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ढाई तहसील के समावेश वाले मेलघाट में इस बार मुकाबला होगा रोचक

आदिवासी बहुल क्षेत्र में राजनीतिक विचारधारा की बजाय स्थानीय मुद्दे रहते है महत्वपूर्ण

* राजनीतिक दलों की बजाय प्रत्याशी रहने वाले व्यक्ति को दी जाती है ज्यादा तवज्जों
* धारणी व चिखलदरा तहसील के बीच चलती है वर्चस्व की लडाई
चिखलदरा/दि.8 – आदिवासी बहुल मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र में इस समय विधानसभा चुनाव काफी रोचक हो चला है. चिखलदरा एवं धारणी इन दो तहसीलों के साथ-साथ अचलपुर तहसील के कांडली व पथ्रोट जैसे कुछ मैदानी इलाकों का समावेश मेलघाट विधानसभा क्षेत्र में होता है. ऐसे में ढाई तहसीलों का समावेश रहने वाले जिले के भौगोलिक रुप से सबसे बडे मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र में राजनीति करने और चुनाव लडने के साथ ही निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं तक अपनी पहुंच को बनाये रखना अपने आप में बेहद मुश्किल काम माना जाता है. साथ ही इस समय बदले हुए राजनीतिक हालात के चलते मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र में मुकाबला काफी रोचक दिखाई दे रहा है.
बता दें कि, मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र से इस बार कांगे्रस के डॉ. चिमोटे, भाजपा के केवलराम काले व प्रहार जनशक्ति पार्टी के राजकुमार पटेल प्रमुख प्रत्याशियों के तौर पर मैदान में है. जिसमें से राजकुमार पटेल इस समय क्षेत्र के मौजूदा विधायक है. वहीं भाजपा प्रत्याशी रहने वाले केवलराम काले इसी समय कांग्रेस की ओर से मेलघाट के विधायक रह चुके है. वहीं कांग्रेस ने इस बार डॉ. हेमंत चिमोटे के तौर पर नये चेहरे को मैदान में उतारा है. खास बात यह है कि, जहां एक ओर जिले के अन्य विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में राजनीतिक दलों की विचारधारा सहित राज्य एवं देश से जुडे बडे-बडे मुद्दे हावी रहते है. वहीं दूसरी ओर मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र के आदिवासी मतदाताओं द्वारा ऐसी तमाम बातों को दरकिनार करते हुए स्थानीय मुद्दों और ‘अपने आदमी’ को तवज्जों दी जाती है. यहीं वजह है कि, मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र में विधानसभा चुनाव के समय धारणी व चिखलदरा तहसील के बीच एक तरह की ‘टशन’ चलती रहती है. उल्लेखनीय है कि, यद्यपि धारणी व चिखलदरा दो अलग-अलग तहसील है. लेकिन दोनों तहसीलों का उपविभागीय कार्यालय धारणी में है. जिसके चलते मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र का मुख्यालय धारणी को ही माना जाता है. ऐसे में धारणी तहसील से वास्ता रखने वाले मतदाता चाहते है कि, इस निर्वाचन क्षेत्र में धारणी तहसील से वास्ता रखने वाला प्रत्याशी ही विधायक निर्वाचित है. बता दें कि, इस समय चुनावी मैदान में रहने वाले तीनों प्रमुख प्रत्याशियों में से केवल प्रहार पार्टी के प्रत्याशी व विधायक राजकुमार पटेल ही धारणी तहसील से वास्ता रखते है. वहीं अन्य दोनों प्रत्याशी चिखलदरा तहसील के निवासी है. जिनमें से कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. हेमंत चिमोटे का वास्ता चिखलदरा तहसील के काटकुंभ और भाजपा प्रत्याशी केवलराम काले का वास्ता चिखलदरा तहसील के गौरखेडा गांव से है. यहीं वजह है कि, धारणी से वास्ता रखने वाले विधायक राजकुमार पटेल द्वारा अपने क्षेत्र से मतदाताओं के बीच यह बात रखी जा रही है कि, वे पूरा समय धारणी तहसील में उपलब्ध रहते है तथा धारणी शहर के मुख्य चौराहे पर एक पेड के नीचे हर किसी को आसानी से मिल भी जाते है. ऐसे में यदी चिखलदरा तहसील के किसी व्यक्ति को विधायक चुना गया, तो धारणी तहसील के लोगों को अपने कामों के लिए बार-बार चिखलदरा तहसील के चक्कर काटने पडेंगे.
उल्लेखनीय है कि, मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र में वोटों के लिहाज से भी धारणी तहसील का पलडा भारी कहा जा सकता है. धारणी तहसील में मतदाताओं की संख्या 1 लाख 35 हजार के आसपास है. वहीं चिखलदरा तहसील में करीब 78 हजार मतदाता है. इसके अलावा मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र में शामिल अचलपुर तहसील के कांडली व पथ्रोट जैसे क्षेत्रों में रहने वाले मतदाताओं की संख्या लगभग 90 हजार के आसपास है. चूंकि चिखलदरा और अचलपुर तहसील के मैदानी इलाके एक-दूसरे से जुडे हुए है. ऐसे में कई बार इन दोनों क्षेत्रों में चुनाव एवं प्रत्याशी को लेकर समसमान सोच दिखाई देती है. वहीं दूसरी ओर धारणी तहसील के मतदाता हमेशा ही विधानसभा चुनाव में अपनी तहसील का प्रभुत्व चाहते है. ऐसे में इस बार यह देखना दिलचस्प होगा कि, मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र में शामिल ढाई तहसीलों में से किस तहसील का पलडा भारी रहता है.

* फिलहाल पटेल की स्थिति दिख रही मजबूत
– कांग्रेस के बागी दारसिंबे का भी ‘अंदरबट्टे’ में समर्थन
जहां तक क्षेत्र की राजनीति का सवाल है, तो इस पूरे क्षेत्र की भौगोलिक व राजनीतिक स्थिति पर क्षेत्र के विधायक राजकुमार पटेल की पकड को काफी मजबूत कहा जा सकता है. जो इससे पहले भी वर्ष 1999 व 2004 में भाजपा की टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए थे. साथ ही उन्हें वर्ष 2009 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर ही हार का सामना करना पडा था. वहीं वर्ष 2014 का चुनाव राजकुमार पटेल ने राकांपा प्रत्याशी के तौर पर लडा था और वे दूसरे स्थान पर थे और वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में राजकुमार पटेल ने प्रहार पार्टी में प्रवेश करते हुए प्रहार प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज की थी. विगत 25 वर्षों से मेलघाट में राजनीतिक रुप से सक्रिय रहने वाले विधायक राजकुमार पटेल इस दौरान एक बार बसपा में भी शामिल हुए थे और हाल फिलहाल ही वे शिंदे गुट वाली शिवसेना में जाकर प्रहार में वापिस लौटे है तथा एक बार फिर प्रहार प्रत्याशी के तौर पर विधानसभा का चुनाव लड रहे है. जिसके चलते माना जा सकता है कि, विधायक राजकुमार पटेल की मेलघाट विधानसभा क्षेत्र में मजबूत पकड को देखते हुए उनकी सभी राजनीतिक दलों में स्वीकार्यता है. वहीं दूसरी ओर उनके प्रतिद्वंदी रहने वाले भाजपा प्रत्याशी केवलराम काले ने इससे पहले केवल एक बार ही वर्ष 2009 में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर विधानसभा का चुनाव जीता था. जिन्हें वर्ष 2014 में हुए अगले ही चुनाव में उस समय भाजपा के प्रत्याशी रहने वाले प्रभुदास भिलावेकर के हाथों हार का सामना करना पडा था और प्रभुदास भिलावेकर को वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में प्रहार प्रत्याशी राजकुमार पटेल ने पराजीत किया था. वहीं अब केवलराम काले कांग्रेस छोडकर भाजपा में शामिल हो गये है और कांग्रेस ने डॉ. हेमंत चिमोटे के तौर पर बेहद नये चेहरे को चुनावी मैदान में उतारा है. खास बात यह भी है कि, केवलराम काले को भाजपा की ओर से प्रत्याशी बनाये जाने का खुद क्षेत्र के भाजपा पदाधिकारियों द्वारा जमकर विरोध किया गया था और पूर्व विधायक प्रभुदास भिलावेकर ने तो बगावती तेवर अपनाते हुए अपना नामांकन भी दाखिल किया था. हालांकि बाद में पार्टी नेतृत्व द्वारा समझाये जाने पर भिलावेकर ने अपना नामांकन वापिस भी ले लिया. वहीं दूसरी ओर क्षेत्र के मतदाताओं पर अपना अच्छा खासा प्रभाव रखने वाले कांग्रेस नेता मन्नालाल दारसिंबे ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन दाखिल किया था. जिन्होंने नामांकन वापसी के अंतिम दिन अपना नामांकन पीछे ले लिया. वहीं माना जा रहा है कि, दारसिंबे द्वारा इस समय ‘अंदरबट्टे’ में प्रहार प्रत्याशी राजकुमार पटेल का प्रचार किया जा रहा है.

* राहुल गांधी की प्रचार सभा में मंच पर दिखे थे दारसिंबे
विशेष उल्लेखनीय है कि, लोकसभा चुनाव के समय मेलघाट क्षेत्र के आदिवासियों पर अपनी अच्छी खासी पकड रखने वाले कांग्रेस के आदिवासी नेता मन्नालाल दारसिंबे अचलपुर में आयोजित सांसद राहुल गांधी की सभा में मंच पर राहुल गांधी के साथ दिखे थे और उन्होंने मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट मिलने हेतु दावा भी किया था. साथ ही टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन भी दाखिल किया था. जिसे उन्होंने नामांकन वापसी के अंतिम दिन हैरत अंगेज तरीके से वापिस भी ले लिया. लेकिन मन्नालाल दारसिंबे अब तक एक बार भी क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. चिमोटे के साथ नहीं दिखे है, बल्कि उन्होंने अपनी तबीयत खराब रहने की बात कहते हुए खुद को प्रचार से दूर रखा है. वहीं ‘अंदरखाने’ से यह खबर सामने आ रही है कि, मन्नालाल दारसिंबे द्वारा ‘अंदरबट्टे’ में प्रहार पार्टी के प्रत्याशी राजकुमार पटेल का काम किया जा रहा है.

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