अमरावती प्रतिनिधि/दि.27 – इस समय अमरावती संभाग सहित समूचे राज्य के शिक्षकों के समक्ष कई तरह की समस्याएं और दिक्कते है. साथ ही अब नौबत अपने अस्तित्व को बचाये रखने की है, क्योंकि यदि महाराष्ट्र सरकार अपनी प्रचलित नीतियों में संशोधन नहीं करेगी और यदि केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति अमल में आ जायेगी, तो शिक्षकों का अस्तित्व ही खत्म हो जायेगा. ऐसे में इस बार शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र का चुनाव केवल विधान परिषद में शिक्षक विधायक भेजने का अवसर नहीं है, बल्कि यह शिक्षकों के अस्तित्व को बचाये रखने की लडाई है. अत: संभाग के शिक्षकों ने शिक्षकों के हक व अधिकार के लिए संघर्ष करनेवाले शिक्षक भारती की दावेदारी का समर्थन करना चाहिए. इस आशय का आवाहन शिक्षक भारती संगठन के प्रत्याशी दिलीप निंभोरकर द्वारा किया गया है.
संभाग के शिक्षकों के समक्ष अपनी दावेदारी रखते हुए दिलीप निंभोरकर ने कहा कि, 20 प्रतिशत अनुदान का लालच दिखाते हुए पिछली सरकार ने पांच वर्ष निकाल लिये और मौजूदा सरकार 20 प्रतिशत अनुदान देते समय विगत 18 माह की अधिकारपूर्ण थकबाकी को हडप कर रही है. यह शिक्षकों के साथ एक तरह का क्रूर मजाक है और शिक्षकों द्वारा आत्महत्या किये जाने के बावजूद पिछली व मौजूदा सरकार पर कोई फर्क नहीं पड रहा, क्योंकि हम शत-प्रतिशत वेतन की मांग ही नहीं करते, बल्कि अनुदान की भीख मांगते है. साथ ही सरकार की गोद में जाकर बैठनेवाले प्रतिनिधि सुनकर देते है. ऐसे में हमें अपनी भूमिका व मांगों को बदलते हुए एमईटीएस एक्ट के नियम 7 व अनुसूचि क के अनुसार 100 फीसदी वेतन मिलने की मांग उठानी होगी और अपना अस्तित्व भी साबित करना होगा.
दिलीप निंभोरकर के मुताबिक संच मान्यता के बदले हुए नियम कला व क्रीडा शिक्षकों का मिटाया जा चुका अस्तित्व, कम पटसंख्यावाली शालाओं को बंद करने का षडयंत्र, एमसीवीसी के अस्तित्व पर हुआ प्रहार, विशेष शाला, आश्रमशाला व समाजकल्याण शाला को नकारा गया सातवा वेतन आयोग, अशैक्षणिक कामों का बढा हुआ बोझ, बंद की गई पदभरती, शिक्षकों को अतिरिक्त करने की नीति, शिक्षण सेवक को अत्यल्प मानधन, शिक्षकों को निवृत्ति पश्चात नकारी गयी पेन्शन तथा इन जैसे कई अनेक मसले है. जिनसे शिक्षकों के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया गया है. इससे पहले विधान परिषद में सेल्फ फाईनान्स स्कुल व निजी विद्यापीठों का विधेयक मंजुर हुआ था, तब उसका शिक्षक भारती के विधायक कपिल पाटिल ने जबर्दस्त विरोध किया था. किंतु उन्हें अन्य शिक्षक विधायकों का साथ नहीं मिला. यदि राज्य के सातों शिक्षक विधायक व सातों स्नातक विधायक एकजूट हो जाये, तो विधान परिषद में शिक्षा व शिक्षक विरोधी बिल व कानून पारित नहीं हो सकेंगे. ऐसे में जरूरी है कि, शिक्षकों द्वारा अपने हितों के लिए लडनेवाले संगठन के प्रत्याशी को ही अपना प्रतिनिधि चुना जाये.
दिलीप निंभोरकर के मुताबिक यदि राष्ट्रीय शिक्षा निती 2020 अमल में आ गयी, तो देश में कम पटसंख्यावाली 1 लाख स्कूलें व 35 हजार कॉलेज बंद हो जायेंगे. साथ ही गरीब, उपेक्षित, वंचित व बहुजनों की शिक्षा प्राप्ती भी खतरे में आ जायेगी. ऐसे में इसका विरोध करने हेतु बहुत जरूरी है कि, संवैधानिक मूल्यों में विश्वास रखनेवाले तथा शिक्षकोें के अस्तित्व के लिए संघर्ष करनेवाले शिक्षक भारती संगठन के प्रतिनिधित्व को विधान परिषद में बढाया जाये.
शिक्षक भारती संगठन के अमरावती विभागीय अध्यक्ष रहने के साथ ही इस बार शिक्षक भारती प्रत्याशी के तौर पर शिक्षक विधायक पद का चुनाव लड रहे दिलीप निंभोरकर ने कहा कि, वे संभाग से शिक्षक विधायक निर्वाचित होने के बाद सभी शिक्षकों व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के लिए पुरानी पेन्शन योजना लागू करने तथा घोषित व अघोषित सहित सभी बिना अनुदानित शालाओें, कनिष्ठ महाविद्यालयों एवं अतिरिक्त कक्षाओें को 100 प्रतिशत अनुदान मंजूर कराने का काम करेंगे. साथ ही शिक्षकों के लिए सहपरिवार स्वास्थ्य योजना लागू करते हुए शिक्षा का कंपनीकरण बंद करवाने का प्रयास करेंगे और निजी अंग्रेजी शालाओं के शिक्षकों व कर्मचारियों को भी पे स्केल लागू करवायेंगे