‘उनको’ इस बार जनता ही सबक सिखाएगी
दो-तीन दिन में मेरी दावेदारी को लेकर हो जाएगी घोषणा
* कांग्रेस के टिकट के दावेदार विधायक बलवंत वानखडे का कथन
* दैनिक अमरावती मंडल के साथ की विशेष तौर पर बातचीत
* ग्रापं सदस्य से लेकर विधायक बनने तक के सफर पर डाला प्रकाश
* खुद को बताया कांग्रेस व आंबेडकरी विचारधारा का सच्चा सिपाही
* सांसद के तौर पर समग्र विकास पर ध्यान देने व सबको साथ लेकर चलने की प्राथमिकता दर्शायी
अमरावती/दि.18– पिछली बार जिन लोगों ने कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस का साथ लेकर चुनाव जीतने के बाद अमरावती जिले की जनता की आंखों में धूल झोंकी थी. उन्हें इस बार अमरावती की जनता सबक सिखाने के साथ ही उनकी असली जगह भी निश्चित तौर पर दिखाएगी तथा इस बार अमरावती संसदीय क्षेत्र से महाविकास आघाडी प्रत्याशी के तौर पर कांग्रेस उम्मीदवार की जीत होगी और 30 साल के बाद अमरावती संसदीय क्षेत्र में पंजा चुनावी चिन्ह पूरी मजबूती के साथ स्थापित होगा. इस आशय का उम्मीदभरा प्रतिपादन लोकसभा चुनाव हेतु कांग्रेस की टिकट के दावेदार व दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र के कांग्रेसी विधायक बलवंत वानखडे ने किया.
दैनिक अमरावती मंडल के संपादक अनिल अग्रवाल के साथ विशेष तौर पर बातचीत करते हुए विधायक बलवंत वानखडे ने यह उम्मीद भी जतायी कि, आगामी एक-दो दिनों में कांग्रेस द्वारा उन्हें अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया जाएगा. जिसके बाद जब पूरी ताकत के साथ अपना चुनाव प्रचार करना शुरु कर देंगे और उन्हें निश्चित तौर पर अमरावती संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं का पूरा साथ व सहयोग मिलेगा. जिसके दम पर वे अमरावती लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने हेतु संसद में पहुंचेंगे और वहां पर अमरावती संसदीय क्षेत्र का जनप्रतिनिधित्व होने के नाते अमरावती जिले के समग्र व संतुलित विकास पर ध्यान देने के साथ-साथ राष्ट्रीय हितों से जुडे मुद्दों को लेकर भी अपना पूरा योगदान देंगे.
* ‘उन्होंने’ 5 वर्ष केवल टाइमपास ही किया
इस बातचीत के दौरान विधायक बलवंत वानखडे ने जिले की मौजूदा सांसद नवनीत राणा पर अकार्यक्षमता का आरोप लगाते हुए कहा कि, सांसद नवनीत राणा ने अपने पूरे कार्यकाल के दौरान दूसरों पर अनर्गल व बेतुके आरोप लगाकर टाइमपास करने के अलावा और कुछ भी नहीं किया. वे तरह-तरह की नौटंकी करते हुए खुदको चर्चा के केंद्र में रखने की कला भले ही जानती हों, लेकिन ऐसी बातों से जिले की जनता का तो कोई भला नहीं होने वाला है. सांसद नवनीत राणा ने जिले में जगह-जगह पर दहीहांडी के आयोजन करवाये और फिल्मी सितारों को बुलाया. इसके अलावा वे खुद हर साल होली के मौके पर आदिवासियों से अपनत्व जताने हेतु मेलघाट पहुंच जाती है और ठूमके लगाकर रंग खेलती है. इतना करने के अलावा सांसद नवनीत राणा ने कभी भी और कोई काम नहीं किया है और उनके द्वारा किये गये इन कामों से जिले का कोई विकास भी नहीं हुआ.
* दूसरों के कामों का श्रेय लूटने में माहिर हैं ‘वे लोग’
बातचीत के इसी सिलसिले को आगे बढाते हुए विधायक बलवंत वानखडे ने यह भी कहा कि, सांसद नवनीत राणा और उनके पति व विधायक रवि राणा ने खुद तो कभी कोई एक ढंग का विकास कार्य नहीं करवाया. लेकिन वे लोग दूसरों के द्वारा किये गये विकास कामों का श्रेय लूटने में बेहद माहिर है और दूसरों के द्वारा किये गये विकास कामों का लोकार्पण व भूमिपूजन करने के लिए सबसे पहले पहुंच जाते है. लेकिन धीरे-धीरे ऐसे लोगों की असलियत आम जनता को समझ में आ गई है और इस बार अमरावती जिले की जनता ऐसे लोगों को उनकी असली जगह जरुर दिखाएगी.
* मैं महत्वाकांक्षी नहीं, बल्कि तकदीरवाला हूं
– राजनीतिक जीवन के साथ जुडे रहे कई संयोग
किसी जमाने में ग्राम पंचायत सदस्य के तौर पर राजनीति में सक्रिय होने वाले और फिर आगे चलकर जिला परिषद सदस्य व सभापति बनने के साथ ही विधायक निर्वाचित होने वाले और अब कांग्रेस की ओर से लोकसभा चुनाव का प्रत्याशी बनने जा रहे बलवंत वानखडे से जब उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के बारे में पूछा गया, तो उनका कहना रहा कि, उनकी कभी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा थी ही नहीं, बल्कि यह उनकी तकदीर है, जो उन्हें एक-एक कदम आगे बढाती चली गई और अपनी तकदीर के दम पर वे आज इस मुकाम तक आकर पहुंचे है. साथ ही अपनी इस यात्रा के संग कुछ संयोग जुडे रहने की बात भी विधायक बलवंत वानखडे ने कही और बताया कि, वे जब ग्रामपंचायत सदस्य निर्वाचित होने के बाद सरपंच बने थे, तो उन्हें जिला परिषद सदस्य पद हेतु चुनाव लडने का मौका मिला था और सरपंच पद छोडना पडा था. आगे चलकर जिप सदस्य रहते हुए वे जिप सभापति नियुक्त किये गये थे और उन्हें विधायक पद हेतु चुनाव लडने का मौका मिला. जिसके चलते जिप की सदस्यता छोडनी पडी. वहीं इस समय बतौर विधायक उनका विधानसभा में कार्यकाल बाकी है और उन्हें लोकसभा का चुनाव लडने का अवसर मिलने जा रहा है. जिसमें निश्चित तौर पर उनकी जीत होगी और उन्हें कार्यकाल पूरा होने से पहले ही विधायक पद से भी इस्तीफा देना पडेगा.
* ‘उनमें’ इतनी ताकत और पहुंच है, तो शकुंतला व फिनले क्यों बंद पडे है?
इस बातचीत के दौरान जिले की सांसद नवनीत राणा द्वारा जिले के विकास के संदर्भ में किये जाते दावों का मखौल उडाते हुए विधायक बलवंत वानखडे ने कहा कि, अमरावती जिले में बेलोरा विमानतल और रेल्वे वैगन कारखाने के काम को कांग्रेस की सरकार रहते समय ही मंजूरी मिली थी. जिसे लेकर सांसद नवनीत राणा द्वारा आज श्रेय लूटने का प्रयास किया जा रहा है. यदि सांसद नवनीत राणा की वाकई इतनी ताकत और पहुंच है, तो उन्होंने कई वर्षों से बंद पडी शकुंतला ट्रेन और अचलपुर की फिनले मिल को दुबारा शुरु करने के संदर्भ में केंद्र सरकार से मिलकर कोई प्रयास क्यों नहीं किया. इसके अलावा विगत 5 वर्षों के दौरान जिले में किसी भी नई सिंचाई परियोजना को मंजूरी क्यों नहीं मिली. इस बात का जवाब भी सांसद नवनीत राणा ने अमरावती जिले की जनता को देना चाहिए.
* मैं भीतर और बाहर से बिल्कुल एकसमान, सार्वजनिक जीवन जी रहा बेदाग
विधायक बलवंत वानखडे को जिले की राजनीति में बेहद भोलाभाला व्यक्ति माना जाता है. लेकिन इसके बावजूद वे बडी चतुराई के साथ राजनीति के क्षेत्र में एक-एक पायदान उपर चढते जा रहे है, जो कि एक चतुर राजनेता की निशानी है. इसे लेकर पूछे गये सवाल पर विधायक बलवंत वानखडे ने कहा कि, वे अंदर और बाहर से एकसमान व्यक्ति है और उनका सार्वजनिक जीवन पूरी तरह से पारदर्शक व साफ-सूथरा है. इसमें किसी भी तरह की कोई राजनीतिक चतुराई वाला मामला नहीं है, बल्कि उनहें स्थानीय स्तर से प्रादेशिक स्तर तक कांग्रेस के सभी नेताओं का स्नेह और सहयोग मिलता रहा है. जिसकी बदौलत वे कदम दर कदम आगे बढ रहे है. साथ ही इसमें उन्हें आम जनता का भी पूरा साथ व सहयोग मिल रहा है.
* मैं उनके सातबारा का तो नहीं, लेकिन विचारधारा का वारिस
इस बातचीत के दौरान अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत के बारे में चर्चा करते हुए विधायक बलवंत वानखडे ने बताया कि, वे जब कक्षा 7 वीं या 8 वीं में थे, तभी से रिश्ते में अपने मामा रहने वाले दे. झा. वाकपांजर के साथ रहने लगे थे, जो उस समय रिपाई नेता रासू उर्फ दादासाहब गवई के बेहद नजदीकी थे. दे. झा. वाकपांजर के साथ रहते हुए उन्होंने राजनीति और चुनावों को बेहद नजदीक से देखा. उस समय दे. झा. वाकपांजर ने करीब तीन बार विधानसभा का चुनाव लडा. लेकिन हर बार उन्हें हार का सामना करना पडा. जिसके बाद दे. झा. वाकपांजर अक्सर कहा करते थे कि, भले ही उनके बेटे उनके सातबारा यानि संपत्ति के वारिस रहेंगे. लेकिन उनकी राजनीतिक विचारधारा को आगे बढाने का काम बलवंत वानखडे ही करेगा तथा बलवंत वानखडे ही विधायक बनकर उनका सपना भी पूरा करेगा. ऐसे में आज उन्हें खुशी है कि, उन्होंने विधायक निर्वाचित होकर अपने राजनीतिक गुरु का सपना पूरा किया है तथा अब वे लोकसभा का चुनाव भी लडने जा रहे है.
* कांगे्रस में कोई गुटबाजी नहीं, सभी का मिल रहा साथ
इस बातचीत में जब यह सवाल पूछा गया कि, बलवंत वानखडे को कांग्रेस नेत्री व विधायक यशोमति ठाकुर का प्रत्याशी माना जा रहा है तथा उनकी दावेदारी को लेकर कांग्रेस के गुटों में आम सहमति नहीं है, तो विधायक बलवंत वानखडे ने कहा कि, वे केवल यशोमति ठाकुर या कांग्रेस के प्रत्याशी नहीं होंगे, बल्कि महाविकास आघाडी के प्रत्याशी रहने वाले है. जहां तक उन्हें यशोमति ठाकुर गुट का व्यक्ति बताया जाता है, तो उन्हें यह स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं है कि, कांग्रेस नेत्री यशोमति ठाकुर, पूर्व विधायक वीरेंद्र जगताप एवं कांग्रेस के जिलाध्यक्ष बबलू देशमुख निश्चित तौर पर उनके मार्गदर्शक है. इसके अलावा वे यह भी कहना चाहते है कि, भले ही कांग्रेस ने अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र निहाय अलग-अलग नेता है. लेकिन उनके बीच कोई गुटबाजी, मतभेद या प्रतिस्पर्धा नहीं है, बल्कि हर कोई कांग्रेस की जीत के लिए ही काम कर रहा है और मविआ प्रत्याशी की जीत के लिए समर्पित है.
* हमारा काम ही हमारी तैयारी
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए विगत करीब 2 वर्षों से चल रही तैयारियों के बारे में पूछताछ करने पर विधायक बलवंत वानखडे ने कहा कि, उनके नाम की चर्चा कांग्रेस में यद्यपि विगत लंबे समय से प्रत्याशी के तौर पर चल रही थी. लेकिन वे इसकी फिक्र किये बिना अपने काम में लगे हुए थे और उनका काम ही उनकी चुनावी तैयारी की तरह रहा. जिसके दम पर आगामी चुनाव में अमरावती की जनता का आशीर्वाद मिलने जा रहा है.
* कोई जातिगत राजनीतिक नहीं, सभी समाज देंगे साथ
इस साक्षात्कार के दौरान जब विधायक बलवंत वानखडे से पूछा गया कि, आप अनुसूचित जाति से वास्ता रखते है, ऐसे में क्या दलितेतर समाज की ओर से भी आपको स्वीकार्यता मिलेगी, तो विधायक बलवंत वानखडे का कहना रहा कि, अव्वल तो अमरावती संसदीय क्षेत्र अनुसूचित जाति संवर्ग के लिए ही आरक्षित है. अत: यहां से चुनाव लडने वाला हर प्रत्याशी अनुसूचित जाति से ही संबंधित रहेगा. जिसमें से किसी एक को अमरावती की जनता द्वारा अपना जनप्रतिनिधि चुना जाएगा. यह तो अभी से तय है. इसके अलावा जहां तक जातिगत समीकरणों का सवाल है, तो वे ऐसे किसी समीकरण में भरोसा ही नहीं रखते. क्योंकि इससे पहले वे दो बार दर्यापुर विधानसभा क्षेत्र से ओपन सीट रहते समय चुनाव लड चुके है. साथ ही ओपन सीट से ही जिप सदस्य का भी चुनाव उन्होंने लडा है. उस समय पर भी उन्हें सभी समाज के लोगों की ओर से भरपूर प्रतिसाद मिला और उन्हें पूरा भरोसा है कि, इस बार भी अमरावती संसदीय सीट में उन्हें सभी जाति व धर्म के लोगों का पूरा साथ व समर्थन मिलेगा.
* इस बार नहीं चलेगी ‘पेड व डमी’ प्रत्याशियों की
हर बार चुनाव में अपने प्रतिस्पर्धी प्रत्याशी के वोट काटने हेतु किसी सशक्त प्रत्याशी द्वारा डमी प्रत्याशी खडे कर दिये जाते है. जिन्हें ‘वोट कटूआ’ भी कहा जाता है. इस खतरे की ओर ध्यान दिलाये जाने पर विधायक बलवंत वानखडे ने कहा कि, पिछले कुछ चुनावों में हुए उलटफेर को देखते हुए अब मतदाता ऐसी तमाम तिकडमों को अच्छे से समझने लगे है और अब ऐसे पेड व डमी प्रत्याशियों की बिल्कुल भी दाल नहीं गलने वाली है, बल्कि आम जनता ऐसे प्रत्याशियों और उन्हें खडा करने वाले लोगों की अनदेखी करते हुए अच्छे व सच्चे व्यक्ति को ही अपना प्रतिनिधि चुनेगी, ऐसा उन्हें पूरा विश्वास है.