अमरावती में इस बार नहीं दिखाई देगी कांग्रेस व भाजपा के बीच टक्कर
महायुति व महाआघाडी के बीच होगा चुनावी संग्राम, गुप्ता की दावेदारी से बढेगा ‘टशन’
अमरावती/दि.19- अमरावती विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला दिखाई दे सकता है. जिसके तहत कांग्रेस व भाजपा के बीच सीधी टक्कर अमरावती निर्वाचन क्षेत्र में होती दिखाई नहीं देगी. क्योंकि जहां महाविकास आघाडी की ओर से कांग्रेस की टिकट पर पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख चुनाव लडने का प्रयास कर रहे है. जिनके खिलाफ महायुति की ओर से अजीत पवार गुट वाली राकांपा प्रत्याशी के तौर पर मौजूदा विधायक सुलभा खोडके द्वारा चुनाव लडा जा सकता है. वहीं अमरावती निर्वाचन क्षेत्र को महायुति के तहत भाजपा के कोटे में रखने की मांग करते हुए पूर्व पालकमंत्री जगदीश गुप्ता ने अपने लिए भाजपा की टिकट मांगी है और पार्टी की टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडने की घोषणा भी कर रखी है. जिससे स्पष्ट है कि, इन तीनों दावेदारों के चुनावी मैदान में उतरने के पर अमरावती निर्वाचन क्षेत्र में चुनावी मुकाबला तिकोना हो जाएगा. वहीं यदि महायुति की ओर से अमरावती विधानसभा की सीट राकांपा अजीत पवार गुट के लिए छूटती है, तो ‘पंजे’ और ‘कमल’ के बीच सीधा मुकाबला होता नहीं दिखाई देगा, बल्कि कभी एक-दूसरे के साथ रहने वाले ‘पंजे’ और ‘घडी’ इस बार एक दूसरे के आमने-सामने होंगे.
बता दें कि, विधानसभा चुनाव का बिगुल बज जाने के बावजूद भी महायुति व महाविकास आघाडी में अब तक सीटों के बंटवारे का मसला हल नहीं हुआ है. जिसके चलते चुनाव लडने के इच्छुकों के दिल की धडकने काफी तेज है. जिनके द्वारा खुद को टिकट मिलने हेतु जमकर लॉबिंग भी की जा रही है. जिसमें से कुछ दावेदारों विशेषकर मौजूदा विधायकों की उम्मीदवारी लगभग तय है. जिन्होंने अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में कॉर्नर बैठकों का सत्र भी शुरु कर दिया है. अमरावती निर्वाचन क्षेत्र में जहां महायुति की ओर से अजीत पवार गुट वाली राकांपा की टिकट पर मौजूदा विधायक सुलभा खोडके का प्रत्याशी रहना लगभग तय है. वहीं विधायक सुलभा खोडके को चुनौती देने हेतु कभी एक दूसरे के कट्टर प्रतिद्वंदी रहे पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख व जगदीश गुप्ता भी चुनावी अखाडे में उतरने की तैयारी कर रहे है.
विशेष उल्लेखनीय है कि, विगत विधानसभा चुनाव के पश्चात और विशेषकर ढाई वर्ष पूर्व राज्य में हुए सत्ता परिवर्तन के उपरान्त अब चुनाव किसी एक राजनीतिक दल तक मर्यादित नहीं रहे, बल्कि अब आघाडी व युति यानि गठबंधन वाली राजनीति का दौर शुरु हो गया. जिसके चलते अब गठबंधनों में शामिल राजनीतिक दलों में से किसी एक दल के प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारा जाएगा और गठबंधन में शामिल अन्य सहयोगी दल उसकी जीत के लिए काम करेंगे.
बता दें कि, पूरी तरह से शहरी क्षेत्र रहने वाले अमरावती विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में पिछली बार मनपा में भाजपा का वर्चस्व था. वहीं इससे पहले वर्ष 1990, 1999 व 2014 के विधानसभा चुनाव को छोडकर भाजपा को अन्य चुनावों में इस निर्वाचन क्षेत्र से विशेष सफलता नहीं मिली. ऐसे में भाजपा ने वर्ष 2019 से हिंदुत्व के मुद्दों पर वोटों के धु्रवीकरण करने का प्रयास करना शुरु किया. परंतु महायुति के तहत अमरावती सीट अजीत पवार गुट वाली राकांपा के लिए छोडे जाने की नौबत आ रही है. जिसके चलते इस बार अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी अखाडे में भाजपा का प्रत्याशी नहीं रहेगा. जिसके चलते सालोंसाल से पार्टी व संगठन में काम करते हुए चुनाव लडने की इच्छा रखने वाले पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं में काफी हद तक निराशा है. परंतु पार्टी अनुशासन के समक्ष उन्हें झुकना ही होगा. संभवत: यहीं वजह है कि, अब पर्दे के पीछे से भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री जगदीश गुप्ता की दावेदारी को आगे किया जा रहा है. ताकि मुकाबला त्रिकोणीय हो सके. ऐसे में यद्यपि इस बार अमरावती विधानसभा क्षेत्र में भाजपा व कांग्रेस के बीच होने वाली परंपरागत लडाई दिखाई नहीं देगी. लेकिन महाविकास आघाडी व महायुति के बीच किस तरह का मुकाबला होगा, यह देखना दिलचस्प रहेगा.