शाडू मिट्टी की गणेश मूर्ति विक्री से इस बार होगा 9 करोड रुपयों का व्यवहार
मिट्टी की ढाई लाख गणेश मूर्तियों का निर्माण
* 75 हजार मूर्तियां अमरावती के लिए आरक्षित
* अन्य जिलों सहित दूसरे राज्यों में डेढ लाख मूर्तियों का निर्यात
अमरावती/दि.20 – आगामी 7 सितंबर से गणेशोत्सव का प्रारंभ हो रहा है. गणेश भक्तों द्वारा पर्यावरण पूरक गणेश प्रतिमाओं की मांग बढने के चलते अब बाजार शाडू मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाओं की विक्री बढ गई है. जिसके चलते इस बार करीब दो से ढाई लाख मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाओं का निर्माण शहर के मूर्तिकारों द्वारा किया जा रहा है. जिसमें से 75 हजार मूर्तियां अमरावतीवासियों हेतु आरक्षित रहेगी. वहीं एक से डेढ लाख मूर्तियां जिले के ग्रामीण इलाकों सहित अन्य जिलों व दूसरे राज्यों में भेजी जाएगी. जिसके चलते इस बार शाडू मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाओं की विक्री से करीब 8 से 9 करोड रुपयों का आर्थिक लेन देन होगा, ऐसी जानकारी मूर्तिकार तथा माती कला मूर्ति संगठन के अध्यक्ष चरण उचाडे द्वारा दी गई है.
बता दें कि, प्लास्टर ऑफ पैरिस की मूर्तियों की वजह से जलाशय प्रदूषित होने के चलते मिट्टी से बनी गणेशमूर्तियों की स्थापना को लेकर सरकार व प्रशासन द्वारा विगत कुछ वर्षों से लगातार जनजागृति की जा रही है. जिसे गणेश भक्तों की ओर से भी अच्छा खासा प्रतिसाद मिल रहा है. ऐसे में अब मिट्टी से तैयार होने वाली गणेश मूर्तियों की स्थापना की जाने लगी है और शाडू मिट्टी से बनने वाली गणेश मूर्तियों को अच्छा खासा पसंद भी किया जा रहा है. जिसके चलते दिवाली का पर्व बीतते ही शहर में रहने वाले करीब 150 मूर्तिकारों द्वारा शाडू मिट्टी से गणेश मूर्तियां तैयार करने का काम शुरु कर दिया जाता है. जिसके लिए नागपुर की काटोल तहसील अंतर्गत सावरगांव से 10 से 12 ट्रक शाडू मिट्टी लायी जाती है और मई माह से इन गणेश मूर्तियों का रंगरोगन भी शुरु कर दिया जाता है. अमरावती शहर के मूर्तिकारों द्वारा बनायी जाने वाली गणेश मूर्तियों को गणेश भक्तों द्वारा विशेष तौर पर पसंद किया जाता है. यहीं वजह है कि, प्रतिवर्ष अमरावती शहर से एक से डेढ लाख मूर्तियां आसपास के जिलों सहित दूसरे राज्यों में भी भेजी जाती है. जिसके तहत जबलपुर, नागपुर, वर्धा, रायपुर, चंद्रपुर, इंदौर, पुणे, गडचिरोली, भंडारा व गोंदिया जैसे शहरों में अमरावती के मूर्तिकारों द्वारा निर्मित गणेश प्रतिमाओं को भेजा जाता है. वहीं इस बार नागरिकों तथा पर्यावरण प्रेमियों की मांग पर गणेश मूर्तिकारों ने मिट्टी से बनी 75 हजार गणेश मूर्तियों को अमरावती शहर के लिए आरक्षित रखा है. जिसके तहत सिंहासन, दगडू हलवाई, शंख व फूलवाली मूर्तियों का समावेश है.
* ऐसे तैयार होती है मूर्तियां?
मूर्तिकारों द्वारा दिसंबर माह में शाडू मिट्टी मंगाई जाती है और मिट्टी आने के बाद उसे छानकर 15 से 20 दिन सुखाया जाता है. जिसके उपरांत मिट्टी को अच्छी तरह से पिसकर बारिश व महिन किया जाता है. इस प्रक्रिया के बाद मिट्टी को भिगाकर मूर्ति के साचे में भरा जाता है और साचे से मूर्ति निकालने के बाद उसे दिन भर सुखाया जाता है. जिसके अगले ही दिन मूर्ति पर रंग काम किया जाता है. इसके बाद मूर्ति अंतिम रुप लेती है. एक कारागीर कम से कम 15 मूर्तियों का काम करता है, ऐसी जानकारी मूर्तिकारों द्वारा दी गई है.
* ग्रामीण क्षेत्र में 1 हजार से अधिक मंडलों में होगी बाप्पा की स्थापना
इस बार शहर में 350 से अधिक तथा ग्रामीण क्षेत्र में 1089 से अधिक गणेश मंडलों द्वारा गणेश प्रतिमाओं की स्थापना की जाएगी. जिसके लिए सभी गणेश मंडलों द्वारा अभी से ही तैयारियां शुरु कर दी गई है. शहर पुलिस आयुक्तालय अंतर्गत आने वाले 10 पुलिस थाना क्षेत्रों में गत वर्ष 349 गणेश मंडलों का समावेश था.
* नेहरु मैदान मिट्टी की गणेश मूर्तियों हेतु आरक्षित
हर साल की तरह इस वर्ष भी शहर में राजकमलचौक स्थित नेहरु मैदान को मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाओं की विक्री हेतु उपलब्ध कराया जाएगा. गणेश भक्तों का रुझान पर्यावरणपूरक गणेश मूर्ति की खरीदी की ओर रहने के चलते वे मिट्टी से बनी मूर्ति की ही मांग करते है. उक्ताशय की जानकारी देते हुए पर्यावरण प्रेमी नीलेश कंचनपुरे ने गणेश भक्तों से तस्दीक करने के बाद ही मिट्टी की मूर्ति खरीदने का आवाहन गणेश भक्तों से किया है.
* मिट्टी की मूर्ति को कर रहे लोग पसंद
पर्यावरणपूरक गणेशोत्सव मनाने की ओर नागरिकों का रुझान बढ गया है. जिसके चलते अब पीओपी की बजाय मिट्टी की गणेश मूर्तियों को पसंद किया जा रहा है. इस बार मिट्टी, रंग व कारागीरों की मजबूरी के दाम बढ जाने के चलते मूर्ति के दामों में 25 फीसद की वृद्धि की गई है. इस बार भी नेहरु मैदान पर मिट्टी से बनी गणेश मूर्तियों की विक्री हेतु अलग से बाजार सजेगा.
– चरण उचाडे,
मूर्तिकार व उपाध्यक्ष,
माती सुधार समिति.
* पीओपी पर प्रतिबंध को हाईकोर्ट में आवाहन
इस वर्ष पीओपी की 2 लाख मूर्तियां तैयार की गई है. जिन्हें छत्तीसगढ, ओडिसा, तेलंगणा व गडचिरोली भेजा जाएगा. इसमें से कुछ मूर्तियां 15 से 20 फीट उंची है. पीओपी की मूर्तियों पर रहने वाले प्रतिबंध को हटाने हेतु मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की गई है. जिस पर सुनवाई होने की प्रतिक्षा है.
– गजानन गुजरे,
जिलाध्यक्ष, गणेश मूर्तिकार फाउंडेशन.