति में शामिल अजीत पवार गुट वाली राकांपा के प्रत्याशी के तौर पर भाजपा के साथ है और ऐसे लोग अमरावती के मतदाताओं के सामने राजनीतिक विचारधारा व निष्ठा की बात करते है. इससे बडा मजाक क्या होगा.
इसके अलावा पप्पू पाटिल ने विगत कई वर्षों से प्रलंबित पडे भूमिगत गटर योजना, मल जल शुद्धिकरण, घनकचरा व्यवस्थापन व कंपोस्ट डिपो जैसे कामों सहित शहर में हर ओर व्याप्त गंदगी की समस्या के मुद्दे उठाते हुए कहा कि, इन तमाम बातों को देखते हुए कहा जा सकता है कि, हमारे आजी-माजी जनप्रतिनिधियों का शहर की ओर कोई ध्यान नहीं है और उनकी प्रशासन पर कोई पकड भी नहीं है. क्योंकि वे सभी लोग अपने-अपने हितों को साध रहे है. जिसके चलते हर ओर आपसी मिलीभगत व बंदरबांट वाला माहौल है. जिसका खामियाजा अमरावती की आम जनता को भूगतना पड रहा है. इस स्थिति को बदलने के लिए ही वे अमरावती विधानसभा क्षेत्र से अपनी दावेदारी पेश कर रहे है और उन्हें पूरा भरोसा है कि, अमरावती की जनता इस बार बदलाव हेतु उनके तौर पर नये चेहरे का साथ देगी.

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