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कोरोना महामारी की वजह से लिया निर्णय
अमरावती/दि.६ – कोरोना महामारी की वजह से सभी तीज, त्यौहार फिके पड गए. दशहरा का त्यौहार भी फिका रहने की संभावना है. अंबा नगरी की ग्राम देवता अंबा-एकवीरा माता सीमोल्लंघन के लिए दशहरे के दिन निकलती है. यह परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है. दशहरे के अवसर पर अंबा देवी व एकवीरा देवी भक्तों के लिए मंदिर से बाहर आकर शहर की सीमा लांघकर दशहरा मैदान पर जाती है. परंतु कोरोना की वजह से इस बार यह हजारों वर्ष पुरानी परंपरा खंडित होंगी, ऐसी संभावना जताई जा रही है.
अंबादेवी, एकवीरा देवी माता मंदिर के अस्तित्व हजारों वर्ष पुराने होने के बारे में पुराण व इतिहास में इसका उल्लेख है. छत्रपति शिवाजी महाराज व्दारा उनके राज्याभिषेक की निमंत्रण पत्रिका भी अंबादेवी को भेजे जाने का जिक्र इतिहास में है. वर्ष १५०० के कालखंड में मुगलों व्दारा किये हमले में मंदिर क्षतिग्रस्त हुआ था, लेकिन अंबादेवी, एकवीरा देवी माता की मूर्ति सुरक्षित बच गई थी. इसके बाद १६६० के दौरान श्री जनार्दन स्वामी ने मंदिर का जिर्णाेध्दार कर कायापालट कर दिया था. अहिल्याबाई होलकर ने भी इस मंदिर निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है तब से हजारों वर्ष पुरानी सीमोल्लंघन कीे परंपरा चली आ रही है.
विजयादशमी को अंबादेवी, एकवीरा देवी मंदिर से बाहर निकलकर भक्तों को दर्शन देने आती है. इसे लेकर भक्तों में काफी उत्साह रहता है. जिसके लिए भक्त भी जोरदार तैयारियां करते है. काठोले डेकोरेटर की ओर से पुरी सडक पर मेट बिछाई जाती है. जगह-जगह पानी, शबरत, प्रसाद के स्टॉल लगाए जाते है. अंबादेवी मंदिर से दशहरा मैदान परिसर पर लोगों को दशहरा सीमोल्लंघन के बाद शुरु होता है. देवी को सोना चढाने के पश्चात अन्य लोगों में सोना दिया जाता है. अब इस बार यह परंपरा पर पानी फिर जाएगा.
फिलहाल मंदिर खोलने के आदेश नहीं
राज्य सरकार से अब तक मंदिरों को खोलने की अनुमति प्राप्त नहीं हुई है. इसके कारण सीमोल्लंघन की परंपरा टूटने की संभावना बनी है. यह परंपरा जब से मंदिर है तब से चली आ रही है. मगर इस बीच मंदिर में घटस्थापना कर नियमित पूजा अर्चना यहां के पुजारियों व्दारा की जाएगी, परंतु बाहरी किसी व्यक्ति को प्रवेश नहीं दिया जाएगा.
– विद्या देशपांडे, अध्यक्ष अंबादेवी ट्रस्ट