बहिरम यात्रा में इस बार एक व्यक्ति को अधिकतम तीन दुकानें
‘पोट भाडेकरु’ रखने पर सख्त मनाई, पहली बार कडे नियम
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* मुक्तागिरी जाने वालों को मिलेगा खुला रास्ता
* सीईओ महापात्रा ने खुद किया यात्रा परिसर का निरीक्षण
अमरावती/दि.6– समूचे राज्य में चर्चित रहने वाली बहिरम बाबा की यात्रा में प्रतिवर्ष 10 से 15 दुकानें किराए पर लेकर उन्हें पोट भाडेकरु को किराये पर देते हुए पैसा कमाने का धंधा जमकर चलता है. जिस पर अंकुश लगाने का निर्णय जिप सीईओ संजीता महापात्रा ने लिया है और अधिकतम तीन दुकानों की सिलिंग लगा दी है. साथ ही अब पोट भाडेकरु वाले मामलों पर भी कडी नजर रखी जाएगी. विशेष यह है कि, इस वर्ष महिला बचत गुटों को बहिरम यात्रा में स्वतंत्र बाजार पेठ उपलब्ध कराया जाएगा.
नये नियमों के चलते जहां एक ओर बहिरम यात्रा में अतिक्रमण कर लगाम लगाई जा सकेगी. वहीं असल जरुरतमंदों को दुकान हेतु किराए पर जगह उपलब्ध होगी. साथ ही बहिरम होते हुए मुक्तागिरी की ओर जाने वाला रास्ता भी खुला रहेगा. प्रतिवर्ष ऐन सडक पर अतिक्रमण कर लिये जाने के चलते बहिरम यात्रा के दौरान यातायात बाधित हुआ करता था और छोटे-बडे हादसे भी घटित होते थे. जिसकी वजह से व्यवस्था में लगे प्रशासन के लोगों को काफी दौडभाग करनी पडती थी. ऐसे में इन तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए जिप सीईओं ने बेहद कडे दिशा-निर्देश जारी किये है. जिसके चलते व्यवस्था को चाकचौबंद करने के साथ ही सुरक्षा इंतजामों को भी बढाया जाएगा.
बता दें कि, अमरावती जिले सहित समूचे राज्य में बसे लाखों श्रद्धालुओं के लिए श्रद्धास्थान रहने वाले चांदूर बाजार तहसील अंतर्गत स्थित श्री क्षेत्र बहिरम बाबा संस्थान की यात्रा आगामी 20 दिसंबर से शुरु होने जा रही है, जो अगले माह 20 जनवरी तक चलती रहेगी.
* गत वर्ष लगी थी 695 दुकानें, 24.29 लाख की हुई थी आय
गत वर्ष बहिरम यात्रा में कुल 695 दुकानें लगी थी. मुख्य मार्ग के दोनों ओर सरकारी जमीन रहने के चलते उसी जमीन पर यह दुकानें लगाई जाती है. इसकी ऐवज में जिला परिषद को 24 लाख 29 हजार रुपए की आय हुई थी. यह जिला परिषद की आय का एक बडा स्त्रोत है. इसके अलावा दवाखाना, पुलिस स्टेशन व सरकारी अधिकारियों के विश्रामगृह आदि के लिए बहिरम यात्रा के दौरान अलग से जगह आरक्षित रखी जाती है.
* क्या होता है बहिरम यात्रा में?
इस यात्रा में संसारोपयोगी व जीवनावश्यक वस्तुओं से लेकर घर के निर्माण व घर की सजावट वाली वस्तुएं तथा कृषि अवजार के साथ ही अन्य सभी तरह की वस्तुएं मिलती है. साथ ही इस यात्रा का विशेष आकर्षण मटन हंडी होता है. जिसके चलते यहां पर खाने-पीने के शौकीन लोगों की जमकर भीडभाड रहती है. किसी जमाने में बहिरम यात्रा का मुख्य आकर्षण लावणी व तमाशा हुआ करता था. परंतु इसमें कई तरह की बुराईयां जोड जाने के चलते क्षेत्र के तत्कालीन विधायक बच्चू कडू ने लावणी व तमाशा के आयोजन को बंद करा दिया है. करीब एक से डेढ माह तक चलने वाली इस यात्रा के दौरान कई लोग यात्रा परिसर में अपनी राहुटी यानि अस्थायी झोपडी भी बनाते है. जहां पर वे दुरदराज से आने वाले अपने परिचितों को आमंत्रित करते हुए बहिरम यात्रा का आनंद दिलवाते है.
* महाशिवरात्रि पर होता है बहिरम यात्रा का समापन
जिप सीईओ संजीता महापात्रा के लिए यह एक नया यात्रास्थल है. जिसकी ख्याति दूर-दूर तक रहने के चलते उन्होंने खुद श्रीक्षेत्र बहिरम पहुंचकर देवस्थान सहित यात्रा परिसर का निरीक्षण किया. इस समय देवस्थान में पहुंचकर जिप सीईओ संजीता महापात्रा ने बहिरम बाबा की आरती भी की और फिर पूरे यात्रा परिसर का प्रत्यक्ष मुआयना करते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी किये. ज्ञात रहे कि, 20 दिसंबर से शुरु होने वाली यह यात्रा वैसे तो एक माह तक चलती है. लेकिन इसका समापन महाशिवरात्रि पर्व के आसपास होता है और बहिरम यात्रा में लगने वाली अधिकांश दुकानें महाशिवरात्रि पर्व पर मोर्शी तहसील अंतर्गत सालबर्डी में लगने वाली महाशिवरात्रि की यात्रा में लगती है.