इस बार चुनाव में जमकर चल रहा पैसा
कुछ प्रत्याशियों द्वारा करोडों के खर्च की चर्चा
* बूथ पर कार्यकर्ताओं को जमकर बांटे जा रहे पैसे
अमरावती /दि. 13- अब एक तरह से विधानसभा चुनाव का काऊंटडाऊन शुरु हो चुका है. जिसके तहत जहां एक ओर इलेक्शन ड्यूटी पर लगे अधिकारी और कर्मचारियों के पोस्टल बैलेट की प्रक्रि या सहित दिव्यांग एवं बुजुर्ग मतदाताओं के घर बैठे मतदान की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है. वहीं सर्वसामान्य मतदाताओं द्वारा आज से ठीक एक सप्ताह बाद आगामी बुधवार 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. ऐसे में अब सभी प्रत्याशियों ने अपने-अपने चुनाव प्रचार में जमकर अपनी ताकत के साथ-साथ अपने तमाम संसाधनों को झोंकना शुरु कर दिया है. जिनमें पैसा सबसे प्रमुख संसाधन है. जिसके बूते आर्थिक रुप से संपन्न रहनेवाले प्रत्याशियों द्वारा अपने ईर्द-गिर्द कार्यकर्ता व समर्थकों का भारी भरकम जमावडा रखने के लिए दोनों हाथों को खोलकर खर्च किया जा रहा है. साथ ही अधिक से अधिक मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए भी उन्हें ‘नगद नारायण’ का जमकर दर्शन कराया जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि, निर्वाचन आयोग द्वारा विधानसभा चुनाव हेतु प्रत्येक प्रत्याशी के लिए अधिकतम 40 लाख रुपए के खर्च की मर्यादा तय की गई है. लेकिन कई निर्वाचन क्षेत्रों के रेस में रहनेवाले प्रमुख प्रत्याशियों द्वारा किए जा रहे खर्च को देखते हुए कहा जा सकता है कि, 40 लाख रुपए तो ऐसे प्रत्याशियों के लिए हाथ का मैल है. जो कब का झड भी चुका है और अभी यद्यपि मतदान होने में एक सप्ताह का समय बाकी है. लेकिन इस समय तक ही कुछ प्रत्याशियों द्वारा 40 लाख रुपए से कहीं अधिक खर्च किया जा चुका है. साथ ही आगामी एक सप्ताह के भीतर अंधाधूंध खर्च करने की तैयारी भी कर ली गई है.
जमिनी स्तर पर किए गए आकलन के मुताबिक इस समय रेस में रहनेवाले कुछ प्रमुख एवं आर्थिक रुप से बेहद संपन्न प्रत्याशियों द्वारा अपने खजानों का मुंह खोलकर अपने लिए काम करनेवाले लोगों को जमकर खुश करने का काम किया जा रहा है. साथ ही कहीं कोई कसर न रह जाए इस बात को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक बूथ के कार्यकर्ताओं तक पेटियां पहुंचाई जा रही है. ताकि अपने लिए मतपेटी को भरा जा सके. ऐसे कई प्रत्याशियों के नामों की जिले के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में जमकर चर्चा भी चल रही है. लेकिन हैरत इस बात की है कि, ऐसे प्रत्याशियों द्वारा अपने चुनावी खर्च वाले अकाऊंट को पूरी तरह से ‘नीट एंड क्लिन’ रखा गया है और निर्वाचन विभाग भी ऐसे प्रत्याशियों द्वारा किए जा रहे करोडों के खर्च को अब तक पकड नहीं पाया है.