जिले में इस बार जमकर होगी बगावत
दोनों गठबंधनों को जमकर सता रहा बगावत का खतरा
अमरावती/दि.24 – अब अमरावती जिले की राजनीति में धीरे-धीरे चुनावी रंग चढने लगा है और राजनीतिक दलों द्वारा अपने-अपने पत्ते भी खोले जा रहे है. जिसके तहत महायुति व महाविकास आघाडी द्वारा अपने प्रत्याशियों के नामों की चरणबद्ध तरीके से घोषणा की जा रही है. लेकिन ऐसा करते समय इस बात का तो पूरा ख्याल रखा जा रहा है कि, कही प्रत्याशी नहीं बनाये जाने से असंतुष्ट होकर पार्टी का कोई नेता बगावत न कर दे, यानि दोनों ही राजनीतिक गठबंधनों को बगावत का खतरा जमकर सता रहा है. साथ ही साथ इस बार अमरावती जिले के आठों निर्वाचन क्षेत्रों में जबर्दस्त और जमकर बगावत होने के आसार भी है.
बता दें कि, अमरावती जिले में बगावत की शुरुआत बडनेरा, अचलपुर व दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र से हो भी चुकी है. जिसके तहत महायुति द्वारा घोषित किये गये प्रत्याशियों के खिलाफ भाजपा में ही विरोध के स्वर उठने शुरु हो गये है. महायुति द्वारा बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र को गठबंधन में घटक दल के तौर पर शामिल युवा स्वाभिमान पार्टी यानि विधायक रवि राणा के लिए छोडे जाते ही शहर भाजपा के वरिष्ठ नेता तुषार भारतीय ने सबसे पहले बगावत का झंडा बुलंद किया और महायुति प्रत्याशी रवि राणा के खिलाफ चुनाव लडने की घोषणा भी कर डाली. उधर अचलपुर सीट से भाजपा के प्रवीण तायडे व दर्यापुर सीट से शिंदे गुट से अभिजीत अडसूल को अपना प्रत्याशी बनाया गया है. लेकिन दोनों ही निर्वाचन क्षेत्रों के कुछ भाजपा पदाधिकारियों ने इस फैसले का विरोध करते हुए अलग राह अपनाने की घोषणा कर डाली है. जिसमें सबसे खास बात यह रही कि, दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र के पूर्व विधायक रमेश बुंदिले ने अपनी नाराजगी के चलते भाजपा छोडकर युवा स्वाभिमान पार्टी में प्रवेश भी कर लिया. वहीं आदिवासी बहुल मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र में भी महायुति के घटक दलों के बीच इस सीट को अपने कब्जे में रखने हेतु अच्छा खासा टशन चल रहा है. जिसके तहत जहां एक ओर अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लडने के लिए क्षेत्र के विधायक राजकुमार पटेल ने प्रहार पार्टी छोडकर शिंदे गुट में प्रवेश कर लिया है और वे शिंदे सेना प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडने की जुगत में लगे हुए है. वहीं इसका विरोध करते हुए मेलघाट के भाजपा पदाधिकारियों द्वारा इस बार मेलघाट से भाजपा का ही प्रत्याशी खडे किये जाने की मांग उठाई जा रही है. जिसके लिए टिकट हेतु दावेदार रहने वाले करीब 3 नेताओं ने भाजपा नेतृत्व के समक्ष अपनी एकजूटता दिखाते हुए 3 में से किसी 1 को टिकट दिये जाने की मांग उठाई है. साथ ही साफ तौर पर चेतावनी दी है कि, यदि यह सीट भाजपा की बजाय शिंदे गुट के हिस्से में जाती है और यहां से महायुति द्वारा विधायक राजकुमार पटेल को प्रत्याशी बनाया जाता है, तो वे पटेल के प्रचार हेतु बिल्कुल भी काम नहीं करेेंगे. बल्कि जरुरत पडने पर पटेल की दावेदारी के खिलाफ 3 में से किसी एक नेता को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव में खडा किया जाएगा. लगभग इसी तरह की स्थिति महायुति में तिवसा निर्वाचन क्षेत्र को लेकर भी है. जहां पर पार्टी के पुराने व निष्ठावान कार्यकर्ता रविराज देशमुख तथा करीब ढाई वर्ष पहले शिवसेना छोडकर भाजपा में आये राजेश वानखडे भाजपा की टिकट हेतु प्रबल दावेदार है. इन दोनों में से यदि किसी एक को भाजपा द्वारा टिकट दी जाती है, तो दूसरे गुट द्वारा निश्चित तौर पर बगावत का झंडा बुलंद किया जा सकता है.
महायुति की तरह महाविकास आघाडी में भी बगावत होने का पूरा खतरा है. अभी महाविकास आघाडी की ओर से केवल शिवसेना ने ही अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की है. जिसके बाद बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से सुनील खराटे का नाम घोषित होते ही इस निर्वाचन क्षेत्र से टिकट की रेस में शामिल शिवसेना उबाठा की महिला नेत्री प्रीति बंड व पूर्व विधायक ज्ञानेश्वर धाने पाटिल द्वारा पार्टी के फैसले के खिलाफ कुछ हद तक नाराजगी दर्शायी गई है. हालांकि इसे सीधे तौर पर बगावत नहीं कहा जा सकता. वहीं इस समय महाविकास आघाडी में शामिल कांग्रेस व शरद पवार गुट वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी द्वारा अब तक अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा नहीं की गई है और इन दोनों दलों द्वारा नामांकन प्रक्रिया के खत्म होते-होते अपने प्रत्याशियों के नाम घोषित किये जाने की पूरी संभावना है. ताकि बगावत की तैयारी में रहने वाले पार्टीजनों को बगावत करने का मौका ही न मिले.