अमरावतीमहाराष्ट्र

इस बार चारा छावनी को अनुमति नहीं

भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए राज्य सरकार का निर्णय

मुंबई/दि.19– चारा छावनी और चारा डिपो के माध्यम से होनेवाले भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए इस बार चारा छावनी को अनुमति न देने का निर्णय सरकार ने लिया है. इसकी बजाए चारा खरीदी के लिए किसानों के खाते में सीधी सहायता देने का प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन रहने की जानकारी सूत्रों ने दी.

इस बार बारिश कम होने से राज्य में 2019 के मुताबिक सूखे की परिस्थिति निर्माण हो गई है. एकतरफ हर दिन बांधो का पानी कम होता जा रहा है और टैंकरो की मांग बढने से प्रशासन की नींद उड गई है. अब चारे का गंभीर प्रश्न राज्य में निर्माण होने लगा है. मराठवाडा, उत्तर महाराष्ट्र और पश्चिम महाराष्ट्र में चारे की किल्लत है. इस क्षेत्र में चारा डिपो, चारा छावनी शुरु करने की मांग किसान और नेताओं द्वारा होने लगी है. फिलहाल चुनाव के माहौल में चारा छावनी को अनुमति दी गई तो इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक, भ्रष्टाचार के आरोप-प्रत्यारोप और सरकार की बदनामी आदि समस्या का सामना करना पड सकता है. साथ ही अब तक चारा छावनी का अनुभव अच्छा नहीं रहा है. इस कारण चारा छावनी अथवा चारा डिपो के माध्यम से स्थानीय स्तर पर होनेवाला भ्रष्टाचार और उससे होनेवाली सरकार की बदनामी रोकने के लिए चारा छावनी शुरु न करने का निर्णय सरकार द्वारा लिए जाने की जानकारी सूत्रों ने दी.

राज्य में 3 करोड 29 लाख मवेशी है. संभावित सूखे की परिस्थिति का विचार कर पशु संवर्धन विभाग ने कुछ माह पूर्व ही चारा निर्मिती के लिए किसानों को 173 मेट्रीक टन बीज उपलब्ध कर दिए थे. इससे 27 लाख 71 हजार टन चारा जमा हुआ है. जो फिलहाल बराबर है. लेकिन यह चारा पडोसी राज्य में ले जाकर बेचा जाता रहने से इस बार जिले के बाहर चारा यातायात पर पाबंदी लगाए जाने की जानकारी मंत्रालय के सूत्रों ने दी. जिस क्षेत्र से किसानों द्वारा चारा छावनी की मांग की गई है. वहां के परिस्थिति की समीक्षा कर उस क्षेत्र के किसानों को चारे के लिए सीधा अनुदान देने का प्रस्ताव भेजा गया है. जो सरकार के विचाराधीन है. कुछ माह पूर्व दूध उत्पादक किसानों को उनके बैंक खाते में सीधे सहायता दी गई थी. उसी तरह मवेशियों की संख्या के मुताबिक चारा अनुदान देने का पर्याय रहने की जानकारी भी सूत्रों ने दी.

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