94 दिनों तक पानी मिलने का नियोजन
अमरावती दि.27- किसी भी जल सिंचन प्रकल्प से पानी देते समय सबसे पहले पीने के लिए, फिर सिंचाई के लिए और इसके बाद तीसरे स्थान पर उद्योगों के लिए पानी आरक्षित रहता है. इस बार जिले के सबसे बडे बांध अप्पर वर्धा प्रकल्प में लबालब पानी भरा हुआ है. जिसके चलते पीने के पानी हेतु इस वर्ष किसी भी तरह की किल्लत का सामना नहीं करना पडेगा. साथ ही अप्पर वर्धा के पानी पर आश्रित उद्योगों के लिए भी पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने के संकेत मिल रहे है, लेकिन दूसरे स्थान पर रहनेवाले सिंचाई कार्य के लिए पानी देने हेतु इसमें कुछ हद तक कटौती की गई है. इस वर्ष 15 नवंबर से अप्पर वर्धा बांध के जरिये रबी फसलों की सिंचाई हेतु पानी छोड जायेगा और 94 दिनों में पांच चरणों के तहत अप्पर वर्धा बांध से पानी उपलब्ध कराया जायेगा.
जानकारी के मुताबिक इस समय अप्पर वर्धा बांध में 99.84 फीसद जलसंग्रह है और इस बांध में पीने हेतु 77.329 दलघमी पानी आरक्षित है. इसमें अमरावती शहरवासियों के लिए 57.98 दलघमी पानी आरक्षित रखा गया है. वहीं खेती-किसानी के लिए 202.203 दलघमी पानी सिंचाई हेतु आरक्षित है.
* ऐसा रहेगा पानी छोडने का नियोजन
15 नवंबर से 5 दिसंबर – 22 दिन
13 दिसंबर से 3 जनवरी – 22 दिन
11 जनवरी से 27 जनवरी – 17 दिन
4 फरवरी से 20 फरवरी – 27 दिन
28 फरवरी से 25 मार्च – 16 दिन
* अंतिम छोर तक किसानों को कैसे मिलेगा पानी
अप्पर वर्धा प्रकल्प से निकलनेवाली नहरों के अंतिम छोर पर धामणगांव तहसील के जुना धामणगांव परिसर के अनेकों गांव है. जहां पर वर्ष 1998-99 से नहरों के जरिये किसानोें को रबी फसलों की सिंचाई के लिए पानी देने की व्यवस्था शुरू की गई. उस समय केवल 23.18 हेक्टेयर क्षेत्र को इस सिंचाई का लाभ हुआ करता था. वहीं अब दस्तावेजों पर दिखाया जाता है कि, इस पानी की वजह से 9048.95 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई का लाभ मिल रहा है. जबकि हकीकत इससे बेहद अलग है. अप्पर वर्धा बांध से छोडा गया पानी करीब 6 से 7 दिन के बाद नहर के अंतिम छोर पर रहनेवाले रायपुर, कासारखेड व भातकुली क्षेत्र के किसानों तक पहुंचता है और इस समय इस पानी की गहराई केवल पांव के घुटने तक ही रहती है. चूंकि इस दौरान गेहू व हरभरे की बुआई एकसाथ की जाती है. जिसकी सिंचाई के लिए बडे पैमाने पर पानी की जरूरत रहती है. लेकिन क्षेत्र के किसानों को समूचित मात्रा में पानी ही नहीं मिल पा रहा है. वहीं दूसरी ओर समृध्दि महामार्ग के निर्माण की वजह से इस क्षेत्र की कई नहरे भी बर्बाद हुई. जिसके चलते अब इस क्षेत्र के किसानों को नहरों के जरिये सिंचाई हेतु अप्पर वर्धा बांध का पानी मिलना मुश्किल होनेवाला है. वहीं अप्पर वर्धा बांध से छोडे जानेवाले पानी में कटौती किये जाने के चलते नहर के अंतिम छोर पर स्थित किसानों तक बांध का पानी कैसे पहुंचेगा, यह अपने आप में सबसे बडा सवाल है.
* इस तरह होगी कटौती
विगत वर्ष अप्पर वर्धा बांध से 327.296 दलघमी पानी छोडा गया था. जिसके चलते धामणगांव रेल्वे तहसील में नहरों के अंतिम छोर तक सिंचाई हेतु पानी पहुंचा था. वही इस बार केवल 202.203 घनमीटर पानी को दाहीनी व बायी नहर से छोडा जायेगा. जिसके चलते तिवसा व धामणगांव रेल्वे तहसील के किसानों को रात के समय सिंचाई के लिए पानी लेना पडेगा.
धामणगांव रेल्वे तहसील में नहरों के अंतिम छोर पर रहनेवाले किसानों को भी बांध का पानी मिलना चाहिए. इस बात का नियोजन जलसंपदा विभाग द्वारा किया जाये. साथ ही पानी की बर्बादी न हो, इस बात की फिक्र किसानों द्वारा की जाये, ताकि दोनों ओर से संतुलन बना रहे.
– प्रताप अडसड
विधायक, धामणगांव रेल्वे